सार
क्रेडिट कार्ड से जुड़े तीन नियम आज यानी 1 अक्टूबर से बदल रहे हैं। अब क्रेडिट कार्ड धारक को सुरक्षा के साथ-साथ अच्छी सर्विस भी मिल सकेगी। इसमें क्रेडिट कार्ड कैंसिलेशन यानी रद्दीकरण, बिलिंग आदि से जुड़े नियमों में बदलाव होगा।
बिजनेस डेस्क। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी आरबीआई ने अप्रैल 2022 में क्रेडिट और डेबिट कार्ड के लिए नए क्राइटेरिया का ऐलान किया था। आरबीआई के कार्ड इन फाइल यानी सीओएफ टोकन नियम 1 अक्टूबर से लागू हो रहे हैं। इसके लिए पहले से ही संबंधित बैंकों की ओर से कार्ड के टोकनाइजेशन के लिए मैसेज भी आने लगे थे। हालांकि, बहुत से लोग यह सोच रहे हैं कि आखिर ये टोकनाइजेशन है क्या। साथ ही ये भी कि ये उनके लिए फायदे का सौदा होगा या फिर नुकसान का। क्रेडिट कार्ड को लेकर जो तीन महत्वपूर्ण नियम बदल रहे हैं, उसके तहत अब कार्ड धारकों को बैंक उलझाऊ नियमों के जाल में नहीं फंसा सकेंगे।
दरअसल, टोकनाइजेशन की गाइडलाइन की समय-सीमा 1 जुलाई 2022 तक थी। मगर इसे तीन महीने के लिए बढ़ाकर 30 सितंबर तक के लिए कर दिया गया था। बड़े व्यापारी पहले ही सीओएफ टोकनाइजेशन प्रॉसेस की जरूरतों को पूरा कर चुके हैं। आइए जानते हैं क्रेडिट कार्ड से जुड़े तीन नए नियम क्या हैं, जो आज यानी 1 अक्टूबर से लागू हो रहे हैं।
ओटीपी हासिल करने के लिए
जिस बैंक से क्रेडिट कार्ड जारी किया गया है, उसे क्रेडिट कार्ड को एक्टिव रखने के लिए पहले कार्ड धारक से वन टाइम पासवर्ड यानी ओटीपी आधारित सहमति प्राप्त करनी होगी। ग्राहक ने अगर 30 दिनों के भीतर सहमति प्रक्रिया पर अनुमति नहीं दी है या उसे एक्टिव नहीं किया है, तो सहमति के अभाव में कार्ड जारी करने वाला बैंक चाहे तो सात कार्यदिवस के समय तक ग्राहक को बिना कोई शुल्क लिए क्रेडिट कार्ड अकाउंट को बंद करना होगा।
क्रेडिट लिमिटअप्रूवल
इसके अलावा कार्ड जारी करने वाले बैंक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कार्ड होल्डर की सहमति के बिना या उसकी जानकारी के बिना क्रेडिट कार्ड की लिमिट नहीं बढ़ाई जा सकती है। यानी क्रेडिट कार्ड की लिमिट जब भी बढ़ानी होगी, तो इसके लिए संबंधित बैंक को ग्राहक की अनुमति अनिवार्य रूप से लेनी होगी।
ब्याज दर पर शर्तों का उल्लेख
जब क्रेडिट कार्ड के बकाया राशि जिसका भुगतान नहीं किया गया है, लेवी और टैक्स पर ब्याज वसूली और चक्रवृद्धि ब्याज नहीं वसूले जा सकते। क्रेडिट कार्ड के कुल बकाया राशि के न्यूनतम भुगतान और कुल देय राशि के लिए नियम व शर्तों का स्पष्ट उल्लेख किया जाना चाहिए। आरबीआई के मास्टर सर्कुलर के अनुसार, बकाया भुगतान राशि, लेवी और टैक्स के चार्ज के लिए ब्याज और चक्रवृद्धि ब्याज नहीं लिया जाएगा।
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