सार
अगर आपको आयकर विभाग से नोटिस मिलता है, तो इसमें घबराने की जरूरत नहीं है। आईटी डिपार्टमेंट के नोटिस की अनदेखी करने से भी बचना चाहिए। ऐसे में यह जानना बहुत जरूरी है कि आयकर विभाग आमतौर पर नोटिस कब भेजता है और नोटिस का प्रभावी जवाब कैसे दिया जाए।
नई दिल्ली : आयकर विभाग (Income Tax Department) देर से इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने के मामले में नोटिस भेजता है। इसके अलावा आईटीआर फॉर्म में कुछ कमियां पाए जाने पर भी नोटिस भेजा जाता है। इसी तरह कई अन्य कारण भी हैं, जब आयकर विभाग करदाता को नोटिस भेजता है। जानिए किन कारणों से आयकर विभाग भेज सकता है नोटिस, और कैसे दिया जा सकता है नोटिस का जवाब-
1- आयकर रिटर्न दाखिल न करना या देर से दाखिल करना
अगर कोई नियत देय तिथि तक अपना इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने में विफल रहता है, तो आयकर विभाग आपको रिमाइंडर नोटिस भेज सकता है। समय पर आईटीआर फाइल नहीं करने पर 10,000 रुपये का विलंब शुल्क1 फीसद प्रतिमाह की दर से वसूला जा सकता है। यहां तक कि इस मामले में आयकर दाता को अदालतों में अभियोजन जैसे परिणाम भी भुगतने पड़ सकते हैं।
कैसे दें नोटिस का जवाब
यदि आपको नोटिस मैन्युअल रूप से यानी डाक से प्राप्त हुआ है, तो आपको आयकर प्राधिकरण को नोटिस जारी करने के लिए उत्तर का मसौदा तैयार करना होगा। इसमें सटीक कारणों का विवरण दें कि आपने आयकर रिटर्न क्यों नहीं दाखिल की।
यदि आप पहले रिटर्न दाखिल कर रहे थे, लेकिन कर योग्य सीमा से कम आय के कारण चालू वर्ष के लिए इसे दाखिल नहीं किया है, तो आपको उत्तर में स्पष्ट रूप से उल्लेख करना चाहिए कि आप टैक्स के दायरे में नहीं आते, इसलिए रिटर्न दाखिल करने की कोई आवश्यकता नहीं थी।
हालांकि, आयकर रिटर्न हमेशा दाखिल करना बेहतर होता है। भले ही आपकी आय किसी वर्ष में आयकर सीमा से कम ही क्यों न हो। खासकर यदि आप पहले आयकर रिटर्न दाखिल कर रहे थे, तो इसे लगातार करते रहना चाहिए।
2- यदि आयकर रिटर्न फाइल करने में कोई विसंगति पाई जाए
आपको उस स्थिति में भी एक नोटिस प्राप्त हो सकता है, अगर आपके आईटी रिटर्न के दस्तावेजों में कोई विसंगति पाई जाती हैं। रिटर्न में विसंगति तब पाई जा सकती है, अगर आप किसी आय का विवरण घोषित करना भूल जाएं। आय का कुछ हिस्सा छिपाने या गलत कटौती का दावा करने पर भी विसंगति का मामला होता है। इसके अलावा रिटर्न फाइल करने के लिए गलत फॉर्म चुनने को लेकर भी परेशानी खड़ी हो सकती है। ऐसी स्थिति में आयकर विभाग के नोटिस के संदर्भ में आईटीआर की समीक्षा कर सुधार करना जरूरी है।
गड़बड़ी सुधार को लेकर ई-फाइलिंग वेबसाइट पर प्रतिक्रिया दाखिल करने के समय कुछ विवरण दिए जाने जरूरी हैं। इनमें प्रमुख हैं-
- मूल रिटर्न की पावती (Acknowledgement) संख्या
- धारा 139(9) के तहत नोटिस की संचार संदर्भ (Communication reference) संख्या
- सूचना में दी गई संचार (Communication) तिथि
- करदाता द्वारा नोटिस प्राप्त करने की तिथि
- सत्यापन पिन / पासवर्ड जैसा कि नोटिस में लिखा गया है
यदि 15 दिनों की समयावधि पहले ही समाप्त हो चुकी है और आपने प्रतिक्रिया दाखिल नहीं की है, तो आप फिर से रिटर्न दाखिल कर सकते हैं। ऐसा करने पर दूसरी बार भरे जाने वाले रिटर्न को ही मूल विवरणी माना जाएगा। यदि मूल विवरणी का समय समाप्त हो जाने पर यह माना जाएगा कि विवरणी समय पर दायर नहीं किया गया है।
3-बड़ी राशि के लेन-देन की रिपोर्ट नहीं करने पर मिल सकता है नोटिस
यदि आप बड़ी राशि के लेन-देन की रिपोर्ट नहीं करते हैं, तो आयकर विभाग नोटिस जारी कर सकता है। उच्च मूल्य के लेन-देन में क्रेडिट कार्ड से की गई खरीदारी और 2 लाख या अधिक रुपये का भुगतान जैसी गतिविधि शामिल है। इसके अलावा 10 लाख रुपये या अधिक नकदी बैंक में जमा रखना भी इस श्रेणी में गिना जाता है।
आईटी रिटर्न में शेयर बाजार निवेश के दौरान पांच लाख रुपये या अधिक के डिबेंचर / बांड की जानकारी न देने पर भी आयकर विभाग आपको नोटिस भेज सकता है। इसलिए हमेशा सुनिश्चित करना चाहिए कि आप आईटी रिटर्न फाइल करते समय अपना पैन कार्ड विवरण प्रस्तुत करें। यदि कोई व्यक्ति इनमें से किसी भी लेन-देन में प्रवेश करता है, तो उसे यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसे लेनदेन से आय/हानि के संबंध में रिटर्न दाखिल किया गया है, अन्यथा नोटिस की प्राप्ति अनिवार्य है।
4- टीडीएस राशि में गड़बड़ी पर भी मिल सकता है नोटिस
अक्सर स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) के विवरण में गलतियां पाई जाती हैं, ऐसे में आयकर विभाग की नजर में आने पर टीडीएस राशि में गड़बड़ी को लेकर भी नोटिस भेजे जाने का प्रावधान है। दरअसल, आपके द्वारा दिखाए गए स्रोत पर कर कटौती (Tax Deducted at Source) की राशि और किसी विशेष वित्तीय वर्ष के दौरान काटे गए वास्तविक टीडीएस में अक्सर अंतर होता है। ऐसा तब हो सकता है जब आपका नियोक्ता अपना टीडीएस रिटर्न दाखिल करना भूल गया हो, लेकिन आपने अपने आईटीआर में टीडीएस दिखाया हो।
इस गड़बड़ी से बचने के लिए, सुनिश्चित करें कि फॉर्म 26AS में टीडीएस राशि आपके आईटीआर की राशि से मेल खाती हो। ऐसा होने पर आयकर विभाग आपको टीडीएस से जुड़ा नोटिस नहीं भेजेगा।
नोटिस मिलने के समय यदि रिटर्न दाखिल करने का समय न बीता हो, तो आप रिटर्न दाखिल कर सकते हैं और पावती की प्रति संलग्न कर सकते हैं। नोटिस के उपयुक्त उत्तर के साथ यह बताए कि टीडीएस काट लिए जाने के कारण कोई कर देय नहीं था। अगर रिटर्न दाखिल करने का समय समाप्त होने पर नोटिस मिले, तो यह दिखाते हुए आय की गणना तैयार करें कि कोई कर देय नहीं था। उत्तर के साथ यह भी संलग्न करें कि टीडीएस काट लिया गया है और कर की चोरी नहीं की गई है।
5- परिवार के सदस्यों के नाम से निवेश खरीदते हैं, तो जानकारी दें, छिपाने पर मिल सकता है नोटिस
कई करदाता अपने जीवनसाथी, बच्चों के नाम पर संपत्ति खरीदने की प्रवृत्ति रखते हैं। करों से बचने के लिए माता-पिता, और भाई-बहन समेत परिवार के अन्य सदस्यों के नाम पर भी संपत्ति खरीदी जाती है, लेकिन ऐसा करने पर इसकी जानकारी आयकर विभाग को पूरी पारदर्शिता के साथ देनी चाहिए। ऐसा न करने पर आपको नोटिस मिल सकता है।
भले ही आप परिजनों के नाम पर संपत्ति खरीदें, या निवेश करें, आयकर विभाग इसे आय मानता है, और इस पर निवेशक कर देने के लिए बाध्य है। यदि आप कर देने में विफल रहते हैं, तो इनकम टैक्स विभाग आपको नोटिस जारी कर सकता है।
6- रिटर्न की औचक जांच में मिली गड़बड़ी, तो आपके दरवाजे पहुंचेगा आयकर विभाग
आयकर विभाग ने इनकम टैक्स रिटर्न की औचक जांच शुरू की है। इसका मकसद है कि नागरिक अधिक से अधिक कर अनुपालन सुनिश्चित करें। रिटर्न में अगर कोई विसंगति पाई जाती है तो आयकर विभाग आपको नोटिस भेज सकता है। दरअसल, आयकर विभाग बिना किसी सीक्वेंस के (randomly) आईटीआर की जांच करने को स्वतंत्र है। यदि आपको इस संबंध में विशेष रूप से धारा 143(2) के तहत कोई नोटिस प्राप्त होता है, तो पहले इसकी वैधता की जांच करनी चाहिए। नोटिस की जांच के बाद आयकर विभाग की ओर से आवंटित समय अवधि के भीतर पूरी स्पष्टता से जवाब दें। जवाब देने के लिए चार्टड अकाउंटेंट या टैक्स कंसल्टेंट की मदद ली जा सकती है।
7- यदि आपको ई-मेल से रिटर्न फाइल न करने का नोटिस (compliance notice) मिले-
रिटर्न न फाइल करने को लेकर ई-मेल से मिलने वाले अनुपालन नोटिस (compliance notice) मिलने पर आयकर दाता के पास कुछ विकल्प मौजूद हैं।
- आयकर विभाग की वेबसाइट पर अपने खाते में लॉगिन करें।
- वर्कलिस्ट सेक्शन के तहत फॉर योर एक्शन टैब पर जाएं। इसमें रिटर्न फाइल किया गया है या नहीं, यह विकल्प चुनें।
- अगर रिटर्न फाइल किया गया है, तो 'रिटर्न फाइल्ड' के विकल्प पर क्लिक करें।
यदि रिटर्न फाइल नहीं किया गया है तो 'रिटर्न फाइल नहीं है' विकल्प पर क्लिक करें जब आप इस विकल्प पर क्लिक करते हैं, तो 4 विकल्प दिखाई देंगे, जो इस प्रकार हैं-
- तैयारी के तहत वापसी (Return under preparation)
- व्यापार बंद हो गया है (Business has been closed)
- कर योग्य आय नहीं (No taxable income)
- अन्य (Others)
इनमें से आपको अपने ऊपर लागू सबसे उपयुक्त विकल्प चुनना होगा। सबसे उपयुक्त विकल्प चुनने के बाद, 'संबंधित सूचना सारांश' (Related Information Summary) टैब पर जाएं जहां अनुपालन फाइलिंग नोटिस से जुड़ी कुछ जानकारी सूचीबद्ध हो सकती है। यहां 'संबंधित सूचना' (Information relates to) टैब में, सवाल मिलेगा कि क्या ऐसी जानकारी उस व्यक्ति की है जिसे अनुपालन नोटिस भेजा गया है या नोटिस किसी अन्य व्यक्ति के संबंध में है। आप उस व्यक्ति के आधार पर उपयुक्त विकल्प चुन सकते हैं जिससे यह जानकारी संबंधित है।
अधिकतर जानकारी केवल उसी व्यक्ति से संबंधित होती है जिसे अनुपालन नोटिस मिला है। जानकारी किसी अन्य व्यक्ति से केवल तभी संबंधित होती है जब कोई लेन-देन आपके पैन कार्ड के डिटेल के साथ किया जाए। किसी अन्य व्यक्ति के रिटर्न में आपके पैन कार्ड का डिटेल दिया जाना सामान्य रूप से 'कानूनी उत्तराधिकारी' के मामले में किया जाता है।
8- सेल्फ असेसमेंट टैक्स का भुगतान न करने पर नोटिस-
वर्तमान में, देय कर के साथ रिटर्न (return with tax payable) की अनुमति नहीं है। इसे दोषपूर्ण रिटर्न माना जाता है। इसलिए देय कर के साथ रिटर्न दाखिल न करें। हालांकि, यदि आप ऐसा करते हैं तो आयकर विभाग दोषपूर्ण रिटर्न के लिए नोटिस भेजेगा।जब आपको ऐसा कोई नोटिस मिले तो तुरंत देय कर का भुगतान करें और धारा 139(9) के तहत नोटिस के जवाब में फिर से रिटर्न दाखिल करें।
इस वर्ष अब तक 3 करोड़ रिटर्न हुए हैं फाइल
आयकर विभाग के आंकड़ों अनुसार, कोरोना वायरस से पहले वित्त वर्ष 2018-19 में कुल 6.74 करोड़ रिटर्न भरे गए थे। इस वर्ष अब तक तीन करोड़ रिटर्न ही फाइल हुए हैं।