सार
BPSC CCE 2024 परीक्षा के विरोध में प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर लाठीचार्ज की घटना ने बिहार सरकार पर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रियंका गांधी और प्रशांत किशोर ने छात्रों का समर्थन किया है और सरकार पर अत्याचार का आरोप लगाया है। जानिए
BPSC Protests: बिहार की सर्द हवाओं में इन दिनों गर्मी ला रहे हैं BPSC CCE 2024 परीक्षा के विरोध में प्रदर्शन कर रहे छात्र। भ्रष्टाचार, पेपर लीक और धांधली के आरोपों से गुस्साए ये छात्र अपनी मांगों के समर्थन में सड़कों पर उतर आए हैं। लेकिन उनके इस विरोध को जिस तरह से कुचला गया, उसने पूरे देश का ध्यान खींच लिया। पिछले तीन दिनों में छात्रों पर दो बार लाठीचार्ज और पानी की बौछारों जैसी अमानवीय कार्रवाइयों ने सवाल खड़े कर दिए हैं। ठंड के इस मौसम में जहां सरकार को छात्रों की समस्याओं का समाधान करना चाहिए था, वहीं उनकी आवाज दबाने के लिए पुलिसिया बल का इस्तेमाल किया गया।
प्रियंका गांधी का तीखा बयान
इस पूरे घटनाक्रम पर कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे न केवल सरकार की नाकामी बताया, बल्कि भाजपा की डबल इंजन सरकार को डबल अत्याचार का प्रतीक करार दिया। प्रियंका गांधी ने कहा- "छात्रों पर लगातार अत्याचार हो रहा है। यह सरकार भ्रष्टाचार, पेपर लीक और धांधली रोकने में पूरी तरह विफल है। लेकिन बजाय सुधार करने के, यह युवाओं की आवाज दबाने में लगी है। ठंड में पानी की बौछार और लाठीचार्ज करना अमानवीय है।" उन्होंने यह भी कहा कि सरकार का काम भ्रष्टाचार रोकना और परीक्षा प्रणाली को पारदर्शी बनाना है, न कि छात्रों को डराना।
प्रशांत किशोर का समर्थन
छात्रों के इस विरोध में जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर भी शामिल हो गए। उन्होंने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा: "बिहार की सरकार ने लोकतंत्र को 'लाठी-तंत्र' में बदल दिया है। छात्रों को शांतिपूर्ण विरोध का अधिकार है, लेकिन उनकी आवाज को दबाने के लिए बल प्रयोग किया जा रहा है।"
क्या है छात्रों के गुस्से का कारण और मांग
छात्रों का कहना है कि वे परीक्षा में हो रही धांधली और पेपर लीक से परेशान हैं। उनकी मांग है कि BPSC CCE 2024 परीक्षा रद्द की जाए। परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता लाई जाए और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो।
क्या सरकार भ्रष्टाचार रोकने में विफल है?
छात्रों के विरोध और बढ़ते दबाव के बीच सरकार पर सवाल खड़े हो रहे हैं। सबके मन में प्रश्न है कि क्या छात्रों की समस्याओं का हल निकालने के बजाय उनकी आवाज दबाना ही समाधान है?
लोगों के मन में बड़ा सवाल
प्रियंका गांधी के बयान और प्रशांत किशोर के समर्थन से यह मुद्दा अब और बड़ा हो गया है। यह सिर्फ परीक्षा का मामला नहीं है, बल्कि यह सवाल है युवाओं के अधिकारों, उनके भविष्य और सरकार की जिम्मेदारी का। अब देखना यह है कि क्या बिहार सरकार इन छात्रों की आवाज सुनेगी या फिर यह विरोध और बड़ा रूप लेगा?
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