सार
Muhavare: प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए जरूरी है मुहावरों का सही अर्थ जानना। जानिए कुछ कठिन मुहावरों के अर्थ और उनके प्रयोग।
Muhavare: प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी में सामान्य ज्ञान के साथ-साथ भाषा की समझ भी महत्वपूर्ण होती है। हिंदी में अक्सर ऐसे मुहावरों का प्रयोग होता है, जिनका सही अर्थ जानना और समझना परीक्षाओं के लिए बेहद जरूरी होता है। ये मुहावरे न केवल हमारी भाषा की विविधता को बताते हैं, बल्कि इनका सही उपयोग शब्दों की ताकत और उनके सांस्कृतिक महत्व को भी उजागर करते हैं। यहां जानिए अक्सर प्रतियोगिता परीक्षाओं में पूछे जाने वाले मुहावरे और उनके अर्थ।
मुहावरा- "नकली बर्तन चमकते हैं"
मुहावरे का अर्थ: यह मुहावरा उन लोगों के बारे में है जो बाहरी रूप से चमकते हैं, लेकिन अंदर से वे खोखले होते हैं। इस मुहावरे का अर्थ है कि बाहरी आकर्षण से किसी व्यक्ति या वस्तु का मूल्य तय नहीं किया जा सकता। जैसे, जो बर्तन चमकते हैं, वे नकली होते हैं और उनका उपयोग कम या बुरा होता है। यह मुहावरा दर्शाता है कि आंतरिक गुण और असली मूल्य ही महत्वपूर्ण होते हैं।
मुहावरा- "नल का कुआं, पीने की प्यास"
मुहावरे का अर्थ: यह मुहावरा उस स्थिति को दर्शाता है जब किसी चीज का सही उपयोग नहीं किया जाता, लेकिन उसी चीज की कमी महसूस होती है। यह मुहावरा उन मामलों में इस्तेमाल किया जाता है जब किसी व्यक्ति के पास उपलब्ध साधन या संसाधन होते हुए भी वह उनका ठीक से उपयोग नहीं करता, लेकिन बाद में उन्हीं साधनों की कमी महसूस होती है। जैसे नल के पास पानी होना, लेकिन उसे उपयोग में न लाना और फिर पानी की आवश्यकता महसूस करना।
मुहावरा- "अंधेरे में दीप जलाना"
मुहावरे का अर्थ: यह मुहावरा तब प्रयोग किया जाता है जब किसी को सही रास्ता दिखाने के लिए किसी प्रयास या काम को शुरू किया जाता है, खासकर जब दूसरों को मार्गदर्शन की आवश्यकता हो। यह मुहावरा उस स्थिति को व्यक्त करता है जब किसी को संकट के समय में साहस और प्रेरणा दी जाती है। जैसे, अंधेरे में दीपक जलाने से अंधेरा समाप्त होता है, वैसे ही किसी समस्या या अंधकार में सही मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है।
मुहावरा- "आलस्य में मरे बकरा का मुंह लटका रहता है"
मुहावरे का अर्थ: इस मुहावरे का प्रयोग तब किया जाता है जब कोई व्यक्ति अपने आलस्य और अकर्मण्यता के कारण किसी समस्या में फंसा हो और उसका चेहरा निराशा या उदासी में डूबा हो। यह मुहावरा बकरियों के स्वभाव से संबंधित है, जिनमें से एक बकरा कभी-कभी आलस्य के कारण अपने झुके हुए मुंह को नहीं हिला पाता। यह मुहावरा किसी की स्थिति को दर्शाता है जो अपनी आलस्य के कारण न तो कोई काम करता है और न ही परिस्थितियों में सुधार करने के लिए प्रयास करता है।
मुहावरा- "ताली एक हाथ से नहीं बजती"
मुहावरे का अर्थ: यह मुहावरा उस स्थिति को व्यक्त करता है जब किसी विवाद या समस्या में दोनों पक्षों की हिस्सेदारी होती है। जब दो लोग किसी मामले में आपस में भिड़ते हैं, तो यह मुहावरा यह बताता है कि दोनों ही पक्षों का योगदान होता है। इसका अर्थ है कि एक व्यक्ति अकेले किसी समस्या या विवाद को उत्पन्न नहीं करता। दोनों का कुछ न कुछ योगदान होता है। यह मुहावरा किसी समझौते या सामंजस्य की आवश्यकता को दर्शाता है।
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