सार

अभी परीक्षाएं सिर पर हैं और स्टूडेंट्स से लेकर उनके पेरेंट्स तक परीक्षा की टेंशन से जूझ रहे हैं। बच्चे तो अपने स्तर पर पूरी मेहनत करते हैं, लेकिन एग्जामिनेशन में बच्चों की सफलता में पेरेंट्स की भी बड़ी भूमिका होती है।

करियर डेस्क। अभी परीक्षाएं सिर पर हैं और स्टूडेंट्स से लेकर उनके पेरेंट्स तक परीक्षा की टेंशन से जूझ रहे हैं। बच्चे तो अपने स्तर पर पूरी मेहनत करते हैं, लेकिन एग्जामिनेशन में बच्चों की सफलता में पेरेंट्स की भी बड़ी भूमिका होती है। पेरेंट्स का काम सिर्फ इतना ही नहीं है कि वे बच्चों की जरूरतें पूरी कर दें, उन्हें ट्यूशन व कोचिंग दिला दें, जरूरी किताबें खरीद दें। इन सबके अलावा भी पेरेंट्स की कुछ खास भूमिका होती है, जिनका उन्हें जरूर खयाल रखना चाहिए। उन्हें सिर्फ बच्चों से बड़ी उम्मीद ही नहीं रखनी चाहिए, बल्कि कैसे वे अपने लक्ष्य को हासिल करने में सफल हों, इसके लिए उन्हें हर स्तर पर सहयोग करना चाहिए और उनके विल पावर को बूस्ट करने की कोशिश करनी चाहिए। 

1. बच्चों पर भरोसा करें
कुछ पेरेंट्स ऐसे होते हैं, जो हमेशा अपने बच्चों को किसी न किसी बात को लेकर टोकते रहते हैं। उन्हें लगता है कि बच्चे पढ़ाई और परीक्षा को लेकर सजग नहीं हैं। दरअसल, ऐसी बात नहीं होती। हर बच्चा अपनी क्षमता और समझ के हिसाब से बढ़िया करने की कोशिश करता है। जरूरत है उन पर भरोसा करने की और उनका मनोबल बढ़ाने की। इस काम में अभिभावकों को पीछे नहीं रहना चाहिए।

2. बच्चों की समस्या जानें
पढ़ाई और परीक्षा की तैयारी के दौरान बच्चों के साथ कई तरह की समस्या हो सकती है। कई बार बच्चे सभी समस्याओं को अपने स्तर पर सुलझा नहीं पाते। इसमें उन्हें किसी न किसी की मदद की जरूरत होती है। पेरेंट्स को चाहिए कि बच्चों की समस्याओं को जानने की कोशिश करें। ज्यादातर बच्चे पेरेंट्स से डरते हैं और उन्हें अपनी समस्या नहीं बताते। इसलिए खुद आगे बढ़ कर उनकी समस्याओं को समझें और सुलझाएं।

3. बच्चों के साथ समय बिताएं
हर अभिभावक को अपने बच्चों के साथ थोड़ा समय जरूर बिताना चाहिए और उनसे पढ़ाई के अलावा दूसरे विषयों पर भी बातचीत करनी चाहिए। इससे बच्चों के मन में पेरेंट्स के प्रति भरोसा बढ़ता है और उनका आत्मविश्वास भी मजबूत होता है। भले ही आपके पास समय की कमी हो, लेकिन बच्चे के लिए समय निकालना आपकी प्राथमिकता होनी चाहिए। 

4. बच्चों को मोटिवेट करें
देखा गया है कि ज्यादातर पेरेंट्स बच्चों पर बेहतर रिजल्ट लाने के लिए मानसिक दबाव बनाते हैं। इसका परिणाम अच्छा नहीं होता। मानसिक दबाव से परफॉर्मेंस पर असर पड़ता है। इसलिए किसी तरह का दबाव बनाने की जगह आप बच्चों को मोटिवेट करें। बच्चों को महसूस करवाएं कि आपको उनकी सफलता पर पूरा यकीन है। इससे उनमें सकारात्मक मानसिकता विकसित होगी।

5. बच्चों को कभी कमतर मत आंकें
कुछ पेरेंट्स की आदत होती है कि वे अक्सर दूसरों के बच्चों से अपने बच्चों की तुलना करते हैं और दूसरों को बेहतर बताते हैं। ऐसे आकलन का कोई ठोस आधार नहीं होता। वहीं, इसका बच्चों पर बहुत नकारात्मक असर पड़ता है। उनका आत्मविश्वास कमजोर पड़ने लगता है। इसलिए ऐसी तुलना कभी मत करें। इससे बच्चों में हीन भावना का विकास हो सकता है। यह मत भूलें कि हर बच्चे में कुछ खास ही गुण होते हैं।