सार

दिल्ली के इतिहास में पहली बार ऐसा होगा, जब कांग्रेस गठबंधन में चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस ने इस बार दिल्ली विधानसभा का चुनाव गठबंधन में लड़ने का निर्णय लिया है। यह गठबंधन राष्ट्रीय जनता दल के साथ किया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक कांग्रेस 66 सीटों पर जबकि राजद चार सीटों पर अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतारेगी। 

नई दिल्ली. दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद से सियासत अपने उफान पर है। दिल्ली के रण को फतह करने के लिए सियासी दलों द्वारा तमाम कवायदें की जा रही हैं। इसी क्रम में कांग्रेस पार्टी ने महाराष्ट्र और झारखंड के चुनावी नतीजों से सबक लिया है। जिसका नतीजा है कि कांग्रेस ने इस बार दिल्ली विधानसभा का चुनाव गठबंधन में लड़ने का निर्णय लिया है। यह गठबंधन राष्ट्रीय जनता दल के साथ किया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक कांग्रेस 66 सीटों पर जबकि राजद चार सीटों पर अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतारेगी। हालांकि, अभी तक इसकी औपचारिक स्तर पर पुष्टि नहीं की गई है। बताया जा रहा है कि शनिवार को दोनों पार्टियां संयुक्त पत्रकार वार्ता कर सभी 70 उम्मीदवारों की घोषणा करेंगी। दिल्ली के इतिहास में पहली बार ऐसा होगा, जब कांग्रेस गठबंधन में चुनाव लड़ेगी।

इन सीटों पर हो रहा मंथन 

सूत्रों की माने तो पार्टी आलाकमान की सहमति से ही राजद के साथ गठबंधन का फैसला लिया जा रहा है। इसका मुख्य मकसद बिहार और पूर्वांचल के मतदाताओं को सहेजना है। बताया जा रहा है कि राजद ने पांच से 10 सीटों की मांग रखी है, जबकि कांग्रेस ने चार सीटें उत्तम नगर, बुराड़ी, किराड़ी और करावल नगर की पेशकश की है। इन सभी सीटों पर पूर्वांचल के मतदाताओं की संख्या अधिक है। वहीं, बदरपुर विधानसभा सीट को लेकर भी बातचीत का दौर चल रहा  है।

एक दो दिन में साफ होगी स्थिति 

सूत्र के अनुसार कांग्रेस पार्टी ने ने गुरुवार देर रात 42 सीटों पर उम्मीदवार के नाम फाइनल कर लिए गए हैं। जबकि शेष सीटों पर शुक्रवार रात तक नाम फाइनल कर लिए जाएंगे। इन सब के इतर राजद ने भी अपने उम्मीदवारों के नाम अंदरखाने तय कर दिए हैं। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने माना कि राजद के साथ सीटों के बंटवारे पर बातचीत चल रही है। वहीं प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा ने सिर्फ यही कहा कि अभी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है। अलबत्ता एक- दो दिन में सारी स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। माना जा रहा है कि बिहार के मतदाताओं की दिल्ली में संख्या को देखते हुए कांग्रेस ने यह निर्णय लिया है।