सार
लवली को एक वो भी दौर देखना पड़ा जब उन्हें पार्टी छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। साल 2017 में वो कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए लेकिन एक साल के भीतर ही वो वापस कांग्रेस में आ गए थे।
नई दिल्ली. राजधानी में विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद अब पार्टियों के गुमनाम नेताओं की भी चर्चा शुरू हो गई है। इसमें कांग्रेस के नेता अरविंदर सिंह लवली का नाम भी शामिल है। लवली दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के उन नेताओं में शुमार है जिन्होंने दिल्ली में कांग्रेस की सरकार को 15 साल तक सत्ता में मजबूती प्रदान करने में अहम भूमिका निभाई थी।
दिल्ली के खालसा कॉलेज से पढ़ाई करने वाले लवली का जन्म साल 1968 में हुआ है। उन्होने 1998 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में सबसे कम उम्र के नेता के रूप में जीत हासिल की थी। वो 2003, 2008 और 2013 के विधानसभा चुनाव में लगातार विजयी होते रहे हैं। इतना ही नहीं वो प्रदेश की सरकार में शिक्षा, शहरी विकास और परिवहन जैसा अहम मंत्रालय संभाल चुके हैं। साल 2019 में वो लोकसभा चुनाव में पार्टी की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर सके और उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
छात्र राजनीति से बनाई पहचान
कॉलेज के समय से लवली राजनीति में सक्रिय रहे थे। उन्होंने राजनीति में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और साल 1990 में वो दिल्ली प्रदेश यूथ कांग्रेस के जनरल सेक्रेट्री भी रहे। साल 1992 से 1996 तक लवली एनएसयूआई के जनरल सेक्रेट्री पद पर पार्टी के लिए काम करते रहे। खालसा कॉलेज का छात्र संघ चुनाव उन्होंने जीता और बी आर आंबेडकर कॉलेज में चेयरमैन पद पर भी काम किया।
काम से कम समय में मिला नाम
लवली को पूर्वी दिल्ली के गांधी नगर इलाके को विकसित करने का श्रेय दिया जाता है। इलाके में 4 महत्वपूर्ण फ्लाई ओवर, मैट्रो का लंबा नेटवर्क और सिग्नेचर टॉवर के लिए पैसे के आवंटन में लवली की भूमिका को विपक्षी दल भी सराहते हैं। उनके काम के कारण उनका नाम है। इतना ही नहीं परिवहन मंत्री के तौर पर काफी काम किया। महज छह महीने में दिल्ली की सड़कों पर लो-फ्लोर बसों की झड़ी लगा दी और किलर ब्लू लाइन बसों को दिल्ली की सड़कों से हटा दिया।
संभाली इन क्षेत्रों की कमान
लवली ने 14 न्यू बस डिपो और चार बस टर्मिनल बनाकर दिल्ली वासियों के लिए बेहद महत्तपूर्ण काम किया। वहीं बजट रेडियो टैक्सी और सभी ट्रांसपोर्ट अथॉरिटीज़ की इंटर लिंकिंग भी लवली की देन है। लवली शहरी विकास और रेवेन्यू मंत्रालय की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। उन्होंने 1000 कॉलोनी को रेगुलराइज किया था। वहीं डेवलपमेंट ऑफ अरबन विलेज स्कीम के तहत 145 गांव की दशा और दिशा सुधारने में मदद की।
पार्टी के दिग्गज नेताओं में शुमार
अरविंदर सिंह लवली की लोकप्रियता को देखते हुए कांग्रेस ने उन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव में ईस्ट दिल्ली से मैदान में उतारा था लेकिन किक्रेटर गौतम गंभीर से मुकाबले में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। अरविंदर सिंह ‘लवली’ 45 साल की उम्र में साल 2013 में दिल्ली प्रदेश का अध्यक्ष पद भी संभाल चुके हैं। कांग्रेस में अरविंदर सिंह लवली की काफी हैसियत है। वे अभी भी इस काबिल हैं कि वो पार्टी को पुर्नस्थापित करने में अहम भूमिका अदा कर सकते हैं। उनके कामों की वजह से वो कम उम्र में ही दिल्ली के दिग्गज नेताओं में शुमार हो गए लेकिन फिर उनका नाम कब गुम गया पता ही नहीं चला।
विधानसभा चुनाव में रहेगी नजर
लवली को एक वो भी दौर देखना पड़ा जब उन्हें पार्टी छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। साल 2017 में वो कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए लेकिन एक साल के भीतर ही वो वापस कांग्रेस में आ गए थे। साल 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ऐसे दिग्गज नेता की अनदेखी नहीं कर सकती। जो अपने बेबाक अंदाज़ और साफगोई की वजह से लवली दूसरे समुदायों में भी उतने ही लोकप्रिय हैं। ऐसे में इस चुनाव में लवली कांग्रेस के प्रमुख चेहरे के तौर पर बड़ी भूमिका फिर से निभा सकते हैं।