सार

आम आदमी पार्टी सहित कांग्रेस ने राम मंदिर ट्रस्ट गठन की टाइमिंग को लेकर सवाल खड़े किए हैं। विपक्ष ने एकसुर में कहा कि दिल्ली चुनाव को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार ने ट्रस्ट के गठन की घोषणा ऐसे समय में की है। 

नई दिल्ली. राजधानी में विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने शाहीन बाग मुद्दे पर तेवर सख्त अख्तियार कर सियासी फिजा को अपनी ओर मोड़ने की कवायद की है, जिससे पार्टी को संजीवनी मिली है। वहीं, दिल्ली चुनाव मतदान से महज तीन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर निर्माण के लिए श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का ऐलान किया, जिसे बीजेपी का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि दिल्ली में बीजेपी के 22 साल के सत्ता के वनवास को रामजी खत्म कर पाएंगे?  

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले पर 9 नवंबर 2019 को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए केंद्र सरकार को तीन महीने में राम मंदिर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया था। कोर्ट की यह मियाद 9 फरवरी को पूरी हो रही थी, जिसकी वजह से मोदी सरकार को बुधवार को यह फैसला लेना पड़ा। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह से राम मंदिर ट्रस्ट को बनाने की घोषणा संसद में की और इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखा है, जिसकी वजह से दिल्ली चुनाव में सियासी नजरिए से भी देखा जाने लगा है।

विपक्ष ने लगाए बीजेपी पर आरोप

आम आदमी पार्टी सहित कांग्रेस ने राम मंदिर ट्रस्ट गठन की टाइमिंग को लेकर सवाल खड़े किए हैं। विपक्ष ने एकसुर में कहा कि दिल्ली चुनाव को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार ने ट्रस्ट के गठन की घोषणा ऐसे समय में की है। इससे साफ जाहिर है कि बीजेपी के इस दांव से कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की चिंता को बढ़ा दिया है। खासकर अरविंद केजरीवाल का जो अभी तक शाहीन बाग की काट नहीं तलाश सके हैं। ऐसे में बीजेपी के राम मंदिर के कार्ड से कैसे सामना करेंगे।

जनता को लुभाने में जुटे केजरीवाल 

लोकसभा चुनाव 2019 के चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने दिल्ली की सभी सातों सीटें जीतने में कामयाब रही थी और करीब 57 फीसदी वोट हासिल किए थे। लेकिन विधानसभा चुनाव में बीजेपी की राह में केजरीवाल शिक्षा, स्वास्थ्य और बिजली-पानी की मुफ्त योजनाओं के जरिए रोड़ा बने हुए हैं।

बीजेपी ने दिल्ली में झोंक दी पूरी ताकत

बीजेपी ने राष्ट्रवाद, रामंदिर और हिंदुत्व के एजेंडे के जरिए दिल्ली में अपने सत्ता के वनवास को खत्म करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए दो रैलियां कर चुके हैं, तो अमित शाह रोड शो-जनसभाओं के जरिए लोगों तक पहुंचने की कोशिश की है।

दरअसल दिल्ली में बीजेपी पहली बार सत्ता में राम मंदिर आंदोलन के दौर में आई थी। बाबरी विध्वंस के बाद दिल्ली में पहली बार 1993 में विधानसभा चुनाव हुए तो बीजेपी 70 में 49 सीटें जीतने में कामयाब रही थी। इसके बाद से वह दोबारा सत्ता में वापसी नहीं कर सकी है। अब एक बार फिर से राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ तो बीजेपी के सत्ता में वापसी की उम्मीद नजर आ रही है।

राम मंदिर से ट्रस्ट से हित साधने की कोशिश

श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में जिस तरह से एक दलित समुदाय को जगह देना अनिवार्य किया है। इस बात जिक्र बकायदा गृहमंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर दी। इसके जरिए भी बीजेपी ने संघ और पार्टी दोनों के हित साधने की कोशिश की है।

दिल्ली में दलित़ मतदाता 12 फीसदी हैं और 12 विधानसभा  सीटें आरक्षित हैं। क्योंकि दिल्ली में दलित सीटों पर बीजेपी का ट्रैक रिकॉर्ड बेहतर नहीं रहे हैं। मौजूदा समय में दलित मतदाताओं पर केजरीवाल की मजबूत पकड़ है। बीजेपी राम मंदिर ट्रस्ट के सहारे केजरीवाल के इस वोटबैंक में सेंध लगाने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है। ऐसे में देखना होगा कि रामलला बीजेपी के लिए दिल्ली में सत्ता के मार्ग प्रशस्त हो पाएगा?