सार
Gujarat Assembly Election 2022: साबरकांठा जिले में चार विधानसभा सीटें हैं, जिनमें पिछले विधानसभा चुनाव में तीन पर भाजपा का कब्जा था, जबकि एक सीट कांग्रेस के खाते में गई थी। यहां सोमवार, 5 दिसंबर को वोटिंग होनी है।
गांधीनगर। Gujarat Assembly Election 2022: गुजरात विधानसभा चुनाव में दूसरे चरण के लिए प्रचार अभियान कुछ ही देर में खत्म हो जाएगा। इस बीच पार्टी राज्य के साबरकांठा जिले की सभी चार विधानसभा सीट पर इस बार क्लीन स्वीप करने की तैयारी कर रही है। यह सीट आदिवासी और दलित बाहुल्य है। हालांकि, बेरोगारी यहां प्रमुख मुद्दा है, मगर पार्टी को उम्मीद है कि वे अंत समय में जनता को इस बारे में मनाने और अपने पक्ष में वोट करने के लिए राजी कर लेंगे।
बता दें कि साबरकांठा जिले में दूसरे चरण में 5 दिसंबर को वोटिंग होनी है। यहां हिम्मतनगर, इदर, खेड़ब्रह्मा और प्रांतीज विधानसभा सीट शामिल हैं। खेड़ब्रह्मा कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है और पिछले चुनाव में पार्टी ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी। वहीं, भाजपा के खाते में बाकी तीनों सीटें गई थीं। मगर इस बार खेड़ब्रह्मा सीट भी कांग्रेस से छीनकर भाजपा जिले में क्लीन स्वीप करने की तैयारी कर रही है।
आप की वजह से बढ़ सकती है कांग्रेस की मुसीबत
इस जिले में पिछली बार भाजपा को तीन सीट मिली, जबकि कांग्रेस को एक सीट से संतोष करना पड़ा। कांग्रेस इस बार वो अकेली सीट भी बचाने की जुगत में है, क्योंकि करीब-करीब सभी बड़े आदिवासी नेता उसका साथ छोड़कर चले गए हैं और पार्टी को इस बार आप से भी चुनौती मिल रही है। वैसे, कांग्रेस के नेता अब भी गांवों में चुपचाप प्रचार अभियान में जुटे हैं और उन्हें उम्मीद है कि इस बार जिले में वे अपनी संख्या एक से बढ़ाकर अधिक कर लेंगे।
आंकड़ों में एक नजर साबरकांठा पर
- 5 दिसंबर को वोटिंग
- 4 विधानसभा सीट
- 3 पर भाजपा विधायक
- 1 पर कांग्रेस का कब्जा
- 30 प्रतिशत एसटी वोटर
- 20 प्रतिशत एससी वोटर
- 85 प्रतिशत वोटर ग्रामीण
हिम्मतनगर में सिरेमिक इंडस्ट्री और डेयरी प्रोसेसिंग यूनिट
इस जिले में 11 लाख वोटर्स हैं। इनमें अनुसूचित जनजाति यानी एसटी के 30 प्रतिशत वोटर हैं, जबकि अनुसूचित जाति के वोटर 20 प्रतिशत हैं। अल्पसंख्यक समुदाय के वोटर 2 प्रतिशत हैं, जबकि पटेल वोटरों की संख्या 10 प्रतिशत तक है। वहीं, क्षत्रीय, राजपूत, कोली और ब्राह्मण समेत बाकी समुदायों की संख्या 38 प्रतिशत में अलग-अलग है। इस जिले में करीब 85 प्रतिशत वोटर गांवों में रहते हैं और खेती-किसानी, छोटे व्यवसाय में शामिल हैं। हालांकि, हिम्मतनगर में सिरेमिक इंडस्ट्री और डेयरी प्रोसेसिंग यूनिट है, जिससे कुछ स्थानीय लोगों को रोजगार मिला हुआ है।
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