सार

पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन के अंतिम दिन संयुक्त समाज मोर्चा को चुनाव आयोग ने पार्टी के तौर पर मान्यता दे दी है। अब उनके सभी उम्मीदवारों को एक सिंबल मिल जाएगा। 

चंडीगढ़। पंजाब विधानसभा चुनाव (Punjab Election 2022) के लिए नामांकन के अंतिम दिन संयुक्त समाज मोर्चा को चुनाव आयोग (Election commission) ने पार्टी के तौर पर मान्यता दे दी है। कई दिनों से मोर्चा के नेता चुनाव आयोग से मांग कर रहे थे कि उनके आवेदन की ओर ध्यान दिया जाए, लेकिन नामांकन के अंतिम दिन तक यह संशय बना रहा कि मोर्चे को मान्यता मिलेगी या नहीं। मंगलवार देर शाम चुनाव आयोग ने मान्यता दे दी। 

इस बारे में मोर्चे के नेता बलबीर राजेवाला ने बताया कि आखिरकार उन्हें मान्यता मिल गई। यह किसानों की जीत है। तीन कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रही पंजाब की 23 जत्थेबंदियों ने मिलकर संयुक्त किसान मोर्चा नाम से एक पार्टी बनाई है। पार्टी ने 25 दिसंबर को चुनाव आयोग के पास आवेदन किया था। उनके आवेदन पर आयोग की ओर से ऑब्जेक्शन लगाए गए थे। इसका जवाब मोर्चे की ओर से सात जनवरी को दे दिया गया। इसके बाद भी मोर्चे को आयोग ने मान्यता नहीं दी थी। 

मंगलवार को नामांकन का आखिरी दिन था। मोर्चे ने मांग की कि उन्हें मान्यता दी जाए। मान्यता मिलती न देख कर मोर्चे की ओर से चुनाव आयोग से आग्रह किया गया कि उनके उम्मीदवारों को एक जैसा सिंबल दे दिया जाए। मोर्चे का मान्यता न मिलता देख कुछ उम्मीदवारों ने मांग उठाई थी कि गुरनाम सिंह चढूनी की पार्टी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के कप प्लेट के निशान पर चुनाव लड़ सकते हैं। इस मांग को बलबीर राजेवाल ने सिरे से खारिज कर दिया था। उनका मानना था कि इस तरह से मोर्चे का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा। क्योंकि तब सारे उम्मीदवार गुरनाम सिंह चढूनी की पार्टी के उम्मीदवार माने जाएंगे। 

बलबीर सिंह ने बताया किसानों की जीत
चुनाव आयोग ने मान्यता मिलने के बाद मोर्चे को राहत मिली है। जानकारों का कहना है कि यह मोर्चे के लिए खासी राहत की बात है। क्योंकि अब उनके सभी उम्मीदवारों को एक सिंबल मिल जाएगा। इतना ही नहीं अब जीतने वाले उम्मीदवारों  पर जनप्रतिनिधि अधिनियम के नियम लागू होंगे। बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि यह किसानों की जीत है। 

बलबीर सिंह ने कहा कि भाजपा व आम आदमी पार्टी ने पूरी कोशिश की थी कि मोर्चे को मान्यता न मिले। इसलिए नामांकन के आखिरी दिन तक उनका पंजीकरण रोके रखा, लेकिन इससे उनके हौसले और उत्साह कम नहीं हुआ। क्योंकि यह किसानों के हक की लड़ाई है। इसके लिए जितनी भी दिक्कत आएगी वह पीछे हटने वाले नहीं है। उन्होंने बताया कि मोर्चे की वजह से आम आदमी पार्टी का आधार पंजाब में कमजोर हो रहा है, इसलिए उनकी कोशिश की थी कि मान्यता न मिले। अंत में किसानों के संघर्ष की जीत हुई है।

 

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