सार
एकनाथ की बेटी रोहिनी अपने पित की विरासत नहीं बचा पाई और भाजपा को इस सीट पर हार का मुंह देखना पड़ा है।
जलगांव/मुंबई. महाराष्ट्र की मुक्ताइनगर सीट में भारतीय जनता पार्टी को अपने अनावश्यक बदलाव का खामियाजा भुगतना पड़ा है। यहां पिछले 28 सालों से एकनाथ खड़से लगातार पार्टी के लिए चुनाव जीत रहे थे, पर पार्टी मैनेजमेंट ने जबरदस्ती का एक्सपेरिमेंट करते हुए इस बार उनकी बेटी को टिकट दे दिया। एकनाथ की बेटी रोहिनी अपने पित की विरासत नहीं बचा पाई और भाजपा को इस सीट पर हार का मुंह देखना पड़ा है।
विधानसभा चुनाव 2019 के लिए बीजेपी ने अपने कई दिग्गजों का टिकट काट दिया था। इसमें एक नाम पार्टी के कद्दावर नेता और मुक्ताईनगर से मौजूदा विधायक एकनाथ खड़से का भी था।
एकनाथ को टिकट मिलेगा या नहीं पार्टी ने नामांकन के आखिरी दिन तक सस्पेंस बनाए रखा। पार्टी के रवैये को भांपकर एकनाथ ने निर्दलीय नामांकन भी कर दिया और बगावती तेवर दिखाए। मगर आखिरी लिस्ट में बीजेपी ने दिग्गज नेता को चौंकाते हुए उनकी बेटी रोहिणी खड़से को टिकट थमा दिया। एकनाथ ने पार्टी के फैसले को स्वीकार कर लिया और बेटी को उम्मीदवार बनाए जाने का स्वागत किया क्योंकि उनकी सीट उनके घर में ही थी।
कौन हैं रोहिणी खड़से?
एकनाथ की दो बेटियां हैं। रोहिणी दूसरी बेटी हैं। बड़ी बेटी हाउस वाइफ हैं। रोहिणी 36 साल की हैं। उनकी शिक्षा-दीक्षा मुंबई और पुणे में पूरी हुई है। इन्होंने एलएलएम तक की डिग्री हासिल की है। रोहिणी जलगांव जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक की अध्यक्ष भी हैं।
1991 से लगातार जीत रहे थे एकनाथ खड़से
एकनाथ खड़से 1991 से मुक्ताईनगर सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्होंने एक के बाद एक लगातार 6 विधानसभा चुनाव लड़े और सभी में जीत हासिल की। मुक्ताइनगर सीट भाजपा के लिए जीत का पर्याय बनी हुई थी। इस बार पार्टी कमान ने अनावश्यक बदलाव करते हुए एकनाथ की बजाय उनकी बेटी को टिकट दे दिया और पार्टी को लगभग 28 साल बाद हार का सामना करना पड़ा। उनकी बहू रावेर लोकसभा सीट से पार्टी की सांसद हैं। रक्षा, निखिल खड़से की विधवा हैं। इन्होंने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में शानदार जीत दर्ज की है।
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