सार

भूषण कुमार ने टी-सीरीज के बैनर तले लगभग 550-700 करोड़ रुपए खर्च कर ‘आदिपुरुष’ का निर्माण कराया है, जिसे 'तान्हाजी : द अनसंग वॉरियर' के डायरेक्टर ओम राउत ने निर्देशित किया है। फिल्म म्यूजिक को छोड़ कर हर स्तर पर निराश करती है।

एशियानेट रेटिंग2.5/5
स्टारकास्टप्रभास, कृति सेनन, सैफ अली खान, सनी सिंह, देवदत्त नागे, वत्सल सेठ और सोनल चौहान
डायरेक्टरओम राउत
प्रोड्यूसरभूषण कुमार, कृष्ण कुमार, ओम राउत
म्यूजिकसंचित बलहारा, अंकित बलहारा, अजय अतुल, सचेत-परम्परा
जॉनरएपिक मायथोलॉजिकल ड्रामा

 

एंटरटेनमेंट डेस्क. मोस्ट अवैटेड फिल्म 'आदिपुरुष' (Adipurush) सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। कहने को तो यह फिल्म मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की कथा है, जो विश्व विजेता राक्षस राजा रावण पर विजय प्राप्त कर बताते हैं कि पाप कितना ही बड़ा क्यों ना हो, जीत हमेशा सच्चाई की होती है। लेकिन अगर आप फिल्म देखेंगे तो यह रामायण की कथा कम, एक काल्पनिक कहानी ज्यादा लगेगी। क्योंकि ना तो कहानीकार फिल्म की कथा के साथ न्याय कर पाया है और ना ही एक्टर्स पौराणिक किरदारों की छवि हमारे जेहन पर छोड़ पाए हैं। हमने अब तक जो टीवी और थिएटर्स में देखा है, जो कथाओं में सुना है, जिसे किताबों में पढ़ा है, 'आदिपुरुष' में दिखाई गईं कई घटनाएं उससे मेल ही नहीं खाती हैं।

कैसी है ‘आदिपुरुष’ की कहानी

फिल्म की कहानी 'रावण' की तपस्या से शुरू होती है, जिसे ब्रह्माजी से वरदान मिलता है कि "ना दिन में ना रात में , ना जल में ना वायु में, न धरती पर, ना आसमान में,, ना किसी देव, ना किसी दानव के हाथों से तुम्हे मृत्यु नहीं मिलेगी।" कहानी आगे बढ़ती है और फिर अपनी बहन सूर्पणखा के बहकावे में आकर रावण छल से माता सीता का हरण कर लेता है, जो पति श्रीराम और देवर लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष का वनवास काट रही हैं। फिर हनुमान राम मिलन, लंका दहन, सेतु बंधन से लेकर रावण मरण तक की कहानी नाटकीय रूप से दिखाई जाती है, जिसके लिए आप फिल्म देखनी होगी।

आदिपुरुष की स्टारकास्ट की एक्टिंग?

सही कहें तो 'रामायण' के पात्रों के बारे में जितना रामानंद सागर  के ‘रामायण’ या फिर लोक कथाओं से जाना है, उसके हिसाब से कोई भी किरदार रोल में फिट नहीं बैठता है। हमने राम के बारे में यही सुना, पढ़ा और देखा है कि वे सौम्य स्वभाव वाले पुरुष थे, जिनके मुखारबिंद पर हमेशा मुस्कान रहती थी। लेकिन प्रभास ने गुस्सैल स्वभास्व वाले राम का किरदार जिया है, जिसे तरह-तरह के एक्शन करते भी देखा जाता है। जानकी यानी सीता के रोल में कृति सेनन की एक्टिंग कुछ हद तक ओवर लगती है। लक्ष्मण के रोल में सनी सिंह कुछ हद तक ठीक हैं। हनुमान बने देवदत्त नागे को किसी कार्टून की तरह पेश किया है। वे इस किरदार के साथ न्याय नहीं कर पाते हैं। लंकेश रावण के रोल में सैफ अली खान की पेर्सनैलिटी ठीक है, लेकिन उनका गेटअप और उनका लहजा किरदार को फीका कर देता है। वत्सल सेठ इंद्रजीत के रोल में कार्टून लगे हैं। बाकी एक्टर्स ने भी कुछ खास एक्टिंग नहीं की है। 

डायरेक्शन के स्तर पर कमजोर है फिल्म

ओम राउत की कहानी तो कमजोर है ही, डायरेक्शन भी निराशाजनक है। 'रामायण' जैसे महाकाव्य पर बेस्ड 'आदिपुरुष' को उन्होंने ऐसे पेश करने की कोशिश की है, जैसे उन्होंने कोई आम फिल्म बनाई है। कई सीन ऐसे हैं, जो सिर के ऊपर से जाते हैं। जैसे कि राम-रावण युद्ध की शुरुआत में लक्ष्मण को शक्ति लग जाना और उसे नागपाश का नाम देना। जबकि जिसने रामायण थोड़ी-बहुत भी जानी है, उसे पता है कि नागपाश बंधन था, जिसमें राम और लक्ष्मण दोनों को बांधा गया था और गरुण ने जिसे काटा था, जबकि शक्ति लक्ष्मण को लगी थी और हनुमान ने संजीवनी लाकर उनके प्राण बचाए थे। इसी तरह शक्ति के प्रहार से मूर्छित हुए लक्ष्मण के प्राण बचाने के लिए लंका से वैद्य सुषेण को लाया जाता है। लेकिन आदिपुरुष में विभीषण के साथ राम के पास आई एक महिला ना केवल संजीवनी का पता बताती है, बल्कि लक्ष्मण का उपचार भी करती है। ऐसे ही कई लूपहोल कहानी में हैं, जो फिल्म को असल कहानी से कोसों दूर एक कार्टून मूवी की तरह दिखाते  है। 

शानदार है ‘आदिपुरुष’ का म्यूजिक

फिल्म का म्यूजिक ही है, जो इसकी इज्ज़त बचाए हुए है। इसके गाने 'राम सिया राम' और 'जय श्री राम' इसकी रिलीज से पहले से ही लोगों की जुबान पर चढ़े हुए हैं। बाकी गाने भी सुमधुर हैं, जिन्हें सुना जा सकता है। 

देखें या नहीं?

अगर आपने रामानंद सागर का सीरियल 'रामायण' देखा है और आप सोच रहे हैं कि आदिपुरुष भी उसी लेवल की फिल्म होगी तो आपको निराशा हाथ लगेगी। हां, अगर प्रभास के डाई हार्ट फैन हैं और उनकी फिल्म देखे बिना नहीं रह सकते तो अपनी रिस्क पर आप यह फिल्म देख सकते हैं।

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