धर्मेंद्र ने अपने गांव के साथ-साथ अपनी मां को भी याद किया। उन्होंने कहा- मुझे अपने गांव की याद आ गई। मेरी मां लकड़ी के चूल्हे पर अपने हाथ से खाना बनाती थी। वो टेस्ट तो नहीं आ सकता है लेकिन वैसा ही टेस्ट है कुछ। कोरोना की वजह से अटक गया हूं फार्म हाउस पर, लेकिन अच्छा लग रहा है यहां की ताजा सब्जियां खाता हूं, ट्रैक्टर चलाता हूं। आप घबराइये मत, कोरोना जल्दी भाग जाएगा।