सार

वायरल तस्वीर के सच का पता लगाने के लिए गूगल के रिवर्स इमेज टूल की मदद ली गई। पड़ताल में पता चला कि जवान की जो तस्वीर 2011 की बताई जा रही है, वह असल में 2017 की है। 

क्या वायरल हो रहा है: इन दिनों सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि सीआरपीएफ के जवानों को अत्याधुनिक गियर दिया गया है। तस्वीर के साथ लिखा है, सीआरपीएफ जवान 2011 बनाम सीआरपीएफ जवान 2022। जय हिंद। इस कैप्शन के साथ दो तस्वीरें शेयर की गई हैं।

क्या है वायरल तस्वीर का सच:

  • वायरल तस्वीर के सच का पता लगाने के लिए गूगल के रिवर्स इमेज टूल की मदद ली गई। पड़ताल में पता चला कि जवान की जो तस्वीर 2011 की बताई जा रही है, वह 2017 में खींची गई थी। दूसरी तस्वीर सीआरपीएफ के एलीट कमांडो विंग के एक मेंबर की है।
  • पहली तस्वीर में एक जवान को खाकी पैंट और इंसास राइफल के साथ दिखाया गया है। रिवर्स सर्च से पता चलता है कि फोटोग्राफर अरबाज मुगल ने 2017 में श्रीनगर में अलामी न्यूज लाइव के लिए इस तस्वीर को क्लिक किया था। इससे ये साबित होता है कि पहली तस्वीर एक दशक पुरानी नहीं है, जैसा कि पोस्ट में दावा किया जा रहा है।
  • दूसरी तस्वीर की बात करें तो इसमें नाइट-विजन हेलमेट के साथ एक जवान दिख रहा है। उनकी वर्दी का रंग ग्रे है। करीब से देखने पर उनकी एक आस्तीन पर वैली क्यूएटी लिखा हुआ दिख रहा है। इसे सर्च करने पर पता चला कि जम्मू-कश्मीर में सीआरपीएफ की आतंकवाद विरोधी कमांडो यूनिट को वैली क्विक एक्शन टीम या वैली क्यूएटी कहा जाता है।  

निष्कर्ष: वायरल तस्वीर की पड़ताल करने पर पता चला कि  सीआरपीएफ जवान अभी भी खाकी वर्दी में तैनात रहते हैं। वायरल दावे में सीआरपीएफ जवानों की दोनों तस्वीरें अलग-अलग हैं। दोनों को गलत दावे के साथ वायरल किया जा रहा है। इसलिए अगर आपके पास ऐसी कोई पोस्ट आए तो बिना सच आगे आगे फॉरवर्ड न करें। 

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