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Raksha Bandhan 2022: पहला रक्षासूत्र किसने किसको बांधा था? जानकर चौंक जाएंगे आप भी

Raksha Bandhan 2022: धर्म ग्रंथों के अनुसार, रक्षाबंधन पर्व हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस बार पंचांग भेद के कारण ये पर्व 11 व 12 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन बहन-भाई का प्यार देखते ही बनता है। इस पर्व से जुड़ी कई मान्यताएं और परंपराएं भी हैं, जो इसे खास बनाती हैं। धर्म ग्रंथों में रक्षाबंधन पर्व को लेकर कई कथाएं भी मिलती हैं। आज हम आपको रक्षाबंधन से जुड़ी कुछ ऐसी ही कथाओं के बारे मे बता रहे हैं… 

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Manish Meharele
Published : Aug 10 2022, 09:15 AM IST
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पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार देवताओं और दानवों में भयंकर युद्ध हुआ। दानवों से डरकर देवताओं की सेना भागने लगी। इस युद्ध में इंद्र की शक्ति भी दानवों के आगे क्षीण हो गई। सभी देवता अपने प्राण बचाकर भागने लगे। तभी इंद्र की पत्नी शचि देवगुरु बृहस्पति के पास गई और उन्हें पूरी बात बताई। देवगुरु ने कहा “मैं मंत्रों से अभिमंत्रित एक रक्षा सूत्र तैयार करुंगा, जिसे तुम श्रावणी पूर्णिमा पर शुभ योग में देवराज इंद्र की कलाई पर बांध देना। इसके प्रभाव से देवताओं को विजय प्राप्त होगी।” शचि ने ऐसा ही किया और उस रक्षा सूत्र के प्रभाव से देवताओं ने दानवों पर विजय प्राप्त की। इस तरह पहला रक्षा सूत्र बहन ने भाई को नहीं बल्कि पत्नी ने पति को बांधा था।
 

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धर्म ग्रंथों के अनुसार, जब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बलि से तीन पग धरती दान में मांगी। इन तीन पग में वामन भगवान धरती, आकाश सभी कुछ नाप दिया। तब प्रसन्न होकर भगवान वामन ने राजा बलि को पाताल का राजा बना दिया और वरदान मांगने को कहा। राजा बलि ने भगवान से कहा कि “आप भी मेरे साथ पाताल में निवास कीजिए।“ भगवान भी बलि के साथ पाताल लोक चके गए। जब ये बात देवी लक्ष्मी को पता चली तो वे पाताल लोक पहुंची और उन्होंने राजा बलि को रक्षा सूत्र बांधकर अपना भाई बना लिया। राजा बलि ने देवी लक्ष्मी को उनके पति यानी भगवान विष्णु उपहार स्वरूप लौटा दिए।
 

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रक्षाबंधन की एक अन्य कथा के अनुसार, जब पांडव राजसूय यज्ञ कर रहे थे, तब उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण को अग्रपूजा के लिए चुना। ये देखकर शिशुपाल नाम का राजा श्रीकृष्ण को अपशब्द कहने लगा। काफी देर तक श्रीकृष्ण उसकी बात सुनते रहे क्योंकि उन्होंने शिशुपाल की 100 गलतियां माफ करने का वचन उसकी मां को दिया था। जैसे ही ये संख्या पूरी हुई श्रीकृष्ण ने अपने चक्र से उसका मस्तक काट दिया। इस दौरान श्रीकृष्ण की उंगली में भी चोंट आ गई थी, जिस पर द्रौपदी ने अपने वस्त्र से एक टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर पट्टी बांधी थी। तभी से रक्षाबंधन का पर्व मनाया जा रहा है।
 

About the Author

MM
Manish Meharele
मनीष मेहरेले। मीडिया जगत में इनके पास 19 साल से ज्यादा का अनुभव है। वर्तमान समय में ये एशियानेट न्यूज हिंदी के साथ जुड़कर धर्म-आध्यात्म बीट पर काम कर रहे हैं। करियर की शुरुआत इन्होंने स्थानीय अखबार दैनिक अवंतिका से की थी। इसके बाद वह दैनिक भास्कर प्रिंट उज्जैन में वाणिज्य डेस्क प्रभारी रहे और 2010-2019 तक दैनिक भास्कर डिजिटल में धर्म डेस्क पर काम किया। इन्हें महाभारत, रामायण जैसे धार्मिक ग्रंथों का अच्छा ज्ञान है। इनके पास जीव विज्ञान में बीएससी स्नातक की डिग्री है।
रक्षा बंधन

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