किसी का भी खेल बना या बिगाड़ सकती हैं ये 7 विधानसभा सीटें, 1000 से भी कम मतों से हुआ था हार-जीत का फैसला
First Published Nov 7, 2020, 3:19 PM IST
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में तीन चरणों के तहत 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव हो रहे हैं। इस बार चुनाव का पेंच काफी उलझा हुआ है। राजनीति और गठबंधनों का स्वरूप ही कुछ इस तरह है कि किसी भी तरह का पूर्वानुमान लगाना मुमकिन नहीं है। दरअसल, पिछली बार बिहार के बड़े दलों के गठबंधन का स्वरूप अलग था। पिछली बार महागठबंधन में जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस शामिल थीं। इस बार महागठबंधन में आरजेडी कांग्रेस के साथ सीपीआई एमएल, सीपीआई और सीपीएम शामिल हैं। इसी तरह एनडीए में इस बार बीजेपी, वीआईपी और हम के साथ जेडीयू है। एलजेपी अकेले चुनावी मैदान में हैं। 2015 में गठबंधन के बदले स्वरूप में 7 विधानसभा सीटों पर बहुत रोचक मुक़ाबला हुआ था। ये बिहार की वो सीटें हैं जहां 1000 से भी कम मतों से हार जीत का फैसला हुआ। बदले राजनीतिक माहौल में इन 8 विधानसभा सीटों के नतीजे किसी का भी खेल बना या बिगाड़ सकती हैं। ये सीटें बताती हैं कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में एक वोट की कीमत क्या होती है। आइए जानते हैं बिहार की इन सीटों के नतीजों के बारे में...

तरारी में 272 मतों से हुआ था फैसला
2015 के चुनाव में बिहार की तरारी विधानसभा सीट पर सिर्फ 272 मतों से फैसला हुआ था। तरारी सीट भोजपुर जिले में आती है। सीपीआई एमएल के प्रत्याशी सुदामा प्रसाद ने एलजेपी की गीता पांडे को सिर्फ 272 मतों शिकस्त दी थी। यहां कुल 14 प्रत्याशी थे। सुदामा को 44, 050 वोट और गीता पांडे को 43,778 वोट मिले थे। तीसरे नंबर पर कांग्रेस के अखिलेश प्रसाद सिंह को 40,957 वोट मिले थे।

चनपटिया में 464 वोट से हुआ था फैसला
पश्चिम चंपारण जिले की चनपटिया विधानसभा सीट पर 2015 में 10 प्रत्याशी थे। बीजेपी के प्रकाश राय ने 464 मतों से जेडीयू के एएन शाही को हराकर ये सीट जीती थी। प्रकाश राय को 61,304 जबकि शाही को 60,840 मिले थे।
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