ये रहे 8 बाहुबली, जो खुद बनाते थे कानून, खौफ से डरता था बिहार
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बिहार के बाहुबलियों का जब भी जिक्र होगा सबसे ऊपर अशोक सम्राट का नाम लिया जाता है। बेगूसराय में पैदा हुआ अशोक अपने दौर का खौफनाक डॉन था। वह कानून को कुछ नहीं समझता था। बताते हैं कि बिहार की पुलिस ने भी जब एके-47 देखा नहीं था, तब वह उसे इस्तेमाल करता था। हत्याएं करता था। हालांकि 1995 में हाजीपुर में चर्चित एनकाउंटर में मार दिया गया था।
(फाइल फोटो)
शहाबुद्दीन ने छोटी उम्र में ही अपराध की दुनिया में कदम रख दिया था। उसके खौफ का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सीवान में लोगों के घरों और दुकानों में उसकी तस्वीर दिखती थी। लोग अपने ही पैसे से अपनी जरूरतों को पूरा करने से डरते थे। बताते हैं राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के करीबी होने के कारण चार बार सांसद दो और बार विधायक बना था। 1996 में तो वह लालू की कृपा से केंद्रीय राज्य मंत्री भी बनने वाला था। मगर, एक पुराना केस खुलने की वजह से ऐसा नहीं हो पाया। आखिर में तेजाब कांड में उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई, जो तिहाड़ जेल में बंद है।
(फाइल फोटो)
सूरजभान सिंह का खौफ एक समय ऐसा था कि उसके क्षेत्र में लोग नाम से भी डरते थे। कहते है कि जिस व्यक्ति की वजह से उसके के परिवार का पेट भरता था, वो उससे भी रंगदारी लेता था। जिसके चलते उसके पिता ने गंगा में छलांग लगाकर जान दे दी थी। सूरजभान के ऊपर कई चर्चित आरोप दर्ज हैं। इनमें बिहार सरकार के मंत्री की हत्या समेत 30 से ज्यादा मामले हैं। एक मामले में आरोप सिद्ध होने पर कोर्ट ने उम्रकैद की सजा भी दी। बाद में निर्वाचन आयोग ने चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी। बाद में पत्नी के जरिए राजनीति करने लगा।
(फाइल फोटो)
आनंद मोहन एक जमाने में उत्तरी बिहार के कोसी क्षेत्र के बाहुबली कहलाते थे। राजनीति में उनकी एंट्री 1990 में हुई। तब पहली बार सहरसा से MLA बने थे। पप्पू यादव से हिंसक टकराव की घटनाएं देश भर में सुर्खिया बनीं थी। बता दें कि गोपालगंज के डीएम जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में फिलहाल जेल में बंद हैं। हाई कोर्ट ने उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी, जेल में अपने गुनाहों की सजा काट रहे हैं।
(फाइल फोटो)
बिहार के बाहुबली नेताओं में अनंत सिंह की भी गिनती होती है। अनंत सिंह को कभी सीएम नीतीश कुमार का बहुत करीबी माना जाता था। लेकिन बाद में दोनों के रिश्ते तल्ख हो गए। एक समय अनंत के खिलाफ कई आपराधिक मामले थे। इनमें हत्या, रंगदारी और अपहरण के 30 मामले दर्ज हैं। अनंत फिलहाल एक मामले में जेल में बंद हैं।
(फाइल फोटो)
सुनील पांडेय का भी नाम किडनैपिंग, हत्या जैसे मामलों आया था। 23 जनवरी 2015 को आरा कोर्ट परिसर में बम ब्लास्ट हुआ था। इस बम ब्लास्ट में एक महिला की मौत हो गई थी, जबकि तीन अन्य लोग घायल हो गए थे। इसी मामले में सुनील पांडेय को अभियुक्त बनाया गया था। 11 जुलाई 2015 को उनकी गिरफ्तारी हुई थी। 2019 में कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। वह दो बार विधायक रह चुके हैं।
(फाइल फोटो)
राजन तिवारी पर यूपी और बिहार में हत्या और किननैपिंग के कई मामले सामने आए थे। बिहार से दो बार विधायक रह चुके राजन तिवारी का अपराध की दुनिया से बहुत पुराना नाता है। मूलरूप से गोरखपुर के सोहगौरा निवासी राजन पर किडनैपिंग का मामला 2005 में सामने आया, जिसकी लंबी कानून प्रक्रिया के बाद उन्हें कोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया।
(फाइल फोटो)
1990 के दशक में अपनी दबंगई से खबरों में रहने वाले पप्पू यादव के खिलाफ करीब 17 से ज्यादा आपराधिक मामले बताए जाते हैं। फिलहाल वह जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष हैं। उनपर कानून का शिकंजा तब कसा गया था जब कम्युनिस्ट पार्टी के विधायक अजीत सरकार की हत्या हुई थी। हत्या के आरोप में अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया। पप्पू यादव कभी लालू यादव के करीबी रहे। कई बार लोकसभा सांसद के रूप में बिहार का प्रतिनिधित्व भी किया। अब पप्पू यादव अब पूरी तरह से राजनीति और समाज कार्यों में ही सक्रिय रहते हैं।
(फाइल फोटो)