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बिहार में जहरीली शराब ने मचाया तांडव:32 लोगों की मौत, किसी के पिता तो किसी के बेटे की मौत, कई महिला हुईं विधवा
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दरअसल, जहरीली शराब से मरने वालों का सबसे ज्यादा आंकड़ा भागलपुर जिले का है। जहां होली के दिन से लेकर अब तक 17 लोग इस जहर को पीने से दम तोड़ चुके हैं। वहीं बांका जिले में 12 लोगों की मौत हुई है, तो मधेपुरा में भी 3 सांसे थुम चुकी हैं। जबकि कई लोगों की हालत गंभीर बताई जा रही है, जिनका इलाज जारी है।
बता दें कि शराब से मौतों के लिए सरकार और अफसर जिम्मेदार भले ही हों, लेकिन जिनका अपना गया है उनका रो-रोकर बुरा हाल है। किसी के पिता की मौत हो गई तो किसी के पति ने दम तोड़ दिया। वहीं कुछ ऐसे हैं जो अपने परिवार में अकेले कमाने वाले थे। लेकिन इस जहरीली शराब ने उनको भी निगल लिया। पीड़ित परिवार सरकार और प्रशासन के आगे शराब बेचने वाले माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहा है।
मृतक बिनोद राय के बेटे चंदन राय का कहना है कि उनके पिता की शराब पीने से मौत हुई है। लेकिन पुलिस इसको मान नहीं रही है। वह आरपियों को पकड़ने की बजाय हमें जिम्मेदार बता रही है। वहीं शराब पीने वाले छोटू को अब कुछ दिखाई नहीं दे रहा है। बांका के अमरपुर थाना क्षेत्र के जो अन्य लोगों को दिखाई नहीं दे रहा है। मृतकों के परिजनों ने बताया कि सभी को पेट दर्द, उल्टी, सांस लेने में परेशानी, सिर चकराने की शिकायत थी। सभी ने एक दिन पहले शराब भी पी रखी थी।
होली के दिन से लेकर अब तक जिस तरह 32 लोगों की मौत हो गई है। इसके बाद शराबबंदी कानून पर सवाल उठना शुरू हो गया है। स्थानीय लोगों के राज्य के तमाम राजनीतिक दलों ने नीतीश सरकार के खिलाफ हमला करना शुरू कर दिया है। भागलपुर के विधायक अजीत शर्मा ने कहा कि बिहार में शराबबंदी फेल है। सिर्फ कागजों में कहनों को यहां पर शराबबंदी है। बिहार में धड़ल्ले से शराब मिल रही है। शराबबंदी की आड़ में जहरीली शराब का धंधा फल-फूल रहा है।
स मामले पर विपक्षी नेता और मृतकों के परिजन का कहना है कि शासन के लोग जहरीली शराब की बात दबाने की कोशिश कर रहे हैं। उनका कहना है कि किसी बीमारी की वजह से लोगों की जान जा रही है। एक तरफ जहां पुलिस-प्रशासन कुछ भी कहने से बच रहा है। वहीं परिवार के लोगों का साफ कहना है कि उनके अपनों की मौत जहरीली शराब पीने से ही हुई है।
बता दें कि बिहार में कहने को तो शराबंदी है, लेकिन फिर भी गांव से लेकर शहर तक में शराब खुलेआम बिकती है। साल 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वादा किया था कि अब से राज्य में ना तो कोई शराब पिएगा और ना ही मिलेगी। क्योंकि सुशासन बाबू इस ऐलान के बाद महिलाओं की वोट अपने पक्ष में करना चाहते थे। हालांकि हुआ भी वही जैसा सीएम ने चाहा, जिसके चलते महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत 60 के करीब हो गया था। महिलाओं ने बढ़ चढ़कर उनको वोट दिया और राज्य में नीतीश की सरकार बनाई। लेकिन अब तो आए दिन अवैध शराब पीने से लोगों की मौतें हो रही हैं। जिसको लेकर राज्य सरकार पर अब कई सवाल खड़े होने लगे हैं।