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4 करोड़ में बनी DDLJ ने की थी बजट से 25 गुना ज्यादा कमाई, एक थिएटर में तो 20 साल तक चलती रही फिल्म
मुंबई। बॉलीवुड की सबसे यादगार फिल्मों में से एक 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' (Dilwale Dulhania Le Jayenge) को रिलीज हुए 25 साल हो चुके हैं। 20 अक्टूबर 1995 को रिलीज हुई इस फिल्म ने भारतीय सिनेमा जगत में कई इतिहास रचे। मसलन, 4 करोड़ के बजट में बनी इस फिल्म ने आज से 25 साल पहले भारत में 89 करोड़ रुपए कमाए, जबकि विदेशों में इसका कलेक्शन 14 करोड़ रुपए के आसपास था। कुल मिलाकर फिल्म ने अपनी लागत से करीब 25 गुना ज्यादा कमाई की। फिल्म की सिल्वर जुबली पर जानते हैं इस मूवी से जुड़े कुछ इंटरेस्टिंग फैक्ट्स।
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इतना ही नहीं, 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' बॉलीवुड की सबसे लंबे वक्त तक चलने वाली फिल्म भी है। यह फिल्म मुंबई के मराठा मंदिर में 1009 हफ्तों (करीब 20 साल) तक चली थी। इस फिल्म को 1996 में हुए फिल्मफेयर अवॉर्ड्स में 14 कैटेगरी में नॉमिनेशन मिला था जिसमें से 10 अवॉर्ड्स इसने अपने नाम किए थे।
फिल्म का टाइटल 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' अनुपम खेर की पत्नी किरण खेर ने सुझाया था। दरअसल, आदित्य चोपड़ा को इसका टाइटल समझ नहीं आ रहा था तब किरण खेर ने 1974 में आई फिल्म 'चोर मचाए शोर' के गाने 'ले जाएंगे ले जाएंगे दिलवाले..' से ये टाइटल निकाला था। इस बात का उल्लेख यशराज फिल्म्स की किताब ‘आदित्य चोपड़ा रिवील्स...दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ में आदित्य चोपड़ा ने खुद किया है।
डायरेक्टर अदित्य चोपड़ा इस फिल्म में पहले टॉम क्रूज को लेना चाहते थे। फिल्म का टाइटल भी पहले 'द ब्रेवहर्ट विल टेक द ब्राइड' रखा था। हालांकि अगर टॉम क्रूज ये फिल्म करते तो ना तो शाहरुख जैसे एक्सप्रेशन दे पाते और ना ही सरसों के खेत में नाचते। फिर यश चोपड़ा ने बेटे आदित्य को समझाया और शाहरुख की बतौर हीरो एंट्री हुई।
शाहरुख खान भी इसमें काम करने के लिए इतनी आसानी से नहीं माने थे। आदित्य चोपड़ा को शाहरुख के साथ 4 मीटिंग करनी पड़ी, तब जाकर उन्होंने रोल एक्सेप्ट किया था। शाहरुख बेहद लकी थे, जो किस्मत ने 4 बार उनका दरवाजा खटखटाया। वैसे, शाहरुख नहीं मानते तो आदित्य ने इस रोल के लिए सैफ अली खान का नाम तय कर रखा था।
फिल्म का सुपरहिट गाना 'मेरे ख्वाबों में जो आए' में काजोल का टॉवल डांस तो सभी ने देखा है। लेकिन क्या आपको पता है कि इस गाने को काजोल से करवाने के लिए मेकर्स को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। काजोल ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्हें टॉवल में शूट करने का आइडिया पसंद नहीं था। लेकिन बाद में वो मान गई थीं।
काजोल (सिमरन) के मंगेतर (कुलजीत) के रोल के लिए भी पहले अरमान कोहली से बात की गई थी। हालांकि, ऑडिशन पर जब परमीत सेठी बूट्स, जीन्स और वेस्टकोर्ट पहन कर आए, तो स्क्रीन टेस्ट में उन्हें ही पास कर दिया गया।
'मेहंदी लगा के रखना' गाने में काजोल के लिए जब मनीष मल्होत्रा ने हरे रंग का सूट डिजाइन किया तो आदित्य चोपड़ा को पसंद नहीं आया। वो इस बात पर अड़ गए कि पंजाबी परिवारों में लड़कियां लाल, मरून या गुलाबी कपड़े पहनती हैं। हालांकि बाद में इसी ड्रेस में गाना शूट हुआ।
फिल्म के एक सीन में अनुपम खेर शाहरुख को अपने दादा-परदादा की पढ़ाई में नाकामयाबी के किस्से सुनाते हैं। ये किस्सा हकीकत में अनुपम खेर के सगे अंकल के नाम हैं, जो कि वाकई पढ़ाई में बेहद कमजोर थे।
शाहरुख खान पर फिल्माया गया फेमस 'पलट सीन' क्लिंट ईस्टवुड की 1993 में आई अमेरिकन फिल्म 'इन द लाइन ऑफ फायर' के एक सीन से इंस्पायर्ड था। आदित्य ने जब यह फिल्म देखी तो ईस्टवुड का उन्हें वो सीन याद रह गया, जिसमें एक्टर की गर्लफ्रेंड जा रही होती है और वह उसे मुड़ने के लिए कहते हैं।
फिल्म में शाहरुख द्वारा पहनी गई सिग्नेचर लेदर जैकेट को उदय चोपड़ा ने कैलिफोर्निया के हार्ले डेविडसन स्टोर से महज 400 डॉलर में खरीदा था। वहीं, सुपरहिट सॉन्ग 'तुझे देखा तो ये जाना सनम' जिन पीली सरसों के खेतों में शूट हुआ, वो गुड़गांव में है।
भारतीय सिने इतिहास की यह पहली ऐसी फिल्म थी, जिसने अपनी मेकिंग को भी प्रोड्यूस किया था। तकनीकी तौर पर तब से उसे 'बिहाइंड द सीन' के नाम से जानते हैं। आदित्य चोपड़ा के छोटे भाई उदय चोपड़ा फिल्म में उनके असिस्टेंट थे जिन्हें मेकिंग रिकॉर्ड करने की जिम्मेदारी मिली।