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बाबा रामदेव कभी साइकिल पर बेचते थे च्यवनप्राश, ऐसे खड़ा कर दिया अरबों का साम्राज्य; दुनिया ने माना लोहा
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कभी साइकिल पर बेचते थे च्यवनप्राश
आज अरबों का कारोबार करने वाली कंपनी पतंजलि को खड़ा करने वाले योगगुरु बाबा रामदेव कभी अपने सहयोगी आचार्य बालकृष्ण के साथ साइकिल पर घूम कर च्यवनप्राश बेचा करते थे। लेकिन धीरे-धीरे योग प्रशिक्षण शिविर चलाने के साथ उन्होंने पतंजलि को एक व्यापारिक कंपनी के तौर पर खड़ा कर दिया।
पंतजलि आयुर्वेद की स्थापना की
बाबा रामदेव ने हरिद्वार में पतंजलि आयुर्वेद की स्थापना की। इन्होंने हरिद्वार में आयुर्वेदिक चिकित्सा केंद्र भी बनाया। पतंजलि आयुर्वेद में ये तरह-तरह की आयुर्वेदिक दवाइयों का निर्माण करने लगे। आचार्य बालकृष्ण के साथ मिल कर उन्होंने टीवी और अखबारों के जरिए इनका जोरदार प्रचार किया। बाबा रामदेव के फॉलोअर्स की संख्या बहुत ज्यादा है। इससे इनकी दवाइयां काफी बिकने लगीं।
बनाया आयुर्वेदिक रिसर्च सेंटर
बाबा रामदेव ने हरिद्वार में एक आयुर्वेदिक रिसर्च सेंटर भी बनाया। इसका उद्घाटन 3 मई, 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। राजनेताओं से करीबी संपर्कों का बाबा रामदेव को काफी फायदा मिला। इन्हें व्यवसाय में कई तरह की सुविधाएं तो मिलीं ही, आयुर्वेदिक दवाइयों के बाजार के बड़े हिस्से पर इनका प्रभाव जम गया।
घरेलू उपयोग की चीजों का भी करने लगे उत्पादन
बाबा रामदेव आयुर्वेदिक दवाइयों के साथ घरेलू उपयोग की चीजें भी बनाने लगे। दंत मंजन, पाउडर, क्रीम, शैम्पू और इस तरह के उत्पाद पतंजलि में बनने लगे, जिनकी मांग बाजार में हमेशा रहती है। यहां तक कि उन्होंने जींस और दूसरे गारमेंट्स के उत्पादन में भी हाथ आजमाया। बाबा रामदेव के फॉलोअर्स ज्यादातर पतंजलि में बना सामान ही खरीदने लगे।
घर से भाग कर गुरुकुल में लिया था दाखिला
हरियाणा के मूल निवासी रामदेव पढ़ाई में अच्छे थे। बचपन में ही उन पर दयानंद सरस्वती की किताब सत्यार्थ प्रकाश का गहरा असर पड़ा। स्वामी दयानंद की शिक्षाओं से वे इतने प्रभावित हुए कि सरकारी स्कूल को छोड़ दिया और घर से भागकर गुरुकुल में दाखिला ले लिया। लेकिन योग की शिक्षा हासिल करने और लोगों को इसका प्रशिक्षण देने के बाद पतंजलि से इन्होंने मैगी जैसे प्रोडक्ट भी बनाए।
करीब 25 साल पहले लिया संन्यास
रामदेव हरिद्वार आ गए और वहां आज से करीब 25 साल पहले संन्यास ले लिया। वे कनखल के आश्रम में रहने लगे। वहां वे एक छोटी कोठरी में रहते थे। उनके कई सहयोगी भी थे। उस समय शायद ही कोई यह सोचता होगा कि रामदेव कुछ ही सालों में योग और आयुर्वेद के साथ दूसरे प्रोडक्ट्स का एक बड़ा साम्राज्य खड़ा कर लेंगे।
योग की शिक्षा देते थे रामदेव
कुछ समय के बाद बाबा रामदेव ने योग की शिक्षा देने का काम शुरू किया। पहले इनके योग प्रशिक्षण शिविरों में ज्यादा लोग नहीं जुटते थे, लेकिन धीरे-धीरे प्रशिक्षण लेने वालों की संख्या बढ़ने लगी। इसके बाद उन्होंने प्रशिक्षण के लिए मामूली फीस भी रख दी। बाद में रामदेव टीवी पर योग का प्रशिक्षण देने लगे। इससे उनकी कमाई तो बढ़ी ही, वे लोकप्रिय भी काफी हो गए। इनके फॉलोअर्स की संख्या लाखों में हो गई।
स्वदेशी का दिया नारा
इसी बीच, रामदेव स्वदेशी आंदोलन से भी जुड़े और स्वदेशी उत्पाद अपनाने का नारा दिया। स्वदेशी के नाम पर इन्होंने पतंजलि में बनने वाली दवाइयों और दूसरे उत्पादों का भी काफी प्रचार किया। धीरे-धीरे इनका कारोबार काफी बढ़ गया।
पतंजलि स्टोर्स खोले
पतंजलि के उत्पादों की बिक्री के लिए बाबा रामदेव ने देश के हर छोटे-बड़े शहर में पतंजलि स्टोर खुलवाए और अपने उत्पादों की मार्केटिंग का एक विशाल नेटवर्क खड़ा किया। इससे इनका बिजनेस काफी बढ़ा।
पतंजलि की ब्रांड वैल्यू अरबों में
कभी साइकिल पर घूम कर च्यवनप्राश बेचने वाले बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि की ब्रांड वैल्यू आज अरबों रुपए की हो चुकी है। आज रामदेव के पास देश के हर बड़े शहर में अपने ठिकाने तो हैं ही, विदेशों में भी काफी प्रॉपर्टी है। 2015-16 में पंतजलि आयुर्वेद की कमाई 5 हजार करोड़ पार कर चुकी थी। पतंजलि आयुर्वेद के देश के कई राज्यो में प्लान्ट हैं। यह कंपनी फूड पार्क भी बना रही है। असम के तेजपुर में इन्होंने 180 एकड़ से भी ज्यादा जमीन सरकार से ली है। वहां उन्होंने हजारों करोड़ की लागत से मेगा फूड पार्क बनाया है। आज रामदेव हेलिकॉप्टर से यात्रा करते हैं। उनके पास विदेशी ब्रांड की बुलेटप्रूफ कारों का काफिला है।