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इस बिजनेसमैन ने शुरू किया 'रिक्शा एंबुलेंस', मरीज के घर पहुंचेगा ऑक्सीजन सिलेंडर
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25 ऑटो रिक्शा को एम्बुलेंस बनाया
रिक्शा एंबुलेंस से 'ऑक्सीजन सिलेंडर' और दूसरे चिकित्सा सामानों से लैस 25 ऑटो रिक्शा को एम्बुलेंस के रूप में तैयार किया गया है। जो गंभीर में हालत मरीजों को उनके घर के नजदीकी अस्पताल में ले जाते समय ऑक्सीजन की आपूर्ति करेगी। ये रिक्शा एम्बुलेंस शुरू में पुणे शहर और आसपास के मुलशी, मावल और पिंपरी-चिंचवड़, भोर, अहमदनगर और सांगली जैसे शहरों में शुरू की गई है। प्रमोटरों ने निकट भविष्य में रिक्शा एम्बुलेंस की संख्या 25 से बढ़ाकर 100 करने का लक्ष्य रखा है।
डॉक्टरों की टीम भी रहेगी साथ
इस पहल की को ऑर्डिनेटर और स्वदेश सेवा फाउंडेशन की संस्थापक धनश्री पाटिल ने कहा- कोविड की दूसरी लहर ने हमें गंभीर स्थिति में ऑक्सीजन के महत्व का एहसास कराया है। साथ ही कोरोना ने यह एहसास दिलाया कि उन रोगियों को, जिन्हें ऑक्सीजन की आवश्यकता है, उन्हें कैसे तत्काल नजदीकी अस्पतालों में पहुंचाया जाए। समय पर ऑक्सीजन सिलेंडर या एम्बुलेंस नहीं मिलने से गंभीर समस्याएं खड़ी हो गई थी। कई बार दिक्कत तब होती है जब मरीज का घर छोटी गली में होता है जिस कारण वहां एंबुलेंस नहीं पहुंच पाती है। हमें ऑटो रिक्शा को एम्बुलेंस के रूप में उपयोग करने का एक रास्ता मिला।
घर तक जाएगी रिक्शा एम्बुलेंस
डॉ. धनंजय दातार की मदद से इस तरह की सामाजिक पहल की शुरुआत हुई है। उन्होंने कहा, विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक टीम भी हमारी पहल में योगदान दे रही है। यह टीम लगातार रिक्शा चालकों के संपर्क में रहेगी। जिस भी वक्त मरीजों के परिजन हमारे हेल्पलाइन नंबर +91 96572 89411 पर कॉल करते हैं, उसके कुछ ही देर बाद रिक्शा एम्बुलेंस उनके दरवाजे तक पहुंचती है। रिक्शा चालक को कैसे मरीज की देखभाल करते हुए अस्पताल पहुंचाना है इसका मार्गदर्शन डॉक्टरों की टीम करती है।
पहली लहर में भी की थी मदद
डॉ. धनंजय दातार ने कहा, हमारा 'अल आदिल' समूह हमेशा नई सामाजिक परियोजनाओं और पहलों का समर्थन करता है। जब COVID-19 महामारी की पहली लहर में हमने खाड़ी देशों में फंसे हजारों बेरोजगार और गरीब भारतीयों को सुरक्षित घर लौटने में मदद की थी। हमने उनकी मुफ्त हवाई यात्रा, चिकित्सा परीक्षण और भोजन किट की व्यवस्था की थी।