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83 हजार करोड़ के लिए महाभारत, एक-दूसरे पर जान छिड़कने वाले हिंदुजा ब्रदर्स को एक लेटर ने पहुंचा दिया कोर्ट
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कब हुई थी ग्रुप की स्थापना
हिंदुजा परिवार का कारोबार तीसरी पीढ़ी में है। हिंदुजा ग्रुप की स्थापना परमानंद हिंदुजा ने की थी। परमानंद मूलत: सिंधी थे। कभी ग्रुप के बिजनेस का बेस ईरान में हुआ करता था मगर 80 के दशक में ग्रुप ने अपना मुख्यालय लंदन में बना लिया। हिंदुजा ग्रुप का मुख्य कारोबार ऑटोमोटिव और फाइनेंसियल सर्विस है। इसके अलावा कंपनी सूचना प्रौद्योगिकी, मीडिया, एंटरटेनमेंट और कम्यूनिकेशन, ऑइल और केमिकल, पावर और रियल स्टेट के बिजनेस में भी है। कंपनी का कारोबार दुनियाभर में फैला हुआ है और 2018 में कुल ग्रुप का कुल रेवेन्यू 5000 करोड़ अमेरिकी डॉलर था। परमानंद का निधन 1971 में हुआ था।
पिता की मौत के बावजूद नहीं हुआ बंटवारा
हिंदुजा ग्रुप के चेयरमैन परमानंद के बड़े बेटे श्रीचंद (84 साल) हैं जो अपने तीन भाइयों गोपीचंद (80 साल), प्रकाश (74) और अशोक (65) के साथ ग्रुप के कारोबार को संभालते हैं। हिंदुजा भाइयों के बेटे-बेटी भी फैमिली कारोबार में शामिल हैं। हिंदुजा परिवार को दुनिया की सबसे मजबूत कारोबारी फैमिली के रूप में जाना जाता था। पिता की मौत के 49 साल में हिंदुजा भाइयों ने फैमिली कारोबार का बंटवारा नहीं किया, मगर अब एक वजह से उनमें अनबन शुरू हो गई है।
हिंदुजा फैमिली में विवाद की वजह
दरअसल, 83 हजार करोड़ की संपत्ति का विवाद 2014 के एक लेटर की वजह से शुरू हुआ जो अब कोर्ट के मुकदमें तक पहुंच गया है। इसमें चारों भाइयों के साइन हैं। लेटर के मुताबिक एक भाई की संपत्ति पर सभी का हक है और एक, दूसरे भाई को अपना एग्जीक्यूटर बनाएगा। रिपोर्ट्स की मानें तो अब ग्रुप के चेयरमैन श्रीचंद और उनकी बेटी वीनू ने लेटर को विल मानने से इनकार कर दिया है।
विवाद का खुलासा कैसे हुआ?
मंगलवार को हिंदुजा फैमिली के मामले पर लंदन की एक कोर्ट का फैसला सामने आने के बाद प्रॉपर्टी विवाद की खबर का लोगों को पता चली। रिपोर्ट के मुताबिक, मामले में सुनवाई करते हुए जज ने कहा- तीन अन्य भाइयों (गोपीचंद, प्रकाश और अशोक) ने हिंदुजा श्रीचंद के बैंक का नियंत्रण लेने के लिए 2014 के लेटर का इस्तेमाल करने की कोशिश की।
श्रीचंद क्या चाहते हैं कोर्ट से?
लेटर को लेकर श्रीचंद और उनकी बेटी ने अदालत से मांग है कि इसे कानूनी नहीं माना जाए और विल के रूप में इसका इस्तेमाल न हो। उधर, श्रीचंद के तीनों भाइयों ने विवाद को लेकर कहा कि मुकदमेबाजी का कारोबार पर कोई असर नहीं पड़ेगा और यह कार्यवाही हमारे संस्थापक (परमानंद हिंदुजा) और उनके मूल्यों के खिलाफ है।
श्रीचंद के भाइयों ने क्या कहा?
एक बयान में श्रीचंद के तीनों भाइयों ने कहा- "सब कुछ हर किसी का हमारा सिद्धान्त रहा है। हम प्रेमपूर्वक पारिवारिक मूल्यों को बनाए रखने के दावे का बचाव करना चाहते हैं।" लेकिन हकीकत यह है लेटर का कानूनी दावा समाप्त हो जाता है तो श्रीचंद के नाम की संपत्तियां (जिसमें हिंदुजा बैंक की पूरी हिस्सेदारी) सिर्फ उनकी बेटी वीनू के नाम होगी। अब देखना है की हिंदुजा परिवार के इस मामले में क्या होता है।