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इस 1 गलती के कारण बंद हो गई टाटा की लखटकिया नैनो, पूरे देश में 6 महीने नहीं बिकी थी एक भी कार
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‘लखटकिया कार’ के रूप में जानी जाने वाली ये कार टू व्हीलर गाड़ी चलाते हुए कार का सपना देखने वाले लोगों को ध्यान में रखकर बनाई गई थी। इसकी शुरुआती कीमत महज 1 लाख रुपये थी। शुरुआत में इस कार को लोगों का अच्छा रिस्पांस मिला था पर कुछ कमियों के चलते ये कार लोगों की पसंद नहीं बन पाई।
बाद में नैनो की कीमत बढ़ा दी गई। तब भी इसने छोटी कारों की रेंज में अपनी अलग पहचान बनाई थी लेकिन सड़कों पर उतरी नैनो में कई जगह आग लगने की घटनाओं के बाद इसकी सेल्स में तेजी से गिरावट आई।
शुरुआत से ही नैनो कार के सफर में दिक्कतें आती रही। पहले पश्चिम बंगाल के सिंगूर में नैनो का प्रोडेक्शन होना था, लेकिन वहां जमीन को लेकर लोगों का भारी विरोध कंपनी को झेलना पड़ा। इसके बाद टाटा ने नैनो का प्रॉडक्शन गुजरात के साणंद में शिफ्ट किया।
नैनो कार मार्केट में आने के कुछ समय बाद ही टाटा मोटर्स के लिए घाटे का सौदा बन गई। टाटा संस के एक्स चेयरमैन साइरस मिस्त्री ने दावा किया था कि इसके प्रोडेक्शन से कंपनी को 1000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
खुद रतन टाटा ने भी माना था कि नैनो की ब्रांडिंग और उसके प्रमोशन में कई गलतियां हुई है। ‘सबसे सस्ती कार’ के रूप में सही तरह से इसका प्रमोशन नहीं किया जा सका।
नैनो कार की सेल लगातार गिरती गई। 2017 में 200 नैनो कारें भी नहीं बिकी थी। जून 2018 में कंपनी ने महज 1 कार का उत्पादन किया। 2019 के बाद इस कार की प्रोडेक्शन पूरी तरह बंद हो गई।
दरअसल, 1 अप्रैल 2020 से BS-VI एमिशन नॉर्म्स अनिवार्य रूप से लागू कर दिया गया है। ऐसे में नैनो को भी BS-VI एमिशन नॉर्म्स में अपडेट करना था पर नैनो की कम सेल्स को देखते हुए कंपनी ने ये कार बंद करने का फैसला लिया।