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टर्म इन्श्योरेंस प्लान लेना चाहते हैं तो अभी खरीदना होगा बेहतर, 1 अप्रैल से कंपनियां बढ़ा सकती हैं प्रीमियम
| Published : Mar 11 2021, 02:52 PM IST
टर्म इन्श्योरेंस प्लान लेना चाहते हैं तो अभी खरीदना होगा बेहतर, 1 अप्रैल से कंपनियां बढ़ा सकती हैं प्रीमियम
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बता दें कि रिइन्श्योरर्स प्रोटेक्शन कवर को लेकर अपने रेट जीवन प्रत्याशा (Life Expectancy) के आधार पर तय करते हैं। ऐसा लंबे समय से होता आ रहा है। वहीं, इस बार कोविड-19 महामारी की वजह से देश में मृत्यु दर सामान्य से काफी ज्यादा हो गई है। यही वजह है कि रिइन्श्योरर्स ने रेट बढ़ा दिए हैं। (फाइल फोटो)
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कुछ लाइफ इन्श्योरेंस कंपनियों ने पहले ही यह संकेत दे दिया था कि टर्म प्लान्स के रेट 1 अप्रैल 2021 से बढ़ सकते हैं। बता दें कि इसी समय नए रिइन्श्योरेंस कॉन्ट्रैक्ट लागू होते हैं। मैक्स लाइफ इन्श्योरेंस, टाटा एआईए लाइफ इन्श्योरेंस, पीएनबी PNB मेटलाइफ, इंडियाफर्स्ट लाइफ और Aegon Life ने बढ़े हुए प्रीमियम रेट के साथ नए टर्म प्लान इन्श्योरेंस रेग्युलेटर के सामने पेश भी कर दिए हैं। दूसरी लाइफ इन्श्योरेंस कंपनियां भी जल्द ही रेट बढ़ा सकती हैं। (फाइल फोटो)
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कोविड-19 महामारी शुरू होने के पहले से ही रिइन्श्योरेंस की दरें भारतीय जीवन बीमा कंपनियों के लिए बढ़ती जा रही थीं। बता दें कि ग्लोबल अंडरराइटर्स ने देश में रिइन्श्योरेंस की बेहद कम दरों पर चिंता जताई थी। कुछ ग्लोबल अंडरराइटर्स का मानना था कि भारत में रिइन्श्योरेंस रेट बेहतर जीवन प्रत्याशा वाले यूरोपीय देशों में लाइफ कवर की कॉस्ट से भी कम है। (फाइल फोटो)
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बता दें कि रिइन्श्योरेंस की दरों में बढ़ोत्तरी ऐसे समय में हुई है, जब लाइफ इन्श्योरेंस कंपनियों के पास कोरोना महामारी की वजह से अनुमान से ज्यादा डेथ क्लेम आ रहे हैं। इससे लाइफ इन्श्योरेंस कंपनियों के पास उच्च लागत का बोझ वहन करने की गुंजाइश ज्यादा नहीं रह गई है। (फाइल फोटो)
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माना जा रहा है कि रिइन्श्योरर भारत में टर्म प्राइस को अब ज्यादा सपोर्ट नहीं कर सकते। वित्त वर्ष 2021 ज्यादातर ग्लोबल इन्श्योरेंस कंपनियों के लिए सबसे ज्यादा नुकसान वाले वर्षों में से एक रहा है। अब प्रीमियम को बढ़ा कर नुकसान की कुछ भरपाई की जा सकती है। बताया जा रहा है कि कंपनियों के पास प्रीमियम रेट बढ़ाने के अलावा और कोई ऑप्शन नहीं रह गया है। (फाइल फोटो)
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बता दें कि इससे इन्श्योरेंस पॉलिसी के लिए रिजेक्शन रेट में बढ़ोत्तरी हो सकती है। खासकर, ऐसा उन पॉलिसीज के मामले में हो सकता है, जो पुरानी बीमारियों के जोखिम से जुड़ी हैं। (फाइल फोटो)