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इलेक्ट्रोकेमिल एलिसा टेस्ट: कोरोना के खिलाफ नई तकनीक, जानें कैसे करती है काम , 5 मिनट में पता चलेगी एंटीबॉडी
करियर डेस्क. बेंगलुरु की एक स्टार्ट-अप (Bangalore-based start-up ) ने एक पॉइंट-ऑफ-केयर इलेक्ट्रोकेमिकल एलिसा टेस्ट (Electrochemical ELISA test ) डेवलप किया है। क्लीनिकल सैंपल (clinical samples) में कोविड-19 और एंटीबॉडी (antibody) का सही तरीके से अंदाजा लगाया जा सकेगा।शनिवार को केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय को इसकी जानकारी दी। जानें कैसे करती है काम, क्या है इसकी विशेषता।
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किसने किया डेवलप
मंत्रालय के अनुसार, इस नई तकनीक और प्रोडेक्ट को सेंटर फॉर ऑगमेंटिंग वॉर विद कोविड-19 हेल्थ क्राइसिस (CAWACH) की पहल के तहत भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) द्वारा समर्थित किया गया था। इस प्रयास को IIT बॉम्बे और IKP नॉलेज पार्क, हैदराबाद में SINE के माध्यम से संचालित किया गया था। पथशोध हेल्थकेयर, सोसाइटी फॉर इनोवेशन एंड डेवलपमेंट (एसआईडी), इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएससी) में सहायता प्राप्त स्टार्ट-अप ने कोविड-19 आईजीएम और आईजीजी एंटीबॉडी के लिए अपनी तरह का पहला, सेमी-क्वानटेटिव इलेक्ट्रोकेमिकल एलिसा जांच विकसित करने में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है।
आइजीजी एंटीबाडी की जांच
इस तकनीक से कोरोना वायरस के खिलाफ आइजीएम और आइजीजी एंटीबाडी की जांच की जाती है। आइजीएम एंटीबाडी किसी वायरस या रोगाणु के शरीर में प्रवेश करने पर तुरंत सक्रिय होती है। यह एंटीबाडी शरीर में व्यापक मात्रा में होती है और सबसे पहले वायरस के खिलाफ यही लड़ती है। आइजीजी एंटीबाडी के बनने में कुछ समय लगता है और यह लंबे समय तक शरीर में बनी रहती है।
कितने टाइम में मिलेगी रिपोर्ट
कोरोना वायरस संक्रमण की क्या स्थिति है इसका पता लगाया जाता है। परीक्षण किट दो भागों में आती है। एक हैंडहेल्ड एनालाइजर है जो खून के नमूने को जांच करता है और एक विस्तृत रिपोर्ट देता है। दूसरी एक टेस्ट स्ट्रिप है, जिस पर किसी उंगलियों से खून की एक बूंद डिवाइस में डाली जाती है। हैंडहेल्ड डिवाइस पांच मिनट के भीतर जांच की रिपोर्ट देता है। इसकी रिपोर्ट को आप अपने फोन में भी डाउनलोड कर सकते हैं।
निभाएगी बड़ी भूमिका
प्रोफेसर नवकांत भट, डीन, डिवीजन ऑफ इंटरडिसिप्लिनरी साइंसेज और प्रोफेसर, पथशोध हेल्थकेयर के को-फाउंडर ने कहा कि कोविड -19 की स्थिति को का पता करने के साथ एंटीबॉडी के अस्थायी क्षय का आकलन करने में बहुत महत्वपूर्ण होगी। उन्होंने कहा कि ये तकनीक कोविड-19 टीकों के लिए एंटीबॉडी प्रतिक्रिया को स्पष्ट करने में भी बहुत बड़ी भूमिका निभाएगी और इस तरह भविष्य में टीकाकरण कार्यक्रमों को चलाने में इससे मदद मिलेगी।
प्रो आशुतोष शर्मा, सचिव, डीएसटी ने कहा परीक्षण न केवल पिछले संक्रमण को स्थापित करने के लिए एक नियमित सीरो-सर्वेक्षण उपकरण के रूप में उपयोगी है। बल्कि इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि एंटीबॉडी के क्वांटिफायर के रूप में ऐसे महत्वपूर्ण प्रश्नों को के लिए भी उपयोगी है जिससे एंटीबॉडी के लुप्त होने की डर, जैविक प्रतिक्रियाओं की समझने में भी मदद मिलेगी।
Asianet News का विनम्र अनुरोधः आइए साथ मिलकर कोरोना को हराएं, जिंदगी को जिताएं...जब भी घर से बाहर निकलें माॅस्क जरूर पहनें, हाथों को सैनिटाइज करते रहें, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। वैक्सीन लगवाएं। हमसब मिलकर कोरोना के खिलाफ जंग जीतेंगे और कोविड चेन को तोडेंगे। #ANCares #IndiaFightsCorona