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श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया ही नहीं ये राष्ट्रप्रमुख भी छोड़कर भाग चुके हैं अपना देश, आज तक वापस नहीं लौटे
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मोहम्मद अशरफ गनी, अफगानिस्तान
शिक्षाविद, इकोनामिस्ट और एक अनुभवी नेता मोहम्मद अशरफ गनी (Ashraf Ghani) 2021 में तालिबान के सत्ता हथियाने से पहले तक अफगानिस्तान ( Afghanistan) के राष्ट्रपति थे। जब तालिबान ने कब्जा जमाया तो अशरफ गनी अपनी फैमिली के साथ देश छोड़कर भाग निकले। वह इस वक्त संयुक्त अरब अमीरात में रह रहे हैं।
सुल्तान अली केशमंद, अफगानिस्तान
अफगानिस्तान के ही एक राष्ट्रप्रमुख को अपना देश छोड़कर भागना पड़ा था। उनका नाम था सुल्तान अली केशमंद। सुल्तान अली 81-88 और 89-90 में अफगानिस्तान के राष्ट्रपति रहे। लेकिन सत्ता में रहते ही उनका तख्ता कर दिया गया। जिसके बाद उन्हें जान बचाकर ब्रिटेन भागना पड़ा। वह आज भी वहीं रहते हैं और फिर कभी अपने देश लौटकर नहीं आए
जोर्गे जमील माहौद, इक्वाडोर
इक्वाडोर के पूर्व राष्ट्रपति जोर्गे जमील माहौद (Jamil Mahuad) को भी अपना देश छोड़कर भागना पड़ा था। वह 1988 से 2000 तक देश के राष्ट्रपति रहे। उनके कार्यकाल में देश की आर्थिक हालत पस्त हो गई थी। उनके गलत फैसलों की वजह से देश तंगहाली में पहुंच गया था। जिससे पूरे देश का गुस्सा भड़क उठा और लगातार एक हफ्ते तक हुए प्रदर्शनों के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद देश पर सेना ने कब्जा जमा लिया और जमील को देश छोड़कर पड़ोसी मुल्क पनामा की शरण लेनी पड़ी।
इसाबेल मार्टिनेज पेरोन, अर्जेंटीना
अर्जेंटीना की ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की पहली महिला राष्ट्रपति इसाबेल मार्टिनेज पेरोन (Maria Isabel Peron) भी अपना देश छोड़कर भाग चुकी हैं। साल 1974 में वह पहली महिला राष्ट्रपति बनीं, लेकिन इसके दो साल बाद ही उन्हें सत्ता से बेदखल होना पड़ा। इसाबेल के पति जुआन पेरोन जब राष्ट्रपति थे, तब उनकी तीसरी पत्नी यानी इसाबेल उपराष्ट्रपति बनीं। 1974 में पति की मौत के बाद उन्हें सत्ता मिली लेकिन सैन्य तख्तापलट के कारण गद्दी छोड़नी पड़ी। 5 सालों तक नजरबंद रहने के बाद 1981 में वह अपना देश छोड़कर भाग निकलीं और स्पेन में राजनीतिक शरण लिए हुए हैं।
मेंगित्सु हेली मरियम, इथियोपिया
एक सैन्य अधिकारी मेंगित्सु हेली मरियम (Mengistu Haile Mariam) 1971 से लेकर 1991 तक 20 साल तक शासन किया। उनके कार्यकाल में देश में बहुत से अत्याचार और दमन हुए। बड़े पैमाने पर हत्याएं हुईं। कहा जाता है कि उस दौरान लाखों लोगों का कत्ल कर दिया गया था। इससे परेशान होकर 1991 में उनका तख्ता पलट कर दिया गया, जिसके बाद उन्हें देश छोड़कर भागना जिम्बाब्वे भागना पड़ा और वह अब तक वहीं रह रहे हैं।
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