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Kalpana Chawla Birthday: करनाल से निकल कैसे अंतरिक्ष पहुंची कल्पना चावला, देश की महान बेटी की अनसुनी बातें
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हरियाणा जैसे क्षेत्र में जन्मी कल्पना ने कभी नहीं सोचा था वो ज्यादा पढ़-लिख भी पाएंगी। अंतरिक्ष में जाना तो कोसों दूर की बात थी। उनके पिता का नाम बनारसी लाल चावला और मां का नाम संजयोती है। कल्पना घर में सबसे छोटी थीं लेकिन उनके काम इतने बड़े हैं कि आज भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लोग उन्हें याद करते हैं।
बचपन में पूछती थीं सवाल
कल्पना की प्रारंभिक शिक्षा करनाल के टैगोर बाल निकेतन में हुई। जब वो थोड़ी बड़ी हुईं तो उन्होंने पिता से कहा कि वो इंजीनियर बनना चाहती हैं। कल्पना अक्सर अपने पिता से पूछा करती थीं कि अंतरिक्ष यान क्या होता है। ये आकाश में कैसे उड़ते हैं। क्या मैं भी उड़ सकती हूं। छोटी कल्पना की उड़ान बड़ी थी, लेकिन कई बात तो उनके सवालों को घर के लोग हंसी की बात मानकर टाल देते थे।
एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में ली मास्टर्स डिग्री
स्कूल के बाद उन्होंने चंडीगढ़ से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया और उसके बाद अमेरिका के टैक्सास चली गईं। यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सस से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर्स डिग्री ली। कल्पना के कदम आगे बढ़ते गए और 1982 में वो अमेरिका गईं। कल्पना पहली भारतीय महिला थीं जो नासा में अंतरिक्ष यात्री के तौर शामिल हुईं।
आगे चलकर वे नासा (NASA) का हिस्सा बनीं और उसी के तहत साल 1995 में वे अंतरिक्ष यात्री के तौर पर शामिल हुईं। अगले तीन सालों तक कड़ी मेहनत के बाद कल्पना को अपनी पहली उड़ान के लिए चुना गया। एसटीएस 87 कोलंबिया शटल से उन्होंने पहली उड़ान भरी। ये साल 1997 की बात है। लगभग 1.04 करोड़ मील के सफर के बाद कल्पना ने तकरीबन 360 घंटे स्पेस में बिताए।
पहली उड़ान सफलतापूर्वक पूरी हुई थी। अब तक नासा और कल्पना दोनों को ही एक-दूसरे पर भरोसा बढ़ चला था। साल 2003 में उन्होंने कोलंबिया शटल से अंतरिक्ष के लिए दूसरी उड़ान भरी। यह 16 दिन का अंतरिक्ष मिशन था।
16 जनवरी को शुरू हुआ ये अभियान 1 फरवरी को खत्म होना था। ये वही दिन था जब धरती पर लौटने के दौरान शटल धरती की परिधि में पहुंचकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इसमें कल्पना समेत 6 दूसरे अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई।
1 फरवरी 2003 को अंतरिक्ष में 16 दिन बिताने के बाद जब कल्पना चावला 6 अन्य साथियों के साथ धरती पर लौट रही थीं तो उनका यान क्षतिग्रस्त हो गया था। इस दुर्घटना में कल्पना समेत सभी यात्रियों की मौत हो गई थी। इस हादसे पर फ्लोरिडा के अंतरिक्ष स्पेस स्टेशन का झंडा आधा झुका दिया गया था।
कल्पना की मौत के बाद उनके पति और पायलेट जीन पिअरे हैरिसन गहरे अवसाद में चले गए थे। दोनों की मुलाकात पायलेट ट्रेनिंग के दौरान हुई थी। दोस्ती बढ़ते-बढ़ते रिश्ते तक पहुंची और दिसंबर 1983 में दोनों ने शादी कर ली थी। कल्पना के नासा में चयन और स्पेस ट्रैवल के दौरान जीन उनके सबसे अच्छे साथी और मजबूत सहारा रहे।
जीन ने ही कल्पना की आत्मकथा लिखी, जिसका नाम है Edge of Time इसमें कल्पना के जुनून और छोटी जगह से आने के बाद भी आगे बढ़ने की महत्वाकांक्षा के बारे में बखूबी बताया गया है। साथ ही कल्पना की निजी जिंदगी के पहलुओं पर भी लेखक ने बात की।
दोस्तों, कल्पना चावला हमेशा युवाओं से सपने को साकार करने की बात पर जोर देती रहीं, उन्होंने कहा था, 'अगर आपके पास कोई सपना है तो उसे साकार करने का प्रयास करें। इस बात से जरा-सा भी फर्क नहीं पड़ता कि आप एक औरत हैं, भारत से हैं या फिर कहीं और से।' देश की बेटी आज भी हम सभी के दिलों में जिंदा है।