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आतंकियों से बदला लेने कारगिल शहीद की पत्नी ने ज्वाइन की सेना, बेटे को भी बनाना चाहती है 'फौजी'
नई दिल्ली. भारत के इतिहास में आज भी कारगिल युद्ध एक काले अध्याय के रूप में दर्ज है। इस युद्ध में हमारे हजारों वीर जवान शहीद हुए थे। उनके परिवार बिखर गए और पत्नी और बच्चे भविष्य को अंधेरे में देख टूट चुके थे। पर ऐसे ही कारगिल शहीदों के परिवार में एक महिला योद्धा ने हौसला संभाला। वो पति के शहीद होने के बाद भले टूट गई लेकिन उसने ठान लिया कि वो सेना में जाकर अपने सुहाग को मिटाने का बदला लेंगी। हमारी आज की कहानी की हीरो हैं कैप्टन शालिनी सिंह जिन्होंने एक बहादुर मां से लेकर आर्मी कैप्टन तक का सफर साहस के साथ तय किया।
| Published : Apr 06 2020, 12:10 PM IST / Updated: Apr 06 2020, 12:15 PM IST
आतंकियों से बदला लेने कारगिल शहीद की पत्नी ने ज्वाइन की सेना, बेटे को भी बनाना चाहती है 'फौजी'
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कैप्टन शालिनी आज देश में एक जाना-पहचाना नाम हैं। वो सेना में सिपाही रही हैं तो ब्यूटी क्वीन भी। उन्होंने राजनीति में भी हाथ आजमाया है। कैप्टन शिवानी के साहस और शौर्य की कहानी हर किसी की जुबान पर छाई रही है। उनके संघर्ष को देख लोग दंग रह जाते हैं। उनके जीवन के कुछ पहलुओं की बात करें तो वह मात्र 19 वर्ष की थीं जब सन 1998 में उनकी शादी भारतीय सेना के मेजर अविनाश सिंह भदोरिया से हुई। छोटी उम्र में शादी होने के कारण उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी। शादी के दो साल बाद ही मेजर अविनाश की पोस्टिंग कश्मीर में हो गई और उन्हें परिवार से दूर जाना पड़ा। इस दूरी के बावजूद भी अविनाश और शालिनी का वैवाहिक जीवन सुखद पूर्ण था।
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28 सितंबर 2001 को शालिनी के ऊपर नियति का कहर टूटा जब उसे पता चला की आतंकवादियों से लड़ते हुए अविनाश वीरगति को प्राप्त हो गए। देश के लिए ये एक बड़ी क्षति थी। परिवार और पत्नी भी बुरी तरह टूट गए। अपने 2 वर्ष के बेटे ध्रुव के साथ शालिनी का जीवन मानो शून्य हो गया था। लेकिन इस शून्य में बेटे की हंसती खिलखिलाती आवाज ने शालिनी को इस दुख का सामना करने के लिए दोबारा खड़ा किया।
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शालिनी ने सेना में जाने की सोची। वो सेना में जाकर शहीद पति को सम्मान देना चाहती थीं और बदले की भवना भी थी। 6 महीने की कड़ी मेहनत और ट्रेनिंग के बाद 7 सितंबर 2002 को शालिनी ने भारतीय सेना में अधिकारी के तौर पर ज्वाइन किया। भारतीय सेना के अधिकारी के तौर पर ही उन्होंने राष्ट्रपति से अपने पति का मरणोपरांत कीर्ति चक्र सम्मान भी प्राप्त किया। अपने माता पिता और भाई का भरपूर सहयोग शालिनी को अपने बेटे के पालन-पोषण में मिला। 6 साल आर्मी की नौकरी करने के बाद ध्रुव के भविष्य के लिए शालिनी ने यह नौकरी छोड़ने का निर्णय लिया।
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शालिनी की बिखरी जिंदगी अब संभलने लगी थी। लोगों और परिवार के बहुत समझाने और कहने पर शालिनी ने जीवन का सबसे कठिन निर्णय लेकर सेना के ही मेजर एस पी सिंह से दूसरी शादी की लेकिन शादी के कुछ समय में ही शालिनी को पता लगा कि मेजर ने उसके विश्वास का फ़ायदा उठाते हुए शादी के पहले ही उसके एकाउंट से कई लाख रूपये शालिनी को बताए बगैर निकाल लिए।
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इसी बीच मेजर शालिनी से मारपीट करने लगा। 2011 में तो मेजर ने शालिनी के सिर पर गिलास से ऐसा हमला किया कि उसे 32 टांके लगवाने पड़े। इसके बाद शालिनी ने अपने दूसरे पति से तलाक लेकर केस दर्ज करवाया है।
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शालिनी ने 6 साल तक सेना में सेवा देने के बाद नौकरी छोड़ने का फैसला किया। उन्होंने सेना छोड़ बाकी काम किए और ब्यूटी क्वीन प्रतियोगिता में भी भाग लिया। राजनीति में कमद रखने के बाद उन्होंने आम आदमी पार्टी भी ज्वाइन की।
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14 अप्रैल 2017 को मिसेज इंडिया क्लासिक क्वीन ऑफ सबस्टेंस 2017 का ताज पहना। कैप्टन शालिनी सिंह का मिसेज इंडिया बनने का सफर इतना आसान भी नहीं था।
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शालिनी एक कंपनी में बतौर सीनियर मैनेजर कार्यरत रही और इसके अलावा वह सोशल वर्क भी करती रही हैं। गरीब और दिव्यांग बच्चों को पढ़ाई में मदद करती हैं। शालिनी अपने त्याग के तोहफे के रूप में 17 साल के बेटे ध्रुव को भी भारतीय सेना की वर्दी में देखना चाहती हैं।