MalayalamNewsableKannadaKannadaPrabhaTeluguTamilBanglaHindiMarathiMyNation
  • Facebook
  • Twitter
  • whatsapp
  • YT video
  • insta
  • ताज़ा खबर
  • राष्ट्रीय
  • वेब स्टोरी
  • राज्य
  • मनोरंजन
  • लाइफस्टाइल
  • बिज़नेस
  • सरकारी योजनाएं
  • खेल
  • धर्म
  • ज्योतिष
  • फोटो
  • Home
  • Career
  • Education
  • भीख मांगने वाले 90 बच्चों को अकेले पढ़ाता है ये सिपाही, किताबें-पेंसिल लाने तनख्वाह से खर्च करता है 10 हजार

भीख मांगने वाले 90 बच्चों को अकेले पढ़ाता है ये सिपाही, किताबें-पेंसिल लाने तनख्वाह से खर्च करता है 10 हजार

करियर डेस्क. शिक्षा कितनी जरूरी है लेकिन गरीबी के कारण बहुत से बच्चे इससे वंचित रह जाते हैं। पर देश में बहुत से ऐसे समाजसेवक भी हैं जो गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए खुद से प्रयास करते हैं। ऐसे ही उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में एक रेलवे पुलिस (GRP) कांस्टेबल ने अपने अकेले के दम पर बच्चों के लिए स्कूल चलाया हुआ है। ये हैं रोहित कुमार यादव जो गरीब बच्चों को निशुल्क पढ़ाते हैं। 

4 Min read
Asianet News Hindi
Published : Dec 23 2020, 05:24 PM IST| Updated : Dec 23 2020, 05:50 PM IST
Share this Photo Gallery
  • FB
  • TW
  • Linkdin
  • Whatsapp
  • GNFollow Us
17

'द बेटर इंडिया' से रोहित ने बताया कि, मेरे पिता ने गरीब बच्चों को शिक्षित करने के लिए एक स्कूल खोला था, लेकिन पारिवारिक समस्याओं के कारण इसे बंद करना पड़ा। हालांकि, अब मैं आर्थिक रूप से पिछड़े बच्चों को मुफ्त में पढ़ाने के अपने पिता के सपने को जी रहा हूं।" 

 

(फोटो सोर्स- द बेटर इंडिया) 

27

रोहित पिछले दो सालों से उत्तर प्रदेश के उन्नाव में नि:शुल्क बच्चों को पढ़ा रहे हैं। अपनी इस जर्नी की शुरुआत के बारे में रोहित ने बताया कि, जून 2018 में, काम के लिए उन्नाव से रायबरेली जाते समय, वह ट्रेन में पैसे की भीख माँग रहे कुछ बच्चों से मिले। “एक बच्चा मेरे पास खाना खरीदने के लिए पैसे मांगने आया। रोहित कहते हैं, मुझे उन बच्चों के हाथों में भीख मांगने वाले कटोरे देखकर बहुत दु:ख हुआ जिन हाथों में पेन और किताबें होनी चाहिए थी।"

 

रेल यात्रा में मिले उस को रोहित लंबे समय तक भूल नहीं पाए। उन्होंने इस बारे में गहराई से सोचा कि भीख मांगते रहने से उन बच्चों का भविष्य कभी नहीं सुधर पाएगा। इसलिए उन्होंने बच्चों को पढ़ाने की सोची।  

37

रोहित ट्रेन में भीख मांग रहे बच्चों के माता-पिता को खोजने और उनसे बात करने में कामयाब रहे और उनसे अपने बच्चों को स्कूल भेजने की विनती की। 

 

रोहित बताते हैं कि, "मैंने सोचा कि अगर मैं बच्चों के माता-पिता को समझाने में सफल रहा तो उन्हें वैसे उज्ज्वल भविष्य का रास्ता दिखा सकता था जैसा कि मेरे पिता चाहते थे। लेकिन वंचितों के लिए मुफ्त शिक्षा का उनका पिता का सपना इतनी आसानी से पूरा नहीं हो सकता था। भीख मांगने वाले बच्चे के अभिभावकों को शिक्षा का महत्व समझने के लिए रोहित ने कई बार बच्चों के परिवारों का दौरा किया।  (फोटो सोर्स- द बेटर इंडिया) 

47

वे कहते हैं, “अधिकांश माता-पिता यह सोचकर बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं थे कि इससे घर में कमाई का नुकसान होगा। कुछ एडमिशन प्रोसेस से गुजरने और एडमिशन फीस देने के लिए तैयार नहीं थे क्योंकि वो ज्यादा नहीं कमाते थे। पर रोहिच 'हर हाथ में कलम' के अपने सपने को खोना नहीं चाहते थे। इसिलए उन्होंने बच्चों को स्कूल लाने के बारे में सोचा।"

 

फिर क्या जुलाई, 2018 में रोहित ने नौकरी के साथ ही खुद बच्चों को अंग्रेजी, हिंदी और गणित पढ़ाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे, उनके नए स्कूल ने क्षेत्र के बच्चों के साथ लोकप्रियता हासिल की। और एक मेकशिफ्ट क्लास में जो कभी उन्नाव स्टेशन के रेलवे ट्रैक के पास सिर्फ पांच छात्रों को पढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था वहां रोहित आज कुल 90 छात्रों को पढ़ाते हैं।  (Demo Pic) 

57

रोहित बताते हैं कि “शुरू में मैं इन छात्रों के लिए एकमात्र शिक्षक था। नाइट शिफ्ट करते हुए वो बच्चों को दोपहर 2.30 बजे से सोमवार से शनिवार शाम 5.30 बजे तक पढ़ाने जाते हैं। रोहित बताते हैं कि, पहले बच्चों के कोई सपने नहीं थे लेकिन अब उनमें से कुछ डॉक्टर, इंजीनियर और अन्य सरकारी अधिकारी बनना चाहते हैं। इन छात्रों को गायन, डांस और ड्राइंग में रुचि है।  (फोटो सोर्स- द बेटर इंडिया) 

 

 

67

स्कूल चलाने वे कहते हैं, "मेरा मासिक वेतन 40,000 रुपये है और मैं शिक्षकों के वेतन सहित स्कूल के लिए 10,000 रुपये खर्च करता हूं। 2019 के अंत तक, तत्कालीन जिला पंचायती राज अधिकारी की मदद से, रोहित ने कोरारी पंचायत भवन स्कूल चलाना शुरू कर दिया है।

77

अब स्कूल में रोहित के अलावा दो और शिक्षक हैं। वे विज्ञान और सामाजिक विज्ञान सिखाने में मदद करते हैं। रोहित कहते हैं, भगवान की कृपा से मैं दो शिक्षकों के वेतन का भुगतान करने में सक्षम हूं और अपने वेतन से अपने बच्चों को किताबें, पेंसिल और सभी आवश्यक सामग्री खरीद सकता हूं। मुझे उम्मीद है कि दूसरों की मदद से मैं आने वाले दिनों में बच्चों के लिए और अधिक सुविधाओं का प्रबंध कर सकूंगा। रोहित कहते हैं कि, मैं बहुत खुश हूं क्योंकि मैं अपने पिता के सपने को पूरा कर रहा हूं।" (Demo Pic) 

About the Author

AN
Asianet News Hindi
एशियानेट न्यूज़ हिंदी डेस्क भारतीय पत्रकारिता का एक विश्वसनीय नाम है, जो समय पर, सटीक और प्रभावशाली खबरें प्रदान करता है। हमारी टीम क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय घटनाओं पर गहरी पकड़ के साथ हर विषय पर प्रामाणिक जानकारी देने के लिए समर्पित है।
Latest Videos
Recommended Stories
Related Stories
Asianet
Follow us on
  • Facebook
  • Twitter
  • whatsapp
  • YT video
  • insta
  • Download on Android
  • Download on IOS
  • About Website
  • Terms of Use
  • Privacy Policy
  • CSAM Policy
  • Complaint Redressal - Website
  • Compliance Report Digital
  • Investors
© Copyright 2025 Asianxt Digital Technologies Private Limited (Formerly known as Asianet News Media & Entertainment Private Limited) | All Rights Reserved