- Home
- Career
- Education
- भाई जरूर पढ़ लें इन शक्तिशाली IAS-IPS महिलाओं की कहानी, रक्षासूत्र बांधने वाली बहनें नहीं होती किसी से कमजोर
भाई जरूर पढ़ लें इन शक्तिशाली IAS-IPS महिलाओं की कहानी, रक्षासूत्र बांधने वाली बहनें नहीं होती किसी से कमजोर
- FB
- TW
- Linkdin
ये भारत की टॉप 10 महिला IAS-IPS ऑफिसर्स हैं जिन्होंने अपने चुने हुए क्षेत्रों में शानदार सफलता हासिल की है। सिविल सेवाओं में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को कम आंका जाता है। प्रत्येक 20 पुरुष IAS अधिकारियों के लिए, केवल 1 महिला IAS अधिकारी है। इसके बावजूद, कई महिला सिविल सेवक हैं जिन पर हर देशवासी को गर्व है।
ये अफसर न सिर्फ महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं बल्कि पुरुषों के लिए टफ कम्पटीशन भी रही हैं-
IAS Anna Rajm Malhotra
जब भी भारत की सर्वश्रेष्ठ IAS ऑफिसर्स की बात होती है आज़ाद भारत की पहली महिला IAS अफसर अन्ना रजम मल्होत्रा का नाम सबसे पहले याद आता है। ऐसी कर्मठ और प्रतिभाशाली अफसर भारत का गौरव हैं और रहेंगी। अन्ना 1951 के उस दौर में सिविल सेवा के लिए सेलेक्ट हुई जिस समय औरतों को शिक्षा और नौकरी के लिए रोका जाता था। परन्तु अन्ना अपने दृढ निश्चय और संकल्प पर अड़ी रहीं। अन्ना का जन्म जुलाई 1927 में केरल के एर्नाकुलम जिले में हुआ था और उनका नाम अन्ना रजम जॉर्ज था। कोझिकोड में स्कूली शिक्षा प्राप्त करने के बाद उंहोने मद्रास विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की।
कहा जाता है की जब अन्ना अपने IAS इंटरव्यू के लिए गयी तब panelists ने उनको एडमिनिस्ट्रेटिव सेवा न चुन कर भारतीय विदेश सेवा या फिर सेंट्रल सेवा चुनने के लिए प्रेरित किया। लेकिन अन्ना अपने निश्चय से हिली नहीं और भारत की पहली महिला IAS अफसर बनी। उन्होंने भारत की हर एक महिला को अपने लिए स्टैंड लेने और आत्म-विश्वास से अपने सपने पूरे करने के लिए प्रेरित किया। अपने कार्यकाल में उन्होंने प्रथम मुख्यमंत्री सी. राजगोपालाचारी से ले कर राजीव गाँधी के साथ काम किया। वह पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण ( patriarchal outlook) के अगेंस्ट लड़ी और एक ईमानदार IAS अफसर के रूप में जानी जाती थी। उनका निधन 92 साल की उम्र में 28 सितम्बर 2018 को हुआ।
IAS Aruna Sundara Rajan
अरुणा 1982 बैच की केरला कैडर की आईएएस अफसर हैं। वह वर्तमान में दूरसंचार विभाग (DoT) के सचिव (Secretary) के रूप में कार्यरत हैं। अपने 30 साल से ज़्यादा के कार्यकाल में अरुणा जी अपनी कई बेहतरीन विकासशील योजनाओ के लिए चर्चित रही। उन्होंने 1998 में केरल में आईटी विभाग की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
वहीँ उन्होंने केरला में e-literacy project, अक्षय भी शुरू किया जिसमें 1 मिलियन से ज़्यादा लोगो को बेसिक डिजिटल स्किल की ट्रेनिंग दी गई। यही नहीं, उन्होंने "Digital India" के तहत ‘National Optic Fibre Network Project" का भी निर्देशन किया जो विश्व का सबसे बड़ा connectivity प्रोजेक्ट है। अरुणा जी ने telecommunication सेक्टर में अपना बेहतरीन और अगम्य योगदान दे कर ये सिद्ध किया की महिलायें किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं।
IAS Bandana Preyasi
बन्दना 2003 बैच की बिहार कैडर की आईएएस अफसर हैं। ये अफसर जनता दल- युनाइटेड के विधायक अनंत सिंह के खाद्य गोदामों को सील करने के लिए काफी चर्चित रहीं। बन्दना ने अपनी बेबाकी और साहसपूर्ण रवैये से बिहार के कई जिलों में शांति स्थापित की है। उन्हें 2009 में सीवान जिले में शांतिपूर्ण ढंग से चुनाव कराने के लिए भी काफी सराहना मिली थी। बन्दना ने ना सिर्फ दबंगो का बिना डरे सामना किया बल्कि उनके खिलाफ सख्त एक्शन भी लिया।
IAS B, Chandrakala
"लेडी दबंग" के नाम से मशहूर बी. चन्द्रकला 2008 बैच की IAS अफसर हैं। उत्तर प्रदेश कैडर की ये महिला IAS अफसर यूपी के सबसे संवेदनशील जिलों में से एक मेरठ में डीएम रह चुकी हैं। इसके अलावा, वो बुलंदशहर में भी डीएम रहीं। उनकी छवि एक ऐसी अफसर की रही जो समस्याओं के निदान के लिए सड़क पर ही अधिकारीयों और ठेकेदारों से काम का हिसाब मांग लेती थीं। वह अपने फेसबुक पोस्ट्स और ट्वीट्स से युवाओं में काफी चर्चित है।
IPS Kiran Bedi
भारत की पहली महिला आईपीएस अफसर किरण बेदी को परिचय की ज़रूरत नहीं है। अपने निडर और बेबाक स्वाभाव के लिए जानी जाने वाली किरण बेदी ने भारत के सबसे बड़े जेल - तिहार जेल में कई बड़े सुधार कर उसे अनुशासित किया। उन्हें 1994 में Ramon Magsaysay Award से नवाज़ा गया। अपनी 35 साल की सेवा में बेदी ने कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया और कई एहम अवार्ड्स भी प्राप्त किये। वर्तमान में वह पुडुचेर्री की Lieutenant General हैं।
IAS Mugdha Sinha
मुग्धा राजस्थान कैडर की 1999 बैच की आईएएस अफसर हैं जो झुंझनू जिले की पहली महिला कलेक्टर भी हैं। अपनी बेबाकी और ईमानदारी से काम करने की कार्यशैली के कारण अपनी १५ साल की सेवा में उनका 14 बार ट्रांसफर हो चुका है। माफिया और गुंडा तत्व उनके नाम से थरथर कांपते हैं। अपनी योग्यता और सिस्टम की ताकत से लैस होकर उन्होने शासन-प्रशासन की बागडोर थामी और सभी अवैध और गोरख धंदो को झुंझनू से ख़त्म किया।
अपने "नो नॉनसेंस" स्वाभाव के कारण मुग्धा को कई बार मुश्किलों का करना पड़ा लेकिन वह देश और नागरिको की सेवा में लगी रहीं। जब ये झुनझुनु की पहली कलेक्टर बन कर गई तो इन्होंने शुरू से ही आम आदमियों के मुश्किलों को सुनने की पहल की। जिसके कारण इन्हें आम लोगों के बीच में काफी लोकप्रियता मिलने लगी। मुग्धा अपने लाइफ में केवल एक मंत्र को फॉलो करती हैं कि “सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं”। इस कारण मुग्धा ने अब तक अपने काम से समझौता नहीं किया है। वह आज की युवतिओं के लिए साहस और दृढ इच्छाशक्ति का प्रतीक है।
IAS Ritu Maheshvari
ऋतू 2003 बैच की आईएएस अफसर है जिन्हे कानपूर में कानपुर में बढ़ती बिजली चोरी और बजिली विभाग को हो रहे निरंतर घाटे को रोकने के लिए जाना जाता है। इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कंपनी यानि केस्को में काम करने के दौरान उन्होंने बिजली चोरी से कंपनी को होने वाले नुकसान को रोकने के लिये कई कदम उठाये।
पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज ग्रेजुएट रितु माहेश्वरी को 2011 में केस्को के प्रमुख अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया और जल्द ही उन्होंने कंपनी के एक-तिहाई ग्राहकों के यहां नये डिजिटल मीटर लगवाये, जिनमें बिजली चोरी करना मुश्किल था। ऋतू को एक साहसी और ईमानदार आईएएस अफसर के रूप में जाना जाता है और वह जिस भी जिले और विभाग में काम करती आई हैं वहां अपनी ईमानदारी से पॉजिटिव चेंज ले आई है। वह वर्तमान में नॉएडा अथॉरिटी की CEO हैं। वह ट्विटर अकाउंट पर काफी एक्टिव है और युवा उन्हें काफी पसंद करते हैं।
IPS Sanjukta Parashar
"आयरन लेडी ऑफ़ असम " के नाम से जानी जाने वाली संजुक्ता पराशर 2006 बैच की एक बहादुर आईपीएस अफसर हैं। संजुक्ता असम के सोनितपुर जिले में बतौर एसपी तैनात है। संजुक्ता पराशर बोडो उग्रवादियों के खिलाफ चलाए जा रहे ऑपरेशन में मुख्य भूमिका निभा रही हैं। उन्होंने 15 महीने के कार्यकाल में 16 आतकियों को ढेर किया था वहीँ 64 को गिरफ्तार किया।
साल 2008 में उनकी पहली पोस्टिंग माकुम में असिस्टेंट कमांडेंट के तौर पर हुई. जिसके बाद उदालगिरी में बोडो और बांग्लादेशियों के बीच हुई हिंसा को काबू करने के लिए उन्हें भेजा गया। संजुक्ता कई बार अपना सारा समय रिलीफ कैंपों में ही रहती हैं। वहां वो उन लोगों से मिलती हैं जिन्होंने अपना घर किसी हमले में खो दिया है। संजुक्ता सोशल मीडिया पर भी खासा एक्टिव रहती हैं और युवाओं को पुलिस ज्वाइन करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।
IAS Smita Sabharwal
People’s Officer के नाम से मशहूर स्मिता सभरवाल 2001 बैच की आईएएस अफसर हैं। उनकी पहली पोस्टिंग चित्तूर जिले में बतौर सब -कलेक्टर हुई और फिर आंध्र प्रदेश के कई जिलों में उन्होंने काम किया। उन्हें अप्रैल, 2011 में करीमनगर जिले का डीएम बनाया गया। उन्होंने हेल्थ केयर सेक्टर में 'अम्माललाना' प्रोजेक्ट की शुरुआत की.जिसकी सफलता के चलते स्मिता को प्राइम मिनिस्टर एक्सीलेंस अवार्ड भी दिया गया।
स्मिता का मानना है की उनके लिए सबसे बड़ा अवार्ड है लोगो के जीवन में सुधार लाना और देश की सेवा करना जब सबरवाल वारंगल में Municipal Commissioner के रूप में कार्यरत थी, तो उन्होंने 'फंड योर सिटी' योजना शुरू की और निवासियों को माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने में अपना योगदान देने के लिए प्रोत्साहित किया। स्मिता सबरवाल तेलंगाना के मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनात होने वाली पहली महिला आईएएस अधिकारी हैं। स्मिता हर युवा के लिए एक आइकॉन है, जिन्होंने इतने एहम पदों पर काम करते हुये भी ईमानदारी और संवेदना का साथ नहीं छोड़ा।
IAS Vijaya Jadhav
आईएएस विजया जाधव गिरिडीह (झारखण्ड) में SDM के पद पर अक्टूबर 2017 से कार्यरत है। गिरिडीह भारत की 5 सबसे पिछड़े जिलों में से एक है जहाँ सैंड माफिया, अवैध खनन, अवैध पटाखा फैक्ट्री जैसे कई गैर-कानूनी काम होना एक आम बात है। ऐसे में विजया ने इन अवैध कारोबारों को काबू करने के लिए निरंतर छापेमारी की और बिना डरे खनन माफियाओ के खिलाफ सख्त कारवाई सुनिश्चित की। 2015 बैच की इन आईएएस अफसर से जब पूछा गया की झारखण्ड में काम करना कितना मुश्किल है तो उन्होंने ने बताया कि " मैं इसे बेहतर प्रदर्शन करने के अवसर के रूप में देखती हूं। दरअसल, झारखंड, गुजरात या महाराष्ट्र की तरह विकसित राज्य नहीं है। इन राज्यों में एक प्रणाली और बुनियादी ढाँचा है, जिसकी यहाँ कमी है। इसलिए राज्य और झारखंड के निवासियों के लिए बहुत काम है। राज्य की प्रगति के लिए एक मजबूत व्यवस्था बनाने में अधिकारियों को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।" विजया सभी युवतियों की लिए एक प्रेरणा है जो अपने आत्मविश्वास और साहस से गिरिडीह जैसे एक पिछड़े जिले में अपनी नीतियों और कानून का पालन करते हुए सुशासन स्थापित कर रहीं है।
ये सभी महिलाऐं भारत की हर युवती के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है। ईमानदारी, साहस और आत्म-विश्वास रखे तो हर महिला अपने आप में सक्षम और सम्पूर्ण है।