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IAS बनना है तो फोन से निकाल फेंके व्हाट्सएप/फेसबुक, महिला अफसर ने बताई UPSC क्लियर करने की फुल स्ट्रेटजी
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रिद्धिमा की बात करें तो उनका पहला अटेम्पट दो या ढ़ाई अंक से प्री पास नहीं हुआ था। हालांकि इस बारे में रिद्धिमा कहती हैं कि इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितने नंबर से सेलेक्ट नहीं हुए क्योंकि आखिरकार तो आपका साल खराब होता ही है और सेकेंड अटेम्पट के लिए आपको फिर पूरा एक साल इंतजार करना होता है। उन्होंने बताया कि पहले अटेम्पट में उनसे दो बड़ी गलतियां हुईं थीं।
एक तो यह कि उन्होंने ओएमआर शीट एंड में मार्क करना शुरू की और समय कम रह गया यानी कि टाइम-मैनेजमेंट में समस्या आयी और दूसरी यह कि वे परीक्षा वाले दिन काफी स्ट्रेस्ड हो गईं थीं। यही परीक्षा अगर वे घर में दे रही होती तो शायद सेलेक्ट हो जाती पर वहां उनके स्ट्रेस ने उन्हें ओवरलैप कर लिया था। इसलिए रिद्धिमा कहती भी हैं कि पेपर के समय लगातार घड़ी देखते रहें और घर में बिलकुल परीक्षा वाले माहौल में अभ्यास टेस्ट दें।
प्री के लिए करें बार-बार रिवीजन –
रिद्धिमा प्री की तैयारी के विषय में यही कहती हैं कि अपने सोर्स लिमिटेड रखें और वही रखें जो ज्यादातर कैंडिडेट्स इस्तेमाल करते हैं बस उन्हें समय से खत्म करके बार-बार रिवाइज करें। रिद्धिमा बताती हैं कि उन्होंने अपने टाइम-स्लॉट को ऐसे बांटा हुआ था कि प्री परीक्षा के पहले कम से कम तीन बार पूरा रिवीजन हो जाए। इसके लिए दिन को भी डिवाइड किया था कि कितने दिन में पहला रिवीजन खत्म करना है, कितने में दूसरा और तीसरा।
(Demo Pic)
बाकी स्ट्रेटजीस के अलावा रिद्धिमा मानती हैं कि रिवीजन की भी स्ट्रेटजी होनी चाहिए। जैसे कोई रोज के रोज रिवाइज करता है तो कोई दो-तीन दिन में या हफ्ते में एक बार। वे हर दूसरे दिन रिवाइज करती थीं। रिद्धिमा कहती हैं कि आपको जो सूट करे वैसे करें पर रिवीजन बहुत जरूरी है।
प्री और मेन्स के बीच का समय है बहुत जटिल –
रिद्धिमा मानती हैं कि प्री के बाद और मेन्स आने के पहले का समय किसी भी कैंडिडेट के लिए बहुत कठिन होता है क्योंकि सबसे ज्यादा मेहनत इसी समय करनी होती है। रिवीजन के साथ ही यह समय आंसर राइटिंग प्रैक्टिस और अधिक से अधिक मॉक सॉल्व करने का होता है। कुल मिलाकर इस समय में बहुत कुछ करना होता है। इसलिए सबसे ज्यादा मेहनत रिद्धिमा ने इसी समय की। उन्होंने खूब आंसर लिखे और परीक्षा से जुड़े हर एरिया को छुआ। किसी भी एरिया को नेगलेक्ट नहीं किया।
(Demo Pic)
निबंध हो या एथिक्स रिद्धिमा ने सभी के पेपर सॉल्व किए और उत्तर लिखकर देखें। वे मानती हैं कि सेक्शनल पेपर ज्यादा लाभ नहीं देते जब भी हल करें पूरे-पूरे पेपर हल करें। टॉपर्स के ब्लॉग और उनके उत्तरों से भी रिद्धिमा ने बहुत मदद ली। वे कहती हैं कि टॉपर्स के आंसर्स कुछ दिनों में अपलोड कर दिए जाते हैं, आप उनसे सीखें की उत्तर कैसे लिखना है।
रिद्धिमा का अनुभव –
दूसरे कैंडिडेट्स को सलाह देते हुए रिद्धिमा कहती हैं कि एक तो अपने लिए नियम बनाएं और उसी के अनुरूप चलें ताकि टाइम के लिए हाय-तौबा न बचे कि समय नहीं मिलता। वे तो बहुत जल्दी उठती थी पर दूसरों को सलाह देती हैं कि हर कैंडिडेट को 6 या 7 बजे तक उठ जाना चाहिए क्योंकि इसी समय पर परीक्षा होती है तो आपका दिमाग प्रोडक्टिव बना रहता है। इसके अलावा वे ब्रेक्स लेने पर भी काफी फोकस करती हैं।
वे कहती हैं आपको जैसे पसंद हो वैसा ब्रेक लें पर खुद को रिफ्रेश करते रहें। जैसे उन्हें अपने परिवार और दोस्तों से बात करना पसंद था। तीसरी जरूरी बात रिद्धिमा कहती हैं कि उन्होंने अपनी तैयारी के दो सालों के दौरान सोशल मीडिया से अच्छी दूरी बनाकर रखी थी। व्हॉट्सअप अनइंस्टॉल कर दिया था। फेसबुक और इंस्टाग्राम कभी नहीं खोला।
वे कहती हैं कि इन्हें डिजाइन ही इस प्रकार किया गया है कि ये आपका मैक्सिमम समय खाते हैं जो उनके हिसाब से समय की घनघोर बर्बादी है। साथ ही इन पर आने वाले मैसेजेस बायस्ड होते हैं। ये जिसका पक्ष रखते हैं, बस उसी के हित में बात करते हैं, इससे आपके सोचने की क्षमता पर असर पड़ता है और आप निर्णय नहीं ले पाते।
रिद्धिमा को इनके फायदे नहीं दिखते और वे स्टूडेंट्स के लिए सोशल मीडिया को सही नहीं मानती. बाकी आईआरएस ऑफिसर पिता और आईएएस ऑफिसर मां की बेटी रिद्धिमा यह कहना नहीं भूलती कि सबकी स्ट्रेटजी या तैयारी का तरीका अलग होता है इसलिए अपने हिसाब से अपने लिए योजना बनाएं।
(Demo Pic)