MalayalamNewsableKannadaKannadaPrabhaTeluguTamilBanglaHindiMarathiMyNation
  • Facebook
  • Twitter
  • whatsapp
  • YT video
  • insta
  • ताज़ा खबर
  • राष्ट्रीय
  • वेब स्टोरी
  • राज्य
  • मनोरंजन
  • लाइफस्टाइल
  • बिज़नेस
  • सरकारी योजनाएं
  • खेल
  • धर्म
  • ज्योतिष
  • फोटो
  • Home
  • Career
  • Education
  • देव दीपावली के इतिहास की 5 कहानियां: काशी में देवताओं से प्रतिबंध हटने पर दीपोत्सव, अहिल्याबाई से जुड़ी कथा

देव दीपावली के इतिहास की 5 कहानियां: काशी में देवताओं से प्रतिबंध हटने पर दीपोत्सव, अहिल्याबाई से जुड़ी कथा

करियर डेस्क : आज काशी में देव दीपावली (Dev Deepavali 2022) का उत्साह है। घाट सज रहे हैं, दीप जलाने की तैयारी चल रही है। हर कोई उत्साह से सराबोर है। हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन काशी (Kashi) में देव दीपवली मनाई जाती है। इस साल इस दिन चंद्र ग्रहण होने के चलते एक दिन पहले यानी आज 7 नवंबर, 2022 को ही यह त्योहार मनाया जा रहा है। आज सूर्य ढलने के साथ ही काशी के अर्धचंद्राकार 85 से ज्यादा घाटों पर दीप प्रज्जवलित किया जाएगा। माना जाता है कि इस दिन देवता स्वर्ग से उतरकर काशी आ जाते हैं। देव दीपावली दुनियाभर में प्रसिद्ध है। आइए जानते हैं इसके इतिहास से जुड़ी 5 कहानियां..

3 Min read
Asianet News Hindi
Published : Nov 07 2022, 09:14 AM IST
Share this Photo Gallery
  • FB
  • TW
  • Linkdin
  • Whatsapp
  • GNFollow Us
15

देवताओं ने मनाया दीपोत्सव
महाभारत की एक प्रसिद्ध किस्सा है। कर्णपर्व में तरकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली नाम के तीन राक्षस भाई रहते थे, जिन्हें त्रिपुरासुर राक्षस कहा जाता था। उनके सोने, चांदी और लोहे से तीन नगर बने हुए थे। इन नगरों को त्रिपुर कहा जाता था। भगवान ब्रह्मा के आशीर्वाद से त्रिपुरासुर शक्तिशाली हो गए थे और देवता उनसे परेशान रहते थे। एक बार इन राक्षसों से त्रस्त होकर देवता भगवान शंकर के पास पहुंचे और उनसे त्रिपुरासुर के अंत की प्रार्थना की। देवताओं की विनती स्वीकार करते हुए भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन त्रिपुरासुर का वध कर दिया और तभी से उन्हें त्रिपुरारि या त्रिपुरांतक नाम से जाना जाने लगा। राक्षसों के अंत से  देवता प्रसन्न हो गए और उन्होंने स्वर्ग लोक में दीपोत्वस मनाया। तभी से हर साल कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली का त्योहार मनाया जाता है। 

25

काशी में देवताओं के प्रवेश पर प्रतिबंध
स्कंद पुराण में एक और कथा का जिक्र है। इसके काशीखंडम में एक कहानी है कि राजा दिवोदास काशी में राज किया करते थे। तब एक बार उन्होंने काशी में देवताओं के आने पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव भेष बदलकर काशी पहुंचे और पंचगंगा घाट पर गंगा स्नान किया। जब इसकी जानकारी राजा दिवोदास को लगी तो उन्होंने देवताओं पर लगा प्रतिबंध हटा लिया। इससे देवता खुश हो गए और काशी में दीपोत्सव मनाया।

35

अहिल्याबाई होलकर ने की शुरुआत
काशी के ज्योतिषाचार्य मानते हैं कि देव दीपावली की शुरुआत भगवान भोलेनाथ से जुड़ी है लेकिन घाटों पर दीप जलाने की कहानी पंचगंगा घाट से जुड़ी हुई है। इतिहास के मुताबिक 1785 में आदि शंकराचार्य से प्रेरणा लेकर महारानी अहिल्याबाई होलकर ने काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। उसी वक्त अहिल्याबाई ने पंचगंगा घाट पर पत्थर से बने हजारा स्तंभ पर दीप जलाकर देव दीपावली की शुरुआत की थी। इसके बाद इस त्योहार को भव्य बनाने में योगदान काशी नरेश महाराज विभूति नारायण सिंह ने दिया था।

45

क्रिकेट खेलने वाले लड़कों ने जलाया पहला दीप
अब अगर इस दौर की बात करें तो कहा जाता है कि 37 साल पहले 1985 में घाट पर कुछ लड़के क्रिकेट खेला करते थे। एक दिन उन्होंने यहां आने वाले श्रद्धालुओं से दीये और तेल का पैसा मांगा और पंचगंगा घाट पर पांच दीपक जलाए। इसी से प्रेरणा लेकर साल 1986 में बनारस के पांच घाटों पंचगंगा, बालाजी, सिंधिया घाट, मान मंदिर और अहिल्याबाई घाट पर दीपोत्सव मनाया गया।
 

55

ये कहानियां भी
कुछ लोग बताते हैं कि साल 1987 में कई लोग और इसमें शामिल हुए और पांच घाट की बजाय 15 घाटों तक देव दीपावली मनाने लगे। चार साल बाद अस्सी घाट पर भी इशकी शुरुआत हो गई। पांच साल बाद 27 घाट और अब 85 से ज्यादा घाटों पर तयह उत्सव मनाया जाता है। वहीं, केंद्रीय देव दीपावली महासमिति के अध्यक्ष पं. वागीश दत्त शास्त्री के मुताबिक, नेपाल से आकर बनारस में बसने वाले पं. नारायण गुरु ने साल 1984 में किरणा-गंगा संगम स्थल पर पांच दीये प्रज्जवलित किए थे। इसके बाद से यह महा उत्सव मनाया जा रहा है।

इसे भी पढ़ें
Kartik Purnima 2022: कार्तिक पूर्णिमा 7 या 8 नवंबर को, जानें किस दिन करें दीपदान?

गुजरात का प्रसिद्ध अंबाजी मंदिर देवदीपावली के दिन रहेगा बंद, जानिए पुजारी ने क्यों लिया निर्णय


 

About the Author

AN
Asianet News Hindi
एशियानेट न्यूज़ हिंदी डेस्क भारतीय पत्रकारिता का एक विश्वसनीय नाम है, जो समय पर, सटीक और प्रभावशाली खबरें प्रदान करता है। हमारी टीम क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय घटनाओं पर गहरी पकड़ के साथ हर विषय पर प्रामाणिक जानकारी देने के लिए समर्पित है।
Latest Videos
Recommended Stories
Related Stories
Asianet
Follow us on
  • Facebook
  • Twitter
  • whatsapp
  • YT video
  • insta
  • Download on Android
  • Download on IOS
  • About Website
  • Terms of Use
  • Privacy Policy
  • CSAM Policy
  • Complaint Redressal - Website
  • Compliance Report Digital
  • Investors
© Copyright 2025 Asianxt Digital Technologies Private Limited (Formerly known as Asianet News Media & Entertainment Private Limited) | All Rights Reserved