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जब आगबबूला हो धर्मेंद्र ने नशे में Akshay Kumar के ससुर के कारण इस शख्स को किया था पूरी रात परेशान
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तीन साल पहले धर्मेंद्र अपने पोते करन देओल की फिल्म का प्रमोशन करने द कपिल शर्मा शो में पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने बताया था जब उन्हें पता चला कि ऋषिकेश मुखर्जी राजेश खन्ना के साथ फिल्म बना रहे हैं तो वह अपसेट हो गए थे।
धर्मेंद्र ने बताया था- ऋषिकेश मुखर्जी ने मुझे फिल्म आनंद की कहानी तब सुनाई थी जब हम साथ में फ्लाइट में ट्रैवल कर रहे थे। हम बेंगलुरू से वापस आ रहे थे। तो उन्होंने मुझसे कहा कि हम अब ये करने जा रहे हैं और हम ये करेंगे। फिर बाद में मुझे पता चला कि फिल्म तो राजेश खन्ना के साथ शुरू कर दी गई है।
धर्मेंद्र को जब पता चला कि राजेश खन्ना लीड रोल कर रहे हैं तो उन्होंने नशे की हालत में ऋषिकेश मुखर्जी को रातभर फोन किया और कहा- तुम तो मुझे देने वाले थे ये रोल, तुमने मुझे इस फिल्म की कहानी तक बताई थी। तो तुमने वो फिल्म उन्हें क्यों दी? वो मुझे बोलते रहे, धरम सो जाओ, सो जाओ। हम सुबह बात करेंगे। वह मेरा फोन कट करना चाहते थे। वो बार-बार फोन रख रहे थे और मैं बार-बार फोन कर रहा था और पूछ रहा था कि क्यों किया ऐसा मुझे क्यों नहीं दिया रोल?
ऋषिकेश मुखर्जी इस फिल्म में पहले शशि कपूर को आनंद के किरदार के लिए चाहते थे। लेकिन, किसी वजह से शशि कपूर ने फिल्म के लिए मना कर दिया। इसके बाद ऋषिकेश ने राज कपूर को आनंद बनाने का सोचा लेकिन उस समय राज कपूर बीमारी से ठीक ही हुए थे और ऋषिकेश नहीं चाहते थे कि वो फिल्म में राज कपूर को मरते हुए दिखाएं। इसके बाद यह रोल राजेश खन्ना तक पहुंचा।
फिल्म आनंद की शुरुआत उस सीन से होती है जिसमें डॉ. भास्कर बनर्जी अपने दिवंगत दोस्त आनंद सहगल की यादें लोगों से शेयर करते हैं। ऋषिकेश मुखर्जी दरअसल पहले ही सीन में बता देना चाहते थे कि आनंद मर चुका है और ये इसलिए कि दर्शकों के मन में ये भ्रम नहीं रहना चाहिए कि कैंसर से जूझ रहा आनंद मरेगा या बचेगा। वह दर्शकों को एक कैंसर मरीज की मरने से पहले की जिंदादिली दिखाना चाहते थे और यही फिल्म की कामयाबी का राज भी रहा।
गीतकार योगेश के गाने कहीं दूर जब दिन ढल जाए... से ऋषि दा इतना खुश हुए कि उन्होंने योगेश को एक और गाना लिखने को कहा और वह लिखकर लाए- जिंदगी कैसी है पहेली हाय..। इस गाने के भी अजब किस्से हैं। पहले तो राजेश खन्ना के पास शूटिंग के लिए तारीख नहीं। तो तय हुआ कि इसे फिल्म के बैकग्राउंड म्यूजिक में इस्तेमाल कर लेते हैं। लेकिन, ऐसे गाने रेडियो पर बजते नहीं थे तो राजेश खन्ना एक दिन कुछ घंटे निकालने को राजी हो गए।
फिर ऋषिकेश मुखर्जी अपने कैमरामैन और राजेश खन्ना को लेकर जुहू बीच पहुंचे। वहीं से 10 पैसे का एक गुब्बारा खरीदा। इसे राजेश खन्ना के हाथ में थमाया और बोले कि बस सीधे निकल जाओ। कैमरामैन ने कैमरा रोल कर दिया और बस गाना शूट हो गया। संगीतकार सलिल चौधरी को हिंदी सिनेमा में इस फिल्म ने पुनर्स्थापित करने में बड़ी भूमिका निभाई।
फिल्म आनंद ने अमिताभ बच्चन को भी इंडस्ट्री में स्थापित करने का काम किया। तब वह फिल्म गुड्डी में भी छोटा सा रोल कर रहे थे और ऋषि दा ने उन्हें फिल्म से निकाल दिया था। अमिताभ पहले तो नाराज हुए लेकिन बाद में उन्हें आनंद के किरदार की गहराई समझ आई।
अमिताभ ने बताया था- जिस दिन फिल्म आनंद रिलीज हुई तो मैं दोपहर इरला के एक पेट्रोल पंप पर पेट्रोल डलवाने चला गया। मुझे देखना था कि कोई मुझे पहचानता है कि नहीं। वही हुआ जिसका डर था। मैं पेट्रोल भरवाकर चला आया। किसी ने पहचाना नहीं। फिर शाम को मेरा मन नहीं माना तो मैं फिर चला गया पेट्रोल डलवाने का बहाना करके। इस बार लोगों ने इशारे करने शुरू कर दिए। ये वही है बाबू मोशाय! और ऐसे आम लोगों के बीच मेरी पहली पहचान बनी थी।