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मौत से पहले पाकिस्तान जाना चाहते थे ऋषि कपूर, 3 साल पहले इस वजह से जताई थी ये ख्वाहिश
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बता दें कि ऋषि कपूर का पुश्तैनी घर पेशावर में है, जो 1918 में बना था। ये घर पृथ्वीराज कपूर के पिता बशेश्वरनाथ कपूर ने बनवाया था। बशेश्वरनाथ उस दौर में एक दीवान थे। इसे 'कपूर हवेली' के नाम से जाना जाता है।
'कपूर हवेली' पेशावर के किस्सा ख्वानी बाजार में स्थित है। इस हवेली में ही ऋषि कपूर के पिता और एक्टर राज कपूर का जन्म हुआ था। यह हवेली चारों ओर दुकानों से घिरी हुई है।
कहा जाता है कि यह हवेली 5 मंजिला थी। भूकंप आने के कारण इसमें दरारें पड़ गईं और इसकी ऊपरी तीन मंजिलों को ढहा दिया गया। इसमें 40-50 कमरे थे। इसका निर्माण 1918 से 1922 के बीच करवाया गया था।
1990 में ऋषि कपूर एक बार अपने अंकल शशि कपूर और पिता राजकपूर के साथ पेशावर स्थित कपूर हवेली गए थे। वापस आते वक्त वह हवेली के आंगन से मिट्टी उठाकर लाए थे, ताकि अपनी विरासत को सहेजकर रख सकें। ऐसा उन्होंने एक इंटरव्यू में भी बताया था।
सही तरीके से देखरेख न होने की वजह से 'कपूर हवेली' जर्जर हो गई थी। इसलिए 2018 में इसे म्यूजियम में तब्दील कर दिया गया। इसके लिए खुद ऋषि कपूर ने ही पाकिस्तान सरकार से अपील की थी। ऋषि कपूर ने ट्वीट कर पाकिस्तान सरकार से अपील की थी कि उनके पुश्तैनी घर को एक म्यूजियम में बदल दिया जाए।
'कपूर हवेली' को म्यूजियम में बदलने की जानकारी पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने दी थी। उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा था कि उन्हें ऋषि कपूर का फोन आया था और उन्होंने पेशावर स्थित अपनी पुश्तैनी हवेली को म्यूजियम में बदलने की अपील की है। उनकी मांग को मान लिया गया है।
बंटवारे के समय 1947 में कपूर परिवार भारत आ गया। उस वक्त ये हवेली आलीशान निर्माणों में से एक थी। हालांकि, बाद में धीरे-धीरे रखरखाव की कमी का असर हवेली पर दिखने लगा और उसकी दीवारें जर्जर हो गई।
बता दें कि करीब दो साल से ल्यूकेमिया (रक्त का कैंसर) से जंग लड़ रहे ऋषि कपूर को तबीयत बिगड़ने के बाद बुधवार को एचएन रिलायंस अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां गुरुवार सुबह 8 बजकर 45 मिनट पर उन्होंने अंतिम सांस ली।