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आखिर क्या देखकर मजदूरों के लिए पसीजा सोनू सूद का दिल, एक्टर ने बताई इमोशनल कर देने वाली बात
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सोनू सूद ने हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में इस पर बात की है। उनका मानना था कि उन्होंने जिन मजदूरों को सड़कों पर छोड़ दिया ये वो लोग हैं जिन्होंने सबके घर बनाए, जिन्होंने मुंबई की सड़कें बनाई, स्टार्स के लिए ऑफिसें बनाई, जहां मेकर्स शूटिंग करते हैं वो जगहें बनाई हैं...और उन्ही सबको बच्चों माता-पिता के साथ सड़कों पर सबने अकेले ही छोड़ दिया है। सोनू कहते हैं कि उनके जेहन में हम वो यादें डाल रहे हैं कि वो हजारों किलोमीटर चलकर अपने घर पहुंचे और कुछ लोग तो पहुंच भी न पाए। इसलिए एक्टर को लगा कि वो इन तस्वीरों को देखकर सिर्फ अफसोस नहीं मना सकते, कुछ न कुछ करना जरूरी समझा।
सोनू ने आगे कहा कि वो हाईवेज पर लोगों को खाना खिला रहे थे। उनकी एक अच्छी दोस्त है नीति गोयल, वो सभी साथ में मिलकर लोगों को खाना खिला रहे थे...तब वे एक परिवार मिले, जो पैदल कर्नाटक की तरफ जा रहा था। उन्होंने उनसे पूछा कि कितने किलोमीटर जा रहे हो तो उन्होंने कहा कि वो 600-700 किलोमीटर जा रहे हैं। इस पर एक्टर ने उनको रोका और सोचा कि क्यों न इनके लिए परिवहन की व्यवस्था की जाए।
सोनू ने बताया कि इसके बाद महाराष्ट्र, कर्नाटक सरकार से उन्होंने मजदूरों को घर भेजने के लिए परमिशन ली, हां थोड़ी भागदौड़ करनी पड़ी और पहली दफा उन्होंने 350 लोगों को एकसाथ भेजा। एक्टर ने कहा कि उन लोगों की आंखों में आंसू थे, वो रो पड़े थे और उन्हें लगा ये वो 350 लोग हैं, जिन्हें हम भेज पा रहे हैं, लेकिन ऐसे हजारों लाखों लोग हैं, हिन्दुस्तान के कोने-कोने में जिन्हें वो भेज नहीं पाएंगे। इसके बाद एक्टर को लगा कि अब ये शुरू करना बहुत जरूरी है। फिर उन्होंने देश के अलग-अलग हिस्सों के लोगों के लिए बिहार, उड़ीसा, झारखंड जैसे तमाम सरकारों से बातचीत की, उन्होंने परमिशन ली और फाइनली मजदूरों को उनके घरों में भिजवाने का काम शुरू किया।
इसके अलावा सोनू सूद से इस काम को करने के पीछे के मोटिवेशन के बारे में भी पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उनके माता-पिता उनसे हमेशा कहा करते हैं कि आप सफल तभी हो जब किसी की हाथ थामकर उसे उसकी मंजिल तक पहुंचाओ। वो उनकी परवरिश थी और आज उनकी पत्नी सोनाली और फैमिली उनके साथ इस काम में लगे होते हैं।
एक्टर बताते हैं कि उनकी दोस्त हैं, जिनसे को-ऑर्डिनेशन को लेकर वो घंटों बात करते रहते हैं। उनकी चार्टर्ड अकाउंट्स की पूरी टीम है, जो दिन-रात इसके लिए काम करती है कि कैसे उन लोगों को बाहर भेजा जाए। सोनू के दोस्त हैं, जो उन लोगों के बीच जाते हैं जिनमें से हो सकता है कोई कोरोना पॉजिटिव भी हों। उनके लिए ये सब करना अकेला पॉसिबल नहीं था। ऐसे बहुत सारे लोग जुड़ते गए जो इस काम को करने की इच्छा लेकर आगे आए और इसी के साथ ही उनका कारवां बनता गया।
सोनू ने बताया कि इसके लिए महाराष्ट्र सरकार के 10-12 स्टेप्स से फाइलें गुजरती हैं। वो विश करते हैं कि जो हमारा 24 घंटे का दिन है, वो काश 30-32 घंटे का होता तो हम थोड़ा और काम कर लेते। गौरतलब है कि सोनू सूद ने मजदूरों की मदद के लिए सोशल मीडिया पर एक टोल फ्री नंबर भी जारी किया है, जिससे वो फंसे लोगों तक पहुंच सकते हैं और लोग उनकी टीम से डायरेक्ट मदद के लिए जुड़ सकते हैं।