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जब कहीं से नहीं दिखी मदद की उम्मीद, तो भूखे और नंगे पैर हजारों मील के सफर पर चल पड़े गरीब, देखें कुछ तस्वीरें
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यह पहली तस्वीर यूपी के प्रयागराज(इलाहाबाद) की है। साधन न मिलने पर अपने घरों के लौटतीं प्रवासी मजदूर महिलाओं ने अपने बच्चों को यूं ट्रॉली में बैठा लिया, ताकि उन्हें धूप से बचाया जा सके। पैदल न चलना पड़े। दूसरी तस्वीर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के तिफरा ओवरब्रिज के पास की है। अपने बच्चे को कंधे पर बैठाकर रायपुर जाता एक मजदूर पिता। यह शख्स झारखंड से निकला था।
यह तस्वीर नोएडा की है। घर जाने के लिए रेलवे स्टेशन पर खड़े बच्चे।
यह तस्वीर नई दिल्ली की है। घर जाने के लिए रेलवे स्टेशन पर बेटा एक शख्स अपने मासूम बच्चे को गोद में लिए हुए।
यह तस्वीर जयपुर के एक शेल्टर होम की है। यह बच्ची यूं घूर रही है, जैसे उसे कोरोना पर बहुत गुस्सा हो।
यह तस्वीर जयपुर की है। जब बात मीलों पैदल चलने की हुई, तो जूते-चप्पलों ने भी दगा दे दिया।
यह तस्वीर अमृतसर की है। गर्मी ने लोगों की हालत खराब कर रखी है, ऐसे में मीलों पैदल चलकर अपने घर जाना पड़ रहा है।
यह तस्वीर पटियाला की है। थककर बेसुध-सी लेटी अपनी मां को को हंसाने की कोशिश करती एक बच्ची।
पहली तस्वीर अहमदाबाद की है। नरोड मेम्को एक श्रमिक अपनी बेटी के साथ कालूपुर जा रही थी। रास्ते में बच्ची की एक चप्पल टूट गई। वो एक चप्पल पहनकर ही तपती सड़क पर चलती रही। दूसरी तस्वीर 10 साल की एक बच्ची की है। वो नंगे पांव चंडीगढ़ के पास से यूपी के उन्नाव के लिए जा रही थी।
यह तस्वीर भोपाल से सामने आई थी। यह मासूम बच्चा अपने मां-बाप और छोटे भाई के साथ 700 किमी दूर छत्तीसगढ़ के मुंगेली गांव जाता दिखाई दिया था। बच्चा पैदल ही नंगे पैर चला जा रहा था।
यह बच्चा ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले से छत्तीसगढ़ के जांजगीर पहुंचा था। करीब 215 किमी उसे पैदल चलना पड़ा। कहीं-कहीं लिफ्ट भी मिली। जब ये जांजगीर पहुंचा, तो उसके नंगे पैर देखकर बिर्रा थाने के प्रभारी तेज कुमार यादव भावुक हो उठे। उन्होंने बच्चे को नई चप्पलें दिलवाईं और उसके परिवार को खाना खिलवाया। इसके बाद गाड़ी का इंतजाम करके सबको घर तक पहुंचवाया।
यह तस्वीर मध्य प्रदेश से सामने आई थी। पश्चिम बंगाल के मालदा की खातून 2500 किमी का सफर पैदल करते दिखाई दी थीं। हैरानी की बात उनकी गोद में मासूम बच्चा था।
पहली तस्वीर फरीदाबाद की है। एक पैर से विकलांग यह बच्ची अपने परिवार के साथ पैदल घर को निकली थी। दूसरी तस्वीर 10 साल की एक बच्ची की है। वो नंगे पांव चंडीगढ़ के पास से यूपी के उन्नाव के लिए जा रही थी।
पहली तस्वीर में दिखाई दे रहा मजदूर यूपी के गोरखपुर का रहने वाला है। उसने घर जाने के लिए ट्रेन में सीट बुक कराई थी, लेकिन नहीं मिली। आखिरकार उसने बच्चों को पालकी में बैठाया और हिम्मत करके 1000 किमी दूर अपने घर के लिए निकल पड़ा। दूसरी तस्वीर आंध्र प्रदेश के कडपा जिले की है। यह मजदूर 8 लोगों के परिवार के साथ 1300 किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ जाने के लिए निकला था। उसने अपने मासूम बच्चों को पालकी में बैठा रखा था।
यह तस्वीर गाजियाबाद की है। कुछ ऐसे सफर करना पड़ रहा बच्चों को।
यह तस्वीर राजस्थान की है। गर्मी में पैदल चलकर थकने के बाद कुछ यूं सो गया मासूम।