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पिता की हालात देख पूरी तरह से टूट गया था ये खिलाड़ी, मां भी नहीं चाहती थी की क्रिकेटर बने बेटा
स्पोर्ट्स डेस्क : गुजरात के नडियाड शहर में रहने वाले लेफ्ट आर्म स्पिनर अक्षर पटेल (Axar Patel) को काफी समय बाद अपने होम ग्राउंड अहमदाबाद में खेलने का मौका मिलेगा। भारत और इंग्लैंड के बीच 4 टेस्ट मैच की सीरीज का तीसरा और चौथा मैच गुजरात के मोटेरा स्टेडियम में खेला जाएगा। भारतीय टीम के स्पिनर अक्षर पटेल की पिछली परफॉर्मेंस देखते हुए इस बार भी उन्हें टीम में जगह दी गई है। 2014 में वनडे डेब्यू करने के 7 साल बाद उन्हें टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू करने का मौका मिला और उन्होंने इसका पूरा फायदा उठाते हुए अपनी फिरकी गेंद से अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए। उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ अपने डेब्यू मैच में 2 पारियों में 7 विकेट अपने नाम किए। हालांकि एक समय ऐसा था जब पिता के एक्सीडेंट के बाद ये खिलाड़ी पूरी तरह से टूट गया था, लेकिन उन्होंने अपने हौंसले को टूटने नहीं दिया और भारतीय टीम में बेहतरीन कमबैक किया।
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आईपीएल में 97 मैच खेलकर अपनी ऑलराउंड प्रतिभा का जौहर दिखाने वाले अक्षर पटेल का नाम आज पूरी दुनिया में बड़े गर्व से लिया जा रहा है, क्योंकि उन्होंने अपने डेब्यू में जो कारनामा करके दिखाया वो बड़े से बड़ा क्रिकेटर नहीं कर पाता है।
27 वर्षीय पटेल ने चेन्नई के एमए चिदंबरम स्टेडियम में इंग्लैंड (India vs England) के खिलाफ खेले गए दूसरे टेस्ट मैच में शानदार प्रदर्शन किया। मैच की पहली पारी में उन्होंने 2 विकेट चटकाएं और चौथे दिन दूसरी पारी में 60 रन देकर पांच विकेट अपने नाम किए। दोनों पारियों में उन्होंने कप्तान जो रूट को आउट किया था। इसके साथ ही अक्षर अपने डेब्यू टेस्ट में पांच या उससे ज्यादा विकेट लेने वाले छठे भारतीय स्पिनर बन गए हैं।
हाल ही में एक इंटव्यू के दौरान अक्षर पटेल के माता-पिता ने उनके लाइफ के स्ट्रगल के बारे में बताया और कहा कि आज जब वो अपने बेटे का नाम न्यूज पेपर की हैडलाइन में देखते हैं, तो उनका सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है।
एक समय ऐसा था, जब अक्षर के पेरेंट्स चाहते थे कि वह इंजीनियर बने, क्योंकि वह पढ़ाई में बहुत अच्छे थे। लेकिन 1996-2015 तक खेड़ा जिला क्रिकेट के सचिव और सहसचिव संजयभाई पटेल ने अक्षर के पिता को मनाया कि उनका बेटा पढ़ाई के साथ-साथ क्रिकेट में भी बहुत अच्छा है, उसे इसपर ध्यान देना चाहिए।
उनकी मां प्रीति पटेल कहती हैं कि 'वह कभी नहीं चाहती थीं कि उनका बेटा क्रिकेटर बने', क्योंकि उन्हें डर था कि वह चोटिल न हो जाए। उन्होंने कहा कि 'वह बहुत छोटा था, यहां तक कि उसकी दादी ने भी उसके क्रिकेट खेलने पर आपत्ति जताई थी, लेकिन अक्षर खेलने के लिए जिद्दी था। अब मुझे लगता है कि उसे रोकना नहीं, यह एक सही फैसला था।'
संजयभाई पटेल ने अक्षर पटेल को 14 साल की उम्र से ही कोचिंग देना शुरू कर दिया था। जब वह 17-18 साल के थे, तब उन्होंने बेंगलुरु में राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) में 21 दिवसीय कैम्प में हिस्सा लिया था।
अक्षर ने 2012 में रणजी ट्रॉफी में गुजरात के लिए डेब्यू किया था, इसके बाद 15 जून 2014 में ढाका में बांग्लादेश के खिलाफ उन्होंने पहला वनडे मैच खेला था। इसके बाद उन्होंने 17 जुलाई 2015 में टी-20 में डेब्यू किया था।
लेकिन 2 साल पहले उनकी लाइफ में वो दौर आया जिससे वह पूरी तरह टूट गए थे। दरअसल, अक्षर के पिता राजेशभाई दोस्तों के साथ रात को टहलने निकले थे, लेकिन एक एक्सीडेंट ने उनकी पूरी जिंदगी बदल दी थी। इस हादसे में अक्षर के पिता की खोपड़ी का बाईं ओर का हिस्सा पूरी तरह से डैमेज हो गया।
उन दिनों को याद करके अक्षर के पिता कहते हैं कि 'मुझे बहुत कुछ याद तो नहीं है, लेकिन मेरा बेटा उस समय सदमे में था। उन तनावपूर्ण क्षणों में अक्षर ने परिपक्वता दिखाई और उसके सपोर्ट के कारण ही में मौत को हराकर वापस आ पाया हूं।'
अक्षर पटेल के चचेरे भाई संक्षिप ने कहा कि 'राजेशभाई का सिर पूरी तरह से डैमेज हो गया था और उन्हें ठीक होने में चार महीने लग गए थे। इस दौरान अक्षर ने वही किया जो कोई भी बेटा अपने पिता के लिए करता। उसने अपने सभी संसाधनों को अपने पिता के इलाज में लगा दिया, यहां कि उन्हें विदेश ले जाने की तैयारी भी थी। उस तनावपूर्ण स्थिति में अक्षर ने उम्मीद नहीं खोई और इस मुश्किल दौर से अपने घर को बाहर निकाला।'
परिवार का कहना है कि उनके पिता इन दिनों ज्यादा बात नहीं करते हैं। लेकिन घर से बाहर होने के बाद भी अक्षर हर शाम फोन कर अपने पिता के स्वास्थ्य के बारे में पूछता हैं।