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वो क्रिकेटर जिसके नाम पर होती है सबसे बड़ी भारतीय लीग, 4 मैच में ही इस खिलाड़ी ने ठोक दिए थे 1000 रन
स्पोर्ट्स डेस्क : भारतीय क्रिकेट में कई ऐसे खिलाड़ी रहे हैं, जिनके जाने के बाद भी उनका खेल और उन्हें याद किया जाता है। उन्हीं में से एक है विजय सैमुअल हजारे (Vijay Hazare), जिन्होंने ना केवल भारत के लिए शानदार खेल खेला बल्कि क्रिकेट जगत में वो मुकाम हासिल किया, कि आज भी भारत में हर साल उनके नाम से विजय हजारे ट्रॉफी का आयोजन किया जाता है। हजारे का जन्म 11 मार्च 1915 को महाराष्ट्र के सांगली में हुआ था। आज उनकी 86 वीं जयंती मनाई जा रही है। 1947-48 में विजय हजारे ने भारतीय क्रिकेट को एक नई पहचान दी। आज हम आपको बताते हैं, उनके उस रिकॉर्ड के बारे में जिसे आजतक कोई भी खिलाड़ी तोड़ नहीं पाया है...
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31 साल की उम्र में 1946 में इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स में टेस्ट डेब्यू करने वाले विजय सैमुअल हजारे भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे कुशल बल्लेबाजों में से एक थे। उन्होंने 28 मार्च 1953 में वेस्ट इंडीज के खिलाफ अपना आखिरी टेस्ट मैच खेला था।
हजारे का जन्म 11 मार्च 1915 को महाराष्ट्र के सांगली में एक टीचर के घर हुआ था। वहीं, 18 दिसंबर 2004 को बड़ौदा में उनका निधन हो गया था। वह दाएं हाथ के बल्लेबाज थे और मीडियम पेसर थे।
1943-44 के दौरान घरेलू क्रिकेट में उन्होंने ऐसा रिकॉर्ड अपने नाम किया, जो आजतक कोई भी खिलाड़ी तोड़ नहीं पाया है। उन्होंने महज 4 टेस्ट मैचों 1 हजार से ज्यादा रन बनाए थे। उन्होंने इन मैचों में 248, 59, 309, 101, 223 और 87 रन की पारियां खेली थी, जिसके चलते उनका पर्सनल स्कोर 1027 रन का था।
विजय हजारे भारतीय घरेलू क्रिकेट में तिहरा शतक जड़ने वाले पहले भारतीय हैं। इतना ही नहीं, घरेलू क्रिकेट में 50 शतक लगाने वाले पहले क्रिकेटर भी विजय हजारे ही हैं।
विजय हजारे ने 1951 और 1953 के बीच 14 मैचों में भारत की कप्तानी की। उन्होंने 30 टेस्ट मैचों में 2,192 रन और 238 फर्स्ट क्लास मैचों में 18,740 रन बनाए थे, जिसमें 316 नाबाद उनका बेस्ट स्कोर रहा है।
हजारे ने कुछ समय के लिए भारतीय टीम के चयनकर्ता के रूप में भी काम किया और उन्हें उनके योगदान के लिए पद्म श्री से भी सम्मानित किया गया था।
बीसीसीआई उनके नाम पर देश में घरेलू क्रिकेट टूर्नमेंट विजय हजारे ट्रॉफी (VIJAY HAZARE TROPHY) का आयोजन भी हर साल होता है। जिसमें भारत के यंग खिलाड़ियों को खेलने का मौका मिलता है और यहीं, से उनका सिलेक्शन नेशनल टीम के लिए किया जाता है।