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छलका युवराज सिंह का दर्द, करियर खत्म होते ही BCCI ने मेरे साथ की ऐसी बदसलूकी, इज्जत से नहीं मिली विदाई भी
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युवराज ने कुछ और महान खिलाड़ियों के नाम लिए जिनका शानदार अंतर्राष्ट्रीय करियर होने के बाद भी उनके करियर का अंत अच्छा नहीं रहा।
युवराज ने कहा, " मुझे लगता है कि उन्होंने मेरे करियर के अंत में मेरे साथ जैसा व्यवहार किया गया, वो काफी गैरपेशवर था, लेकिन जब मैं कुछ और महान खिलाड़ियों जैसे हरभजन सिंह, वीरेंद्र सहवाग, जहीर खान को देखते हूं तो इनके साथ भी अच्छा व्यवहार नहीं हुआ। इसलिए यह भारतीय क्रिकेट का हिस्सा है। मैंने ऐसा पहले भी देखा है तो मैं इससे हैरान नहीं था। "
युवराज ने बोर्ड से यह रवैया बदलने की उम्मीद जताई है। उन्होंने कहा, " जो भारत के लिए इतने लंबे समय के लिए खेलता है, मुश्किल स्थिति से गुजरा हो, आपको उसे निश्चित तौर पर सम्मान देना चाहिए। "
यहां युवराज अपने कैंसर के दौर की बात कर रहे। उन्हें कैंसर हुआ था और कीमोथैरिपी के दौरान उनकी एनर्जी लगातार खत्म हो रही थी। गंजापन भी बढ़ता जा रहा था। उदासी और अकेलापन भी घेर रहा था, पर उन्होंने इन सब चीजों पर जीत हासिल की। उन्होंने इसके बाद क्रिकेट में वापसी की थी।
खुद का महान खिलाड़ी नहीं मानते युवराज
युवराज ने कहा, " जैसे गौतम गंभीर जिसने हमारे लिए दो विश्व कप जीते। सहवाग जो टेस्ट में सुनील गावस्कर के बाद हमारे लिए सबसे बड़े मैच विजेता खिलाड़ी रहे। वीवीएस। लक्ष्मण, जहीर जैसे खिलाड़ी होते हैं, उन्हें सम्मान मिलना चाहिए। "
युवराज ने कहा, " मुझे नहीं लगता कि मैं महान खिलाड़ी हूं। मैंने यह खेल पूरे सम्मान के साथ खेला है लेकिन मैंने ज्यादा टेस्ट क्रिकेट नहीं खेली है। महान खिलाड़ी वो हैं जिनका टेस्ट रिकार्ड काफी अच्छा है। "
पिछले साल 2019 में युवराज सिंह ने इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कह दिया था। युवराज सिंह को अपने करियर का अंत करने के लिए विदाई मैच खेलने का मौका नहीं मिला था।
स्टार ऑलराउंडर रहे युवराज सिंह ने अपने बचपन के समय का एक किस्सा भी सुनाया है। युवी ने कहा कि वो क्रिकेटर नही, बल्कि टेनिस खिलाड़ी बनना चाहते थे। उनके पिता ने उन्हें रैकेट भी लाकर दिया था, लेकिन वो टूट गया और इसके बाद उन्होंने डर के मारे दूसरा रैकेट नहीं मांगा। युवराज ने कहा कि रैकेट टूटने के बाद मैंने अपने पिता से डर के कारण नया रैकेट मांगने नहीं गया।
युवी ने बताया कि तब मैंने सोचा की कुछ दिन क्रिकेट खेल लेता हूं, फिर नया रैकेट मांग लूंगा। मगर जैसे ही मैंने क्रिकेट खेलना शुरू किया, मुझे मजा आने लगा और फिर मैं टेनिस को भूल गया। युवराज ने बताया कि मुझे स्केटिंग और टेनिस काफी पसंद थे। मैं टेनिस में करियर बनाना चाहता था।
मैंने अपनी मां से रैकेट मांगा था और उन्होंने मेरे पिता से इसके लिए कहा। पिता थोड़े नाराज हुए, लेकिन उन्होंने उस समय करीब 2500 रुपये का रैकेट लाकर दिया। एक मैच में हारने के बाद मैंने रैकेट को तोड़ दिया और फिर कभी पिता से रैकेट मांगने की हिम्मत नहीं हुई।
स्पोर्ट्सकीड़ा से बातचीत में युवराज ने बताया कि वो अपनी फिटनेस के लिए आज भी टेनिस खेलते हैं। उन्होंने कहा कि मैंने टेनिस हमेशा फिटनेस के लिए खेला है। मुझे टेनिस बहुत पसंद है। युवी ने बताया कि कैसे खिलाड़ी संन्यास के बाद भी खेल से जुड़ा रहता है। युवी ने कहा कि सचिन तेंदुलकर ने उनसे कहा था कि अगर वह चार-पांच दिन न खेलें तो थोड़े परेशान से हो जाते हैं।
युवराज ने कहा कि सचिन कह रहे थे कि उनके लिए कोई न कोई खेल खेलना जरूरी होता है। चाहे वह गोल्फ हो या टेबल टेनिस या फिर बैडमिंटन। हर खिलाड़ी के लिए खेल जरूरी होता है और वो लगातार कुछ ना कुछ खेलते रहना चाहते हैं।