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तीसरी बार बनेगी केजरीवाल की सरकार, ये हैं वो 6 धांसू वजहें जिनसे AAP ने जीता दिल्ली का दिल
नई दिल्ली। विधानसभा की 70 सीटों की मतगणना में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी रुझान में प्रचंड बहुमत हासिल करती नजर आ रही है। हालांकि 2020 के चुनाव में आप को वैसी कामयाबी नहीं मिलती दिख रही जिस तरह से पार्टी ने 2015 में सीटें हासिल की थी। 2015 में आप ने 67 सीटें हासिल की थीं।
| Published : Feb 11 2020, 01:03 PM IST / Updated: Feb 11 2020, 08:17 PM IST
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आइए जानते हैं दिल्ली में आप की जीत के 6 बड़े ब्रह्मास्त्र क्या रहें जिसका बीजेपी और कांग्रेस मुकाबला नहीं कर पाई।
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#1. काम आई PM मोदी पर बनाई स्ट्रेटजी: दिल्ली में मोदी को पसंद करने वाली सॉफ्ट हिंदुओं का भी वोट हासिल किया। करीब छह महीने से आप और उसके नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टारगेट नहीं किया, उनका नाम भी नहीं लिया। पार्टी का मकसद था कि चुनाव को मोदी बनाम केजरीवाल न किया जाए। केजरीवाल ने तो सार्वजनिक कहा भी कि लोकसभा में बीजेपी को वोट देने वाले विधानसभा चुनाव में उनका समर्थन करें। पार्टी ने सोशल मीडिया पर ऐसा अभियान भी चलाया कि केंद्र में नरेंद्र को पसंद करने वाले भाजपाई वोटर भी विधानसभा में केजरीवाल को सपोर्ट कर रहे हैं।
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#2. दिल्ली के मन को भा गया पांच साल का काम: अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में सरकार के पांच साल के कामकाज को दिल्ली की जनता ने पसंद किया। बेहतर सरकारी शिक्षा, स्कूलों का विकास और सुंदरीकरण, पेयजल, फ्री स्वास्थ्य सुविधाएं, बिजली की सस्ती दरें दिल्ली की जनता को पसंद आई। खासकर निचले तबके ने काम पर अरविंद केजरीवाल की आप को जमकर वोट दिया।
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#3. जनता से सीधे जुड़ने का फायदा मिला: आम आदमी पार्टी के ढांचे में पार्टी नेताओं खासकर विधायकों का जनता से सीधे जुड़ाव रहा। केजरीवाल ने भी चुनाव से पहले लोगों से सीधे संवाद करने की स्ट्रेटजी बनाई। जमीन पर मजबूत पकड़ ने विधानसभा चुनाव में पार्टी को फायदा दिया।
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#4. गारंटी कार्ड पर भरोसा लोगों ने किया भरोसा: केजरीवाल ने चुनाव से पहले अपनी अगली सरकार का रोडमैप गारंटी कार्ड के रूप में पेश किया। इसमें 10 मुद्दे थे जिसपर केजरीवाल ने अगले पांच साला काम करने का वादा किया। केजरीवाल के पांच साल के काम की वजह से लोगों ने गारंटी कार्ड पर भरोसा किया। गारंटी कार्ड, इलेक्शन स्ट्रेटजिस्ट प्रशांत किशोर ने बनाया था।
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#5. चुनाव में कांग्रेस का कमजोर होना: विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का कमजोर रहना आप के लिए फायदेमंद साबित हुआ। दिल्ली के राजनीतिक ट्रेंड को देखें तो कांग्रेस का वोटबैंक ही आप के पास आया है। पिछले तीन चुनाव में जहां कांग्रेस के मत बुरी तरह से कम हुए वहीं आम आदमी पार्टी को जीत मिली। आप ने कांग्रेस के परंपरागत वोट दलित और मुस्लिम को तोड़ा। कांग्रेस के मजबूत नहीं होने से मतों का बंटवारा नहीं किला और बीजेपी फायदा नहीं उठा पाई।
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#6. साफ्ट हिंदुत्व कार्ड और व्यापारियों का जुड़ाव: चुनाव में अरविंद केजरीवाल ने सॉफ्ट हिन्दुत्व का कार्ड खेला। किसी भी ऐसे मुद्दे पर नहीं बोले जो हिंदुओं को नाराज करता। नागरिकता कानून की खिलाफत करने के बावजूद न तो शाहीन बाग गए और न ही मुस्लिम इलाकों में प्रचार किया। हनुमान चालीसा एपिसोड से उन्हें सिंपैथी भी मिली। केजरीवाल वैश्य समाज से आते हैं। भाजपा के मजबूत वोटबैंक में सेंधमारी की।