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Fact Check: भीख मांगने वाली बच्ची की खूबसूरती देख दंग रह लोग, जानें कौन है ये 'शहजादी'?
| Published : Apr 11 2020, 03:03 PM IST / Updated: Apr 11 2020, 03:14 PM IST
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लोगों का कहना है कि यह लड़की भिखारियों को मुंबई से आने वाली ट्रेन में मिली थी। यह बच्ची सड़कों पर भीख मांगती दिखी थी और इसे देख हर कोई दंग रह गया। सोशल मीडिया पर बच्ची के मां-बाप को ढूंढ़कर बच्ची को उन तक पहुंचाने की अपील की गई।
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क्या हो रहा है वायरल? Dadan Pandey नाम के फेसबुक यूजर ने वायरल पोस्ट को शेयर किया जिसमें दो तस्वीरें हैं, जिसमें एक बच्ची को भीख मांगते देखा जा सकता है। बच्ची के हाथ में एक प्लेट है जिसपर कुछ नोट और सिक्के रखे हुए हैं।
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क्या दावा किया जा रहा है? पोस्ट के साथ डिस्क्रिप्शन में लिखा है, “इस छोटी सी खूबसूरत लड़की को जौनपुर में भिखारियों के एक समूह के साथ देखा गया। कृपया आगे बढ़ें जब तक कि वह सही माता-पिता तक न पहुंच जाए और उसकी पहचान हो जाए। वह उसका नाम जानती है और कहती है कि वह सोनल त्रिपाठी है। लोगों ने आंशका जताई कि ये बच्ची भिखारी नहीं हो सकती जरूर उसे किडनैप करके ऐसा भीख मांगने को मजबूर किया गया है। कृपया इस तस्वीर को अपने सभी समूहों पर पोस्ट करें।
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पोस्ट में दावा किया गया कि, जिन भिखारियों को ये मिली उनका कहना है कि वह मुंबई से आने वाली एक ट्रेन में मिली थी। हो सकता है कि वह बेहतर जीवन वापस पा सके।” बच्ची की तस्वीर ने सोशल मीडिया पर हंगामा बरपाया हुआ है। लोग उसके भविष्य की कल्पना कर डरे हुए हैं।
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सच्चाई क्या है? वायरल तस्वीर की जब हमने जांच पड़ताल की तो पाया कि ये एक साल पुरानी फोटो है।" ये बच्ची साल 2019 में भी जमकर वायरल हुई थी। ये बांग्लादेश की बच्ची है जो वाकई भीख मांगने को मजबूर थी लेकिन पुलिस ने इसे तलाश कर इसके घर पहुंचा दिया था। पड़ताल के समय हमने देखा था कि में बच्ची के हाथ में रखी प्लेट में जो नोट भारतीय मुद्रा नहीं हैं। उनपर गांधी जी नहीं बल्कि बांग्लादेश के संस्थापक राजनेता शेख मुजीबुर रहमान की तस्वीर छपी है। ये बांग्लादेशी मुद्रा टका पर होती है। बच्ची के हाथ में रखी मुद्रा बांग्लादेशी है। हमें ये खबर shadhinnews24.com पर भी मिली थी। खबर के मुताबिक, एक व्यक्ति ने इस बच्ची की तस्वीर ढाका की सड़कों पर खींची थी। बच्ची को ढूंढा जा चुका था और उसे उसके माता-पिता के साथ सही सलामत भेज दिया गया था।
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ये निकला नतीजा- ये तस्वीर जौनपुर की नहीं है फैक्ट चेकिंग में हमने पाया कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा दावा गलत है। असल में यह तस्वीर जौनपुर की नहीं, बल्कि बांग्लादेश की है। सोशल मीडिया पर 2019 की पुरानी तस्वीर को अब कोरोना लॉकडाउन के मद्देनजर इसे फिर से वायरल किया जा रहा है। बच्ची की तस्वीर के साथ झूठे दावे शेयर किए जा रहे हैं जिन पर भरोसा करने से बचना चाहिए।