- Home
- Fact Check News
- क्वारांटाइन के नाम भूखे प्यासे 1 कमरे में ठूंसे गए पैदल गए मजदूर, तस्वीर देख आएगा रोना लेकिन जानें सच
क्वारांटाइन के नाम भूखे प्यासे 1 कमरे में ठूंसे गए पैदल गए मजदूर, तस्वीर देख आएगा रोना लेकिन जानें सच
अहमदाबाद. कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सरकार ने पूरे देश में लॉकडाउन घोषित कर दिया था। देशबंदी के बीच दिहाड़ी मज़दूरों सड़क पर आ गए। घर से कई सौ किमीं. दूर दो पैसे कमाने गए मजदूर बेघर हो गए थे। ट्रेनें बंद होने के कारण दिल्ली, गुजरात, देहरादून, मुंबई और राजस्थान से मजदूर पैदल ही घरों की ओर चल पड़े थे। इस पर जमकर चर्चा भी हुई। सरकार ने बहुत से मजदूरों को क्वारंटाइन करवाया और अधिकतर को घर पहुचवाया। अब सोशल मीडिया पर एक तस्वीर तेजी से वायरल हो रही है। कहा जा रहा है कि गुजरात में लॉकडाउन के चलते मज़दूरों की खराब स्थिति है। यहां पैदल चलकर आए मजदूरों को क्वारांटाइन के बाहने भूसे की तरह एक कमरे में भर दिया गया।
मज़दूरों की हालत के बारे में मीडिया से ज़्यादा चर्चा सोशल मीडिया पर हो रही है। फैक्ट चेकिंग में आइए जानते हैं कि सच क्या है?
- FB
- TW
- Linkdin
कई मज़दूरों ने लॉकडाउन की घोषणा के बाद अपने गांव लौटने के लिए सैकड़ों किलोमीटर का रास्ता पैदल ही तय करना शुरू कर दिया था। लॉकडाउन के दूसरे चरण यानी कि 3 मई तक बढ़ाये जाने की घोषणा होते ही मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन पर मज़दूरों की भीड़ इकट्ठा होनी शुरू हो गई थी। इसे रोकने के लिए मुंबई पुलिस ने इन मज़दूरों पर लाठीचार्ज किया था। अब गुजरात की एक तस्वीर ने मजदूरों की हालत पर सनसनी मचा दी है।
वायरल पोस्ट क्या है?
‘मीडिया आलोचक’ नाम के एक ट्विटर हैन्डल ने ये तस्वीर शेयर करते हुए लिखा -“गुजरात मे इन #मजदूरो के बारे मे #दलाल_मीडिया का क्या ख्याल है। इनके पास ना तो खाने के लिए राशन है ना ही राशन खरीदने के लिए पैसे है ना ही रहने के लिए रूम है। यह लोग जाये तो जाये कहाँ #मीडिया को असली तस्वीर छुपाने के लिए #जमाती और #मस्जिद वाला मुद्दा चाहिये ताकि नफरत का माहौल गरम रहे।”
आर्टिकल लिखे जाने तक इस ट्वीट को 850 बार लाइक और 500 के करीब रीट्वीट किया गया है। हालांकि अब ये ट्वीट डीलिट किया जा चुका है।
क्या दावा किया जा रहा है?
दावा किया जा रहा है कि ये तबलीग़ी जमात के लोग नहीं बल्कि हिन्दू हैं इसीलिए मीडिया इन्हें नहीं दिखा रही। ये गुजरात में पैदल चलकर गए मजदूर हैं जिन्हें एक कमरे में रखा जा रहा है, ये भूखे-प्यासे हैं और सोशल डिस्टेंशिंग की भी धज्जियां उड़ी हुई हैं।
ट्विटर फेसबुक सभी जगह ये तस्वीर छाई हुई है। लोग इसे धड़ाधड़ शेयर कर रहे हैं।
सच क्या है?
तस्वीर को रिवर्स इमेज सर्च करने से ‘डेली फुल्की’ नामक एक बांग्ला वेबसाइट का 25 दिसम्बर 2019 का आर्टिकल मिला। इस आर्टिकल में बताया गया है कि ये तस्वीर मलयेशिया में फंसे बांग्लादेशी प्रवासियों की है। मलयेशिया सरकार ने देश में गैरक़ानूनी तरीक़े से रह रहे बांग्लादेशी प्रावासियों को अपने देश लौटने का एक अवसर दिया था जिसमें उन्हें सिर्फ़ कुछ ज़ुर्माने की रक़म भरने के बाद अपने देश जाने का मौका मिल रहा था।
मलयेशिया सरकार ने प्रवासी मज़दूरों को अपने देश लौटने के लिए अगस्त 2019 से ये पहल शुरू की थी। रिपोर्ट के मुताबिक, ऐन मौके पर प्रवासियों की भीड़ बढ़ने के कारण सरकार ने अचानक से इसे होल्ड पर रख दिया था।
ये निकला नतीजा-
वायरल हो रही ये तस्वीर एक साल पुरानी है और इससे भारत का कोई संबंध नहीं है। ये भारतीय प्रवासी मजदूरों की फोटो नहीं है। गुजरात में मजदूरों को एक कमरे में रखे जाने का भी कोई मामला सामने नहीं आया है। कोरोना से जुड़ी फेक खबरों से सचेत रहें।