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कोरोना आपदा के लिए सभी सरकारी कर्मचारियों की पेंशन का पैसा काटेगी सरकार, जानें सच
नई दिल्ली. कोरोना महामारी में सरकार ने पीएम केयर फंड और पीएम रिलीफ फंड में लोगों से दान मांगा है। कोरोना जैसी बड़ी आपदा में लड़ाई के लिए बड़े-बड़े बिजनेसमैन और सेलेब्रिटीज ने भारी मात्रा में दान भी किया है। ऐसे में सरकारी कर्मचारियों के वेतन में कटौती की बात भी सामने आई। हालांकि लॉकडाउन की वजह से नौकरी छूटने और वेतन में कटौती को लेकर भी लोग परेशान हैं। प्राइवेट नौकरियों पर खतरा मंडराया है। प्राइवेट कंपनियों के कर्मचारी और दिहाड़ी मजदूर बेरोजगार हो गए हैं। इस बीच सोशल मीडिया पर खबर आई है कि मोदी सरकार सभी सरकारी कर्मचारियों की पेंशन में से पैसा काटेगी।
इस खबर से चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी घबराए हुए हैं। खासतौर पर पेंशन पर गुजारा करने वाले रिटायर लोग ज्यादा दहशत में हैं। फैक्ट चेकिंग में आइए जानते हैं कि इसकी सच्चाई क्या है?
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लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्था को बड़े पैमाने पर नुकसान का सामना करना पड़ेगा। अखबारों के लेख में बिजनेस के धुरंधर अर्थव्यवस्था को लेकर आशंका जता रहे हैं। इस बीच खबर है कि सरकार ने पेंशनरों को भी नहीं बख्शा।
(Demo Pic)
वायरल पोस्ट क्या है?
वाट्सऐप और फेसबुक पर एक मैसेज वायरल हो रहा है कि सरकार कर्मचारियों की पेंशन में 30 प्रतिशत की कटौती करने जा रही है और 80 साल से अधिक उम्र वालों की पेंशन खत्म कर देगी।
क्या दावा किया जा रहा है?
वायरल हो रहे दावे के मुताबिक, ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि पैसे को स्वास्थ्य सेवाओं के लिए खर्च किया जा सके और कोरोना वायरस महामारी के बुरे प्रभाव से देश को बचाया जा सके। सोशल मीडिया यूजर्स “Rediff” का लेख भी फॉरवर्ड कर रहे हैं जो कि 6 अप्रैल, 2020 को छपा है। इस लेख की हेडिंग है, “सरकार कर्मचारियों के पेंशन में कर सकती है 30% तक की कमी।”
सच क्या है?
वायरल हो रहा दावा भ्रामक है। सरकार की ओर से कर्मचारियों की पेंशन काटने या खत्म करने के लिए अभी तक ऐसी कोई अधिसूचना या आदेश नहीं है। भारत सरकार के प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो ने वायरल हो रहे मैसेज को “फर्जी” करार दिया है। PIB FactCheck ने कहा है कि जिस मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि “सरकार COVID 19 के चलते कर्मचारियों की पेंशन को 30% तक कम कर सकती है और 80 साल से ज्यादा उम्र के लोगों की पेंशन समाप्त कर सकती है, वह फर्जी है।”
पीआईबी का यह ट्विटर हैंडल सरकारी नीतियों या योजनाओं को लेकर उड़ने वाली अफवाहों या फर्जी खबरों की सच्चाई बताता है।
वहीं “Rediff” का जो लेख शेयर किया जा रहा है उसमें राजनीतिक नेतृत्व इस बात पर गंभीरता से विचार कर रहा है कि भारत के राष्ट्रपति से लेकर कार्यालय सहायक (चपरासी) तक काम कर चुके लोगों को दी जाने वाली पेंशन में 30% की कटौती कर दी जाए।” पूरे लेख में न तो किसी सरकारी अधिकारी का कोई बयान है और न ही इस जानकारी के स्रोत का कोई उल्लेख किया गया है।
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इस लेख के प्रकाशित होने के दस दिन बाद तक इस बारे में कोई विश्वसनीय खबर, कोई सूचना या सरकारी आदेश नहीं मिला। 6 अप्रैल, 2020 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने फैसला लिया था कि संसद के सदस्यों के वेतन में 30 प्रतिशत की कटौती की जाएगी और सांसध निधि के तौर पर दिए जाने वाले फंड को भी दो साल के लिए रोक दिया गया है। मौजूदा वक्त में भारत में 1.6 करोड़ लोग पेंशन और सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाली योजनाओं का लाभ ले रहे हैं।
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ये निकला नतीजा
कोरोना आपदा में किसी भी सरकारी कर्मचारी की पेंशन में कोई कटौती होने का आदेश जारी नहीं किया गया है। ये अफवाह फर्जी है। कोरोना को लेकर फर्जी मैसेज और दावों से सचेत रहें।
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