एक थी साइकिल: 2000 साल पहले मंदिर में दिखी थी..लॉकडाउन ने उतार दी 'चेन'
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पहली तस्वीर दिखाती है कि दुनिया कैसे बदलती है। दूसरी तस्वीर तमिलनाडु के मंदिर की है। पहले जानते हैं एटलस कंपनी ने कारखाना बंद क्यों किया? एटलस साइकिल्स (हरियाणा) लिमिटेड का यह कारखाना यूपी के गाजियाबाद जिले के साहिबाबाद में है। इसे देश का सबसे बड़ा साइकिल कारखाना कहते हैं। लॉकडाउन में आई आर्थिक मंदी के बाद मालिकों ने इसे बंद करने का फैसला लिया है। यहां एक नोटिस लगाया गया है, जिसमें लिखा है कि कंपनी कई सालों से आर्थिक संकट से गुजर रही है। आय के स्त्रोत बंद होने से कारखाना बंद करना पड़ रहा है। कारखाने में करीब 1000 लोग काम करते हैं। कारखाना 1989 से चल रहा है। लॉकडाउन से पहले यहां हर महीने 2 लाख साइकिलें बनती थीं। आगे पढ़िए तमिलनाडु के पंचवर्ण मंदिर की कहानी...
यह तस्वीर तमिलनाडु के पंचवर्ण स्वामी मंदिर की है। इस मंदिर की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हैं। इन भित्ति चित्रों में साइकिल पर बैठा आदमी दिखाई दे रहा है। कहा जा रहा है कि ये चित्र 1300 साल से लेकर 2000 साल पुराने हैं। हालांकि इसकी अभी कोई पुष्टि नहीं करता कि ये चित्र कितने पुराने हैं। लेकिन यह मंदिर अवश्य 2000 साल पुराना है। खैर यह पुरातत्व विभाग की जांच का विषय है, लेकिन यहां बात साइकिल की है। बता दें कि सबसे पहले 1839 में एक लुहार लुहार किर्क पैट्रिक मैकमिलन ने साइकिल को आधुनिक रूप दिया था। हालांकि साइकिल इससे पहले 1817 में जर्मनी में एक व्यक्ति बैरन फ्रांन ड्रेविस ने आविष्कार कर दी थी। लेकिन यह लकड़ी की थी। आगे देखिए जिंदगी में साइकिल की अहमियत दिखातीं तस्वीरें
साइकिल आज भी हजारों लोगों की रोजी-रोटी का जरिया है। कई लोग साइकिल पर ही अपना कामधंधा चलाते हैं।
इस तरह बाइक को खींचना कोई आसान नहीं है।
सामान ढोने का यह सबसे सस्ता और सरल साधन है।
साइकिल बच्चों के लिए सिर्फ मनोरंजन नहीं, जिंदगी में बैलेंस सीखने का एक जरिया है।
गरीब परिवारों के लिए यह सबसे सस्ती सवारी है।
फौजियों के लिए यह शान की सवारी है।
कहीं भी साइकिल से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
साइकिल एक चलती-फिरती दुकान है।
कुछ साल पहले तक जैसे पूरा डाक विभाग ही साइकिल पर टिका था। अब भी ज्यादातर डाकिये साइकिल पर ही चलते हैं।
साइकिल के बिना स्कूल आना-जाना जैसे मुमकिन ही नहीं।
आज भी तमाम कारखानों में लोग साइकिल से आते-जाते हैं।