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- किसी पर 2 महीने की उम्र में फेंका तेजाब- किसी के जीजा ने ही किया घिनौना काम, मिलें ऐसे 7 एसिड अटैक सर्वाइवर से
किसी पर 2 महीने की उम्र में फेंका तेजाब- किसी के जीजा ने ही किया घिनौना काम, मिलें ऐसे 7 एसिड अटैक सर्वाइवर से
लाइफस्टाइल डेस्क : भारत में एसिड हमले (acid attack) आम है और इनमें से ज्यादातर हमले शादी के लिए मना करने, यौन प्रस्ताव, प्रेम प्रस्ताव या दहेज असहमति के कारण होते हैं। कुछ लोगों की तो एसिड अटैक से मौत हो जाती है और अधिकांश बचे लोग अपमान के डर से सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आते हैं। लेकिन कई एसिड अटैक सर्वाइवर्स ने बाहर आकर चुप्पी तोड़ी है और समाज के लिए प्रेरणा बनें। फिल्म छपाक के बाद से लक्ष्मी अग्रवाल को तो सभी जानने लगे है, लेकिन आज हम आपको मिलवाते है 7 ऐसी और एसिड सर्वाइवर से (acid attack survivors), जो हर इंसान के लिए प्रेरणा है...
| Published : Mar 11 2022, 10:14 AM IST
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रेशमा कुरैशी
मई 2014 में में जब रेशमा कुरैशी 17 साल की थीं, जब उनकी बहन के पति सहित चार लोगों ने उन पर तेजाब से हमला किया। जब यह घटना हुई, तब वह एक परीक्षा देने के लिए इलाहाबाद में थी। उसने खुद को और अपनी बहन को बचाने के कोशिश में पुरुषों से तेजाब छीन लिया। पुरुषों ने उस पर तेजाब डाला, जिससे उसका चेहरा बुरी तरह जल गया और उसकी एक आंख हमेशा के लिए खराब हो गई। हालांकि, रेशमा ने इससे हार नहीं मानी और उन्होंने 2016 में #TakeBeautyBack अभियान को बढ़ावा देने के लिए न्यूयॉर्क फैशन वीक में रैंप वॉक किया।
अनमोल रोड्रिगेज
अनमोल सिर्फ दो महीने की थी जब उसके पिता ने उसकी मां पर तेजाब फेंका, जिसकी जलने से मौत हो गई। अनमोल, जो उनकी गोद में थी, वो भी इसकी चपेट में आ गई और चेहरा खराब होने के साथ ही उसकी एक आंख की रोशनी भी चली गई। वह एक अनाथालय में पली-बढ़ी, अनमोल ने दोस्त बनाने के लिए संघर्ष किया और भेदभाव का सामना करने के कारण उसे अपनी नौकरी भी छोड़नी पड़ी। फिर उसने अन्य बचे लोगों की मदद के लिए एसिड अटैक सर्वाइवर सहस फाउंडेशन नामक एक एनजीओ शुरू किया। अब वह एक फैशन आइकन हैं। उन्होंने कई इंस्टाग्राम और यूट्यूब चैनलों के लिए मॉडलिंग की है।
दौलत बी खान
मेकअप आर्टिस्ट 26 वर्षीय दौलत बी खान सोफे पर बैठी थीं, तभी उनकी बहन और देवर ने उन पर तेजाब फेंक दिया। उन्होंने पारिवारिक कलह के चलते उसके चेहरे पर तेजाब फेंका। इस घटना के बाद, दौलत ने अन्य बचे लोगों की मदद करने का फैसला किया और एनजीओ एसिड अटैक सर्वाइवर सहस फाउंडेशन खोली। मुंबई स्थित यह एनजीओ एसिड हमलों के 26 से ज्यादा पीड़ितों के लिए परामर्श, शिक्षा और रोजगार के अवसर प्रदान करता है।
डॉली
डॉली 12 साल की थी जब उससे दुगुनी उम्र का एक आदमी उसका पीछा करने लगा और गंदे-गंदे कमेंट करने लगा और कहा कि उन्हें एक साथ सोना चाहिए। वह अन्य बच्चों के साथ खेल रही थी, तभी उस व्यक्ति ने उसके चेहरे पर तेजाब फेंक दिया और उसके चेहरे पर हमेशा के लिए दाग लगा दिया। इस घटना ने उसके चेहरे के ऊतकों और उसके नाक को नुकसान पहुंचाया और उसे अभी भी सांस लेने में परेशानी होती है। हमले के बाद एक साल तक वह घर से बाहर नहीं निकली। कुछ समय बाद, उसे आगरा में शीरोज कैफे के बारे में पता चला और वह कैफे में अन्य एसिड अटैक सर्वाइवर्स के साथ काम करती है। डॉली का हमलावर जेल में है और 2016 में उसने उसे यह बताने के लिए एक पत्र भेजा कि वह उसकी आत्मा को तोड़ने में विफल रहा है। "तुमने मेरा चेहरा जला दिया, लेकिन जीने की मेरी इच्छा नहीं। आप उस पर तेजाब नहीं फेंक सकते।"
सोनाली
साल 2003 में तीन लोग सोनाली के घर में घुसे और उसके चेहरे पर तेजाब फेंक दिया, जिससे उसका चेहरा हमेशा के लिए खराब हो गई। वह एक बार एक क्राइम प्रोग्राम में आई थी और उस पर चित्तरंजन तिवारी ने ध्यान दिया था। उसने उससे संपर्क किया और कुछ महीनों के बाद शादी का प्रस्ताव रखा। दोनों अब एक खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं।
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प्रज्ञा सिंह
2006 की बात है, जब शादी के 12 दिन बाद, 23 वर्षीय प्रज्ञा सिंह अपना करियर बनाने के लिए अपने गृहनगर वाराणसी से दिल्ली के लिए ट्रेन में अकेले यात्रा कर रही थी। जब वह गहरी नींद में थी, एक आदमी जिसके शादी के प्रस्ताव को उसने ठुकरा दिया था, उसने उसके चेहरे पर तेजाब फेंक दिया। घटना में उसकी एक आंख खराब हो गई और उसे लगभग पंद्रह सर्जरी से गुजरना पड़ा। 7 साल बाद प्रज्ञा ने अपने पति और दोस्तों के सहयोग से अतिजीवन फाउंडेशन शुरू करने के लिए 30,000 रुपए जुटाए, जो एक गैर सरकारी संगठन है, जो पोस्ट-ऑप परामर्श और कौशल-विकास के साथ-साथ एसिड अटैक और बर्न सर्वाइवर्स के लिए मुफ्त सर्जरी और गैर-सर्जिकल उपचार की व्यवस्था करता है।
चंद्रहास मिश्रा
भारत में केवल महिलाएं ही नहीं बल्कि पुरुष भी एसिड अटैक का शिकार होते हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, भारत में एसिड हमले के पीड़ितों में लगभग 40 प्रतिशत पुरुष हैं। ज्यादातर मामलों में, घरेलू विवाद या पेशेवर प्रतिद्वंद्विता के दौरान पुरुषों को एसिड अटैक का सामना करना पड़ता है। मेरठ निवासी चंद्रहास मिश्रा पर 27 साल की उम्र में एक महिला से छेड़छाड़ के प्रयास को रोकने पर हमला कर दिया गया था। हमलावर उनके जमींदार का बेटा था, जिसे चंद्रहास ने सड़क पर एक महिला को परेशान करते हुए पकड़ा था। इसके बाद उस लड़के ने तेजाब से भरी एक बाल्टी चंद्रहास पर फेंकी, जिससे वह 40% से अधिक जल गया। इस अटैक के बाद चंद्रहास पुरुष एसिड अटैक सर्वाइवर्स के लिए एक कार्यकर्ता बनें। वह एनजीओ एसिड सर्वाइवर्स और वीमेन वेलफेयर फाउंडेशन के साथ समन्वयक भी हैं।
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