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कफन हटाते ही खड़ा हो गया हंगामा, एक चूहे ने खोल दी सरकारी व्यवस्थाओं की सारी पोल
इंदौर, मध्य प्रदेश. कोरानाकाल में मेडिकल स्टाफ (medical staff) की जिम्मेदारी सबसे ज्यादा बढ़ गई है। लेकिन अब इस दिशा में घोर लापरवाहियां भी सामने आ रही हैं। अस्पतालों में मरीजों के साथ दुर्व्यवहार, इलाज में कोताही के अलावा निजी अस्पतालों में अनाप-शनाप बिल के लगातार मामले सामने आ रहे हैं। मध्य प्रदेश में कोरोना संक्रमण (Corona infection) के लगातार केस बढ़ रहे हैं। बावजूद सरकारी इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं। सबसे शर्मनाक बात यह कि लोगों को अस्पतालों में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। नया मामला इंदौर के यूनिक अस्पताल से जुड़ा है। यहां स्टाफ की लापरवाही से चूहे एक लाश को कुतर गए। बता दें कि मध्य प्रदेश में एक्टिव केस 22542 हो गए हैं। इनमें से 9 हजार केस सिर्फ इंदौर, भोपाल, जबलपुर और ग्वालियर में हैं। पढ़िए कोरोना संकट में अव्यवस्थाओं की कहानियां...
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यह शर्मनाक तस्वीर इंदौर के यूनिक अस्पताल की है। यहां अस्पताल के स्टाफ की लापरवाही से 87 वर्षीय नवीनचंद्र जैन की लाश को चूहे कुतर गए। कोरोना से इनकी मौत हुई थी। अस्पताल में मर्च्यूरी नहीं है। लिहाजा, लाश को बेसमेंट में रख दिया गया। रात को चूहे लाश की आंख और पैरों की उंगुलियां कुतर गए। मामला रविवार रात का है। सोमवार सुबह जब परिजन लाश लेने पहुंचे और कफन उठाया, तो हंगामा खड़ा हो गया। इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद प्रशासन ने मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं।
आगे पढ़ें...9 दिन पहले मर चुका था पिता, बेटे को लगा कि अस्पताल में उसका डॉक्टर अच्छे से ख्याल रख रहे हैं
इंदौर, मध्य प्रदेश. यहां के एमवाय अस्पताल (Indore MY Hospital) में कोरोना मरीज की मौत के बाद उसकी लाश को भगवान भरोसे छोड़ने का एक और मामला सामने आया है। 54 वर्षीय शख्स की लाश 9 दिन तक अस्पताल की मर्च्यूरी पर पड़ी रही। उसका बेटा यही समझता रहा कि अस्पताल में उसके पिता का बेहतर इलाज चल रहा है। शुक्रवार को जब उसे पिता की मौत की खबर दी गई, तो वो शॉक्ड रह गया। बताते हैं कि भर्ती कराने के तीन बाद ही उनकी मौत हो गई थी। लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने इसकी जानकारी परिजनों को नहीं दी। बता दें कि बोर्ड कॉलोनी, पीथमपुर निवासी तानाजी पिता केशव को कोरोना पॉजिटिव होने पर 6 सितंबर को शाम 4.30 अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 9 सितंबर को उनकी मौत हो गई। लेकिन कर्मचारियों ने शव को पॉलिथीन में लपेटकर मर्च्यूरी में रख दिया। 18 सितंबर को परिजनों को इसकी जानकारी दी गई। आगे पढ़ें...बेड रखे-रखे सड़ गई लाश...
यह मामला भी कुछ दिन पहले इंदौर के ही एमवाय अस्पताल में सामने आया था। यहां मर्च्युरी रूम में 20 दिन शव पड़ा-पड़ा सड़ गया, लेकिन प्रबंधन ने उसके अंतिम संस्कार की सुध नहीं ली। मामला सामने आने के बाद हड़कंप मचा..तब प्रबंधन जागा। आगे पढ़ें...पति की मौत का सदमा: उन्हें तीन दिन से खाना नहीं दिया और न ही कोई इलाज किया
इंदौर, मध्य प्रदेश. इंदौर के एमटीएच अस्पताल में कुलकर्णी का भट्टा निवासी 32 वर्षीय संदीप कामले की मौत के बाद उनकी पत्नी ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। बता दें कि गुरुवार को इस अस्पताल में तीन कोरोना मरीजों की मौत हुई। पत्नी का आरोप है कि इन तीन दिनों में उनके पति से मिलने तक नहीं दिया गया। पति ने किसी के मोबाइल से कॉल करके बताया था कि उन्हें खाना नहीं दिया गया। न ही कोई इलाज करने आया। पत्नी ने कहा कि अस्पताल ने उनसे साढ़े 15 हजार रुपए के तीन इंजेक्शन मंगवाए, लेकिन उन्हें लगाया तक नहीं। मृतक के दोस्त राजेश ने मीडिया को बताया कि इस बारे में पूछने पर डॉक्टरों ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया।
आगे पढें...मृतक की पत्नी ने वायरल किया वीडियो...
जबलपुर, मध्य प्रदेश. यहां 10 दिन पहले एक शख्स की कोरोना से मौत हो गई थी। उसकी पत्नी ने एक वीडियो वायरल करके अस्पताल की लापरवाही उजागर की है। महिला ने पति की मौत के लिए डॉक्टरों को जिम्मेदार ठहराया है। वीडियो में रोते हुए पत्नी ने स्वास्थ्य सुविधाओं और सरकार के दावों पर कई सवाल खड़े कर दिए। कोरोना के कारण अपनी जान गंवाने वाले आशीष तिवारी की पत्नी ने वीडियो में कहा कि वो पति की मौत के 10 दिन बाद हिम्मत जुटाकर अपनी बात कह रही है। नेहा तिवारी ने बताया कि उनके पति को नॉर्मल फ्लू था। लेकिन समय पर उन्हें ऑक्सीजन नहीं मिली। नेहा ने कहा कि वो अब डॉक्टरों पर केस करना चाहती हैं।
आगे पढ़ें..पापा दरवाजा पीट रहे थे, लेकिन कोई डॉक्टर उन्हें देखने नहीं पहुंचा और वो तड़प-तड़पकर मर गए
रायपुर, छत्तीसगढ़. अपने पिता की मौत के बाद एक शख्स ने वीडियो वायरल करके एम्स के स्टाफ पर गंभीर आरोप लगाए। अजय जॉन के पिता को तबीयत बिगड़ने पर 9 सितंबर को एम्स में भर्ती कराया गया था। जांच के बाद उन्हें आइसोलेशन (isolation) वार्ड में रखा गया था। बेटे ने कहा कि उनका कमरा बाहर से बंद रखा गया था। जब उनकी तबीयत फिर बिगड़ी, तो वो दरवाजा पीटते रहे, लेकिन किसी ने उनकी सुध नहीं ली। बेटे ने कहा कि उनके पिता ने सोमवार तड़के 4 बजे कॉल किया था। उन्होंने बताया था कि यहां मरीजों को देखने वाला कोई नहीं है। अजय के अनुसार, यह सुनकर वो खुद एम्स पहुंचे। इसके बाद नर्सिंग स्टाफ उनके पिता को देखने पहुंचा। तब उनकी हार्ट रेट बढ़ी हुई थी। ऑक्सीजन लेवल भी बहुत कम था। इसके बावजूद उन्हें आईसीयू में भर्ती नहीं किया गया।