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देश के इन शहरों में कोरोना की भयावह स्थिति, श्मशान में जगह तक नहीं..अंतिम संस्कार के लिए मिल रहे टोकन
इंदौर. पूरे देश में कोरोना वायरस जिस तरह तबाही मचा रहा है, वह बेहद डरावना है। मरीजों के लिए अस्पतालों में जगह नहीं मिल रही है। अगर बेड मिल भी जाए तो ऑक्सीजन खत्म हो गई, जिंदा रहने वाला रेमडेसिविर इंजेक्शन ढूढ़े नहीं मिल रहा। इतना ही नहीं कुछ शहरों में तो हालत इतनी बुरी हो चुकी है कि मौत के बाद शवों का अंतिम संस्कार तक नहीं हो पा रहा है। श्मशान में चिता जलाने की जगह नहीं बची है, लंबी-लंबी कतारें देखने को मिल रही हैं। तो कहीं प्रशासन अंतिम संस्कार के लिए टोकन बांट रहा है। कुल मिलाकर कोरोना जिस हिसाब से अपने पैर पसार रहा है उससे देखकर लगने लगा है कि अब महामारी आउट ऑफ कंट्रोल हो चुकी है। कोरोना इस कदर तबाही मचा रहा है कि रोज सैंकड़ों लोगों की सांसे थमने लगी हैं। आइए जानते हैं उन शहरों के बारे में जहां अंतिम संस्कर के लिए कतारें लगी हुई हैं...
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भारत के जिन राज्य में सबसे ज्यादा करोना वायरस लोगों को तेजी से अपनी चपेट में ले रहा है उनमें सबसे पहले महाराष्ट्र, छत्तसीगढ़, दिल्ली, पंजाब, मध्य प्रदेश, गुजरात और झारखंड जैसे राज्य शामिल हैं। इन राज्यों में कहीं 100 तो कहीं 50 लोग रोज दम तोड़ रहे हैं। भोपल-रांची मुंबई, रायपुर, लखनऊ और सूरत जैसे शहरों के कब्रिस्तान से लेकर श्मशान घाटों तक अंतिम संस्कार के लिए घंटो इंतजार करना पड़ रहा है। रांची से तो एक ऐसी कहानी सामने आई है, जहां एक बेटे को पिता का अंतिम संस्कार करने के लिए करीब 40 घंटे तक श्मशान में इंतजार करना पड़ा। तब कहीं जाकर उसका नंबर आया।
यह तस्वीर राजधानी भोपाल से रविवार को सामने आई है। जहां शहर के दो प्रमुख्य श्मशान घाट भदभदा और सुभाष विश्राम घाट में रोजाना करीब 60 अंतिम संस्कार हो रहे हैं। यदि छोला विश्राम घाट और शहर के कब्रिस्तान की संख्या को जोड़ लिया जाए तो यह आंकड़ा लगभग 100 तक पहुंच जाती है। महामारी से मौतों का आंकड़ा इस कदर बढ़ रहा है कि दोनों श्मशान घाट पर जगह कम पड़ रही है। भदभदा विश्राम घाट कमेटी के अध्यक्ष अरुण चौधरी का कहना है कि अब जिस रफ्तार से लोगों की जान जा रही है उसे देखते हुए यहां 2 एकड़ में अस्थायी विश्राम घाट तैयार किया जा रहा है। जिससे लोगों को परेशानी ना हो।
अगर हम बात उत्तर प्रदेश की करें तो यहां भी कोरोना की दूसरी लहर बेकाबू होती जा रही है। राजधानी लखनऊ में सिर्फ 24 घंटे में 31 लोगों की मौत हुई है। लखनऊ के श्मशान घाट और कब्रिस्तानों में जगह कम पड़ गई है। यहां लोग अपनों का अंतिम दर्शन भी नहीं कर पा रहे हैं। अंतिम संस्कार के लिए टोकन दिया जा रहा है। बारी आने पर सिर्फ चिता देखने को मिलती है। यहां के गुलाल घाट, भैसा कुंड और ऐशबाग कब्रस्तान में हर दिन 80 से 100 के बीच शव बीते 10 दिनों से आ रहे हैं। लखनऊ में अब तक 1,332 संक्रमितों की मौत हो चुकी है।
कोरोना की भयावह वाली यह तस्वीर झारखंड की राजधानी रांची है। जहां रविवार को इटली जैसा मंजर देखने को मिला है, जहां सभी श्मशान घाट और कब्रिस्तान शवों से फुल हो चुके थे। अंतिम संस्कार करने पहुंचे लोगों को मुक्तिधाम में इतनी भी जगह नहीं मिली कि वह डेडबॉडी की चिता जला सके। कई घंटों के इतजार के बाद भी उन्हें शव लेकर वापस लौटना पड़ा। इसके बाद एक ऐसी तस्वीर सामने आई ही जो बेहद डरावनी है। जहां लोग बीच सड़क पर चिता सजाकर शव जलाने लगे।
यह तस्वीर राजधानी दिल्ली के सबसे बड़े श्मशान घाट निगमबोध की है। जहां पर करीब एक साथ 20 चिताएं जलाई गईं। वहीं कुछ लोग शव लेकर इंताजर में खड़े रहे। वहीं साउथ एमसीडी के बड़े श्मशान घाट पंजाबी बाग और हस्तसाल को मिला दें तो यहां भी 15 शवों का अंतिम संस्कार किया गया।
सूरत शहर में कोरोना वायरस से राज्य में सबसे ज्यादा प्रभावित है। यहां के सभी श्मशान-घाटों पर लाशों के अंबार लग रहा है। पिछले एक सप्ताह में इतनी लाशें दाह-संस्कार करने के लिए दाह संस्कार पहुंची हैं कि जो पिछले कई सालों में नहीं पहुंची। यहां शव जलाने के लिए जिला प्रशासन को आधुनिक तौर-तरीके अपनाने पड़ गए। 24 घंटे श्मशान चालू रहने के बाद भी, लाइने लगी हुई हैं।
महाराष्ट्र में कोरोना जिस तरह से पैर पसार रहा है वह बेहद डरावना है। जहां महामारी पहले से भी ज्यादा खतरनाक साबित होते दिख रही है। रोजाना यहां 60 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हो रहे हैं। वहीं सैंकड़ों लोगों की जान जा रही है। यह तस्वीर कुछ दिन पहले राज्य के बीड़ जिले से सामने आई थी। जहां
अंबेजोगाई तहसील में जब श्मशान में चिता जलाने की जगह कम पड़ी तो सामूहिक अंतिम संस्कार करना पड़ा। एक साथ 8 चिताओं को आग दी गई।
छत्तीसगढ़ में भी कोरोना ने भयावह हालात ला दिए हैं। रविवार को यहां 10 हजार 521 नए कोरोना संक्रमित मिले। वहीं 277 लोगों की मौत हुई। राजधानी रायपुर और दुर्ग जिले में कोरोनावायरस नियंत्रण से बाहर हो रहा है। मौत के मामले में इन जिलों ने कई रिकॉर्ड बना दिए हैं। रायपुर शहर में रविवार के दिन अंतिम संस्कार के लिए जगह तक नहीं बची। लोगों को अपनों को चिता जलाने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा।