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इंदौर में रंगपंचमी मनाने उमड़ा जनसैलाब, मिसाइलों से बरस रहा रंग,तस्वीरों में देखिए सड़कों पर झूम रहे लाखों लोग
इंदौर : रंगपंचमी (Rangpanchami) के अवसर पर इंदौर (Indore) का नजारा बदला हुआ है। आसमान सतरंगी हो गया है और जमीन पर उमंग और उत्साह है। दो साल बाद गेर का आयोजन हुआ तो बड़ी संख्या में लोग इसमें शामिल हुए हैं। गेर में मिसाइल से रंगों की फुहार उड़ रही है। 40 हजार लीटर पानी और एक हजार किलो रंग-गुलाल उड़ाया जा रहा है। लोग झूमते और मस्ती में आगे बढ़ रहे हैं। भीड़ को देखते हुए पुलिस-प्रशासन अलर्ट है। सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए हैं। कंप्रेसर मशीन और मिसाइलों से गुलाल उड़ाया जा रहा है। शहीद CDS बिपिन रावत (Bipin Rawat) को भी श्रद्धांजलि देते हुए एक ट्रक सबसे आगे चल रहा है। तस्वीरों में देखिए रंगपंचमी का उमंग..
| Published : Mar 22 2022, 02:03 PM IST
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इंदौर में दो साल के अंतराल के बाद गेर का आयोजन हुआ। गेर में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए हैं। मस्ती में हुलियारों का कांरवा आगे बढ़ रहा है। रंगपंचमी का उत्सव मना रहे लोगों ने शहर को होली के रंगों से रंग दिया। पूरा आसमान सतरंगी हो गया है।
गेर राजवाड़ा पहुंच चुकी है। राजवाड़ा में जबरदस्त भीड़ है। मोरल क्लब की गेर सबसे आगे चल रही है। इसके बाद हिन्द रक्षक संगठन की फाग यात्रा राजवाड़ा पहुंच रही है। भारत माता के जय-जयकारे लग रहे हैं। लोग रंगों में पूरी तरह सराबोर हैं।
चार किलोमीटर तक यह गेर जाएगी। पूरे मार्ग को पांच भागों में बांटा गया है। पानी के टैंकर, डीजे साथ-साथ चल रहे हैं। आठ हजार किलो टेसू के फूलों से गुलाल तैयार की गई है। बड़ी बिल्डिंग्स से प्रशासन नजर बनाए हुए है। सादी वर्दी में भी पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं।
इस बार पांच में से चार गेर निकल रही है। टोरी कॉर्नर की प्रमुख परंपरागत गेर नहीं निकल रही है। जो गेर निकली है उनमें संगम कॉर्नर चल समारोह समिति, मोरल क्लब, रसिया कॉर्नर और हिंद रक्षक संगठन की गेर निकली है।
मालवा में होली (Holi) से ज्यादा रंगपंचमी हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। जानकारी मिल रही है कि डेढ़ से दो लाख के करीब लोग इस आयोजन में शामिल हैं। इंदौरवासियों के उमंग को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। ड्रोन कैमरों से पूरी गेर पर नजर रखी जा रही है।
देशी विदेशी सैलानी गेर का आनंद उठाने पहुंचे हैं। इंदौर में दशकों से इस परंपरा को निभाया जा रहा है। साल 2019 में आखिरी बार गेर निकाली गई थी। उसके बाद 2020 और 2021 में कोरोना के चलते गेर नहीं निकल सकी।
75 साल से चल रहे इस समारोह का आयोजन को इस बार यूनेस्को (UNESCO) में शामिल करवाने का प्रयास है। आयोजकों का कहना है कि दो साल बाद रंग पंचमी महोत्सव मनाया जा रहा है। इससे पहले जिला प्रशासन ने 2019 में यूनेस्को की सांस्कृतिक धरोहर की सूची में शामिल करने का प्रयास किया था, लेकिन कोरोना की वजह नहीं हो पाया।
रंगपंचमी और गेर की परंपरा होलकर वंश से चली आ रही है। तब राजघराने के लोग रंगपंचमी पर बैलगाड़ियों में फूल और रंग-गुलाल को रख कर सड़क पर निकलते थे। रास्ते में मिलने वाले सभी को रंग लगाते और उन पर गुलाल उड़ाते थे। जिसके बाद से यह परंपरा लगातार निभाई जाती है। कोरोनाकाल में भले ही गेर न निकला हो लेकिन लोगों ने घरों में भी इसको सेलीब्रेट किया था।
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