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Exclusive: जिस महल को डायरेक्टर ने किया रिजेक्ट, जानिए फिर वहीं क्यों बना 'दुर्गामती' का 45 फीट ऊंचा सेट

भोपाल, मध्य प्रदेश. 11 दिसंबर को अमेजॉन प्राइम पर रिलीज भूमि पेडनेकर की मुख्य भूमिका वाली फिल्म 'दुर्गामती' साउथ की सुपरहिट फिल्म 'भागमती' का रीमेक है। लेकिन दोनों के फिल्मांकन (सिनेमाटोग्राफी, आर्ट एंड क्राफ्ट आदि) में जमीन-आसमान का अंतर है। भागमती में अनुष्का शेट्टी लीड रोल में थीं। उनकी डेट को लेकर कोई अड़चन पैदा न हो, इसलिए इसमें आर्ट एंड क्राफ्ट पर ज्यादा फोकस नहीं किया गया था। फिल्म में  विजुअल इफेक्ट्स ( Visual Effects) यूज किए गए थे। जबकि 'दुर्गामती' में 45 फीट ऊंचा भव्य सेट तैयार किया गया। यह फिल्म भूमि पेडनेकर के अलावा इस प्रोजेक्ट से जुड़े तमाम लोगों के करियर को एक अलग दिशा देगी। आपको बता दें कि इस फिल्म के लिए भोपाल के इस्लामनगर स्थित महल में भव्य सेट तैयार किया गया था। लेकिन इससे पहले जब फिल्म के डायरेक्टर जी. अशोक भोपाल में रेकी करने आए, तब उन्होंने यह जगह रिजेक्ट कर दी थी। लेकिन जब तारिक उमर खान बतौर प्रोजेक्ट डिजाइनर (आम भाषा में आर्ट डायरेक्टर) इससे  जुड़े, तब उन्होंने इस्लामनगर को सेट के लिए सबसे बेहतर जगह बताया। आखिर में यहीं फिल्म के मुख्य दृश्य शूट किए गए। जब फिल्म बनकर तैयार हुई, तो डायरेक्टर जी. अशोक के अलावा प्रोड्यूसर विक्रम मल्होत्रा और भूमि पेडनेकर हैरान रह गए। शूटिंग के दौरान भूमि तो एक बार रो पड़ी थीं। पढ़िए फिल्म के प्रोडक्शन डिजाइनर तारिक उमर की जुबानी...

3 Min read
Amitabh Budholiya
Published : Dec 11 2020, 11:07 AM IST| Updated : Dec 11 2020, 12:29 PM IST
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'एक फिल्म तकनीशियंस हम बहुत सारी फिल्में देखते हैं। चाहें उनमें काम किया हो या न किया हो। संयोग से मैंने ऑरिजिनल फिल्म भागमती देखी थी। जब जी. अशोक से मेरी पहली मीटिंग हुई, तब मैं 'दुर्गामती' के लिए फाइनल नहीं हुआ था। वे भोपाल में लोकेशन के लिए रेकी कर चुक थे। वे गौहर महल में इसे शूट करना चाहते थे। इस्लामनगर उन्हें नहीं जंचा था। मैंने अशोकजी से सिर्फ यही कहा था कि गौहर महल में वहां आपको कैमरा फ्रेमिंग और डेप्थ नहीं मिलेगी। ऑरिजिनल फिल्म का स्केल नहीं मिलेगा।'

(इस्लामनगर में यह सेट एक महीने में तैयार हुआ था, इनसेट भूमि को सेट की डिजाइन दिखाते तारिक उमर खान)

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'भागमती में किसी सिटी को स्टेबल नहीं किया गया था, जबकि दुर्गामती का बेस भोपाल था। जब मैंने अशोक जी को बताया कि गौहर महल में फिल्म का बेस नहीं मिल रहा था। कह सकते हैं कि कैमरा के लिए फ्रेमिंग प्रॉपर नहीं मिलती। तब तक हमने इस्लामनगर को भी फाइनल नहीं किया था। हालांकि अशोकजी को मेरी बात सही लगी और फिर इस्लामनगर फाइनल किया गया।'

(यह वो मूल स्कैच है, जिसे भूतिया हवेली का दरवाजा बताया गया है, इसी पर दुर्गामती का पोस्टर बना है)

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'अशोकजी ने भोपाल में नगर निगम दफ्तर के पास एक लोकेशन और देखी थी। वो काफी बड़ा एरिया था। लेकिन मेरे हिसाब से वहां सेट लगाना महंगा पड़ता। दूसरी तकनीकी दिक्कतें भी आतीं। इसके बाद अशोकजी ने इस्लामनगर के फोटोग्राफ्स दिखाए। मैंने कहा कि यह सही लोकेशन है। यह सुनकर वो बोले कि इस लोकेशन को तो हमने रिजेक्ट कर दिया था। मैंने कहा कि यही सबसे अच्छी लोकेशन।'

(इस्लामनगर में लगा दुर्गामती का सेट)

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यह भी जानें: भागमती 3 साल में बनकर तैयार हुई थी। इसमें विजुअल इफेक्ट्स ज्यादा थे, जबकि दुर्गामती के लिए इस्लाम नगर में सेट तैयार किया गया था। इसे बनाने में एक महीने का समय लगा था।
 

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सेट करीब 45 फीट ऊंचा तैयार किया गया था। जब तारिकजी ने मीटिंग के दौरान सेट के स्कैच बनाकर डायरेक्टर और प्रोड्यूसर को दिखाए, तो उन्होंने बजट को लेकर जरा-भी तर्क-वितर्क नहीं किए। फिल्म के सिर्फ आर्ट डायरेक्शन पर अच्छा-खासा खर्च किया गया।

(बायें से शूटिंग के दौरान फिल्म के प्रोड्यूसर विक्रम मल्होत्रा, तारिक उमर खान और भूमि पेडनेकर)

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भोपाल में ही क्यों शूट‌? दुर्गामती के भोपाल में शूट करने की कई वजहें रहीं। पहला लोकेशन और सेकंड लेयर आर्टिस्ट सहज उपलब्ध। दूसरा, सरकार फिल्म प्रोडक्शन को प्रमोट करने सब्सिडी दे रही। तीसरा, यहां शूटिंग करना ट्रैवलिंग से लेकर बाकी मामलों में सपोर्टिंग है। 

(भूमि पेडनेकर के साथ तारिक उमर खान)

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बता दें कि तारिक उमर खान भोपाल में मोतीचूर चकनाचूर शूट कर चुके हैं। इसके अलावा सेटेलाइट शंकर, सब कुशल मंगल, रांझणा, बॉबी जासूस, बेशरम जैसे प्रोजेक्ट से जुड़े रहे हैं। इनका आगामी प्रोजेक्ट रणदीप हुड्डा की बेव सीरिज 'इंस्पेक्टर अविनाश' है।
(दुर्गामती के डायरेक्टर जी. अशोक को सेट की डिजाइन समझाते तारिक उमर खान)
 

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पहली तस्वीर में भोपाल का इस्लामनगर। दूसरी तस्वीर में इस्लामनगर में शूटिंग के दौरान दुर्गामती के डायरेक्टर जी. अशोक और प्रोडक्शन डिजाइनर तारिक उमर खान।

(जैसा कि तारिक उमर खान ने अमिताभ बुधौलिया को बताया)

About the Author

AB
Amitabh Budholiya
बीएससी (बायोलॉजी), पोस्ट ग्रेजुएशन हिंदी साहित्य, बीजेएमसी (जर्नलिज्म)। करीब 25 साल का लेखन और पत्रकारिता में अनुभव। एशियानेट हिंदी में जून, 2019 से कार्यरत। दैनिक भास्कर और उसके पहले दैनिक जागरण और अन्य अखबारों में सेवाएं। 5 किताबें प्रकाशित की हैं

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