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16 करोड़ खर्च-लाखों दुआएं..फिर भी खतरनाक बीमारी ने छीनीं मासूम की सांसे, तस्वीरें देख हो जाएंगे भावुक
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टूटीं मासूम की सांसे..हर कोई हो रहा भावुक
दरअसल, 11 महीने की वेदिका शिंदे की रविवार को मौत को अचानक ज्यादा तबीयत बिगड़ गई, उसे सांस लेने मे तकलीफ हो रही थी। किसी तरह रात को ही बच्ची को पुणे के एक निजी अस्पताल में एडमिट कराया। लेकिन रात को ही इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। जैसे ही यह जानकारी लोगों को पता चलती तो वह सोशल मीडिया पर इमोशनल बातें लिख मासूम बच्ची को श्रद्धांजलि दे रहे हैं। मासूम की मौत पर पूरा पुणे शहर दुखी है।
पूरा देश करने लगा था मासूम के लिए दुआ
वेदिका महाराष्ट्र के पिंपरी चिंचवाड़ में रहने वाले सौरभ शिंदे की बच्ची थी। उसे 'SMA Type 1' (स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉपी) जैसी खतरनाक नाम की खतरनाक बीमारी से जूझ रही है। जिसके इलाज भारत में नहीं होता और अगर होता भी है तो दवाईयां विदेश से आती हैं। उस दौरान मासूम वेदिका की कहानी सोशल मीडिया में भी खूब वायरल हो रही थी। हर कोई उसके ठीक होने के लिए दुआ कर रहा था।
खुशियां मनाने लगा था परिवार, लेकिन...
अपनी बच्ची की जिंदगी की खातिर माता-पिता ने सोशल मीडिया पर लोगों से मदद लेकर किसी तरह क्राउड फंडिंग से 16 करोड़ रुपए जमा किए। इसके बाद जोलगेन्स्मा (Zolgensma) नाम का इंजेक्शन अमेरिका से मंगवाया। इतना ही नहीं 16 जून को मासूम को यह इंजेक्शन भी डॉक्टरों ने लगा दिया था। परिवार पूरा खुश था कि अब कुछ नहीं होगा, घर में खुशियां मनने लगी थीं।
बिटिया के लिए माता-पिता ने लगा दी पूरी ताकत
दंपत्ति ने अपनी परि के लिए पूरी ताकत और जान लगा दी थी। अपनी सारी जमा पूंजी और रिश्तेदारों से कर्जा तक ले लिया। वह बस इतना ही चाहते थी कि उनकी बेटी वेदिका बस बच जाए। जब इंजेक्शन विदेश से आया तो उन्होंने मदद करने वाले लोगों और भगवान के लिए धन्यवाद दिया कि अब उनकी बेटी ठीक हो जाएगी।
बिलखते माता-पिता कहते प्यार की निशानी चली गई..अब जीकर क्या करेंगे
वेदिका के परिवार की खुशियां ज्यादा दिन टिक नहीं सकीं। संडे की रात मासूम के लिए काल बनकर आई और उसकी सांसे छीनकर ले गई। कल माता-पिता खुशी मना रहे थे। अब वह अपनी बेटी की तस्वीरें देख बिलख रहे हैं। पति-पत्नी बेटी की याद में बार बार यही कह रहे हैं कि हमारी प्यार की निशानी चली गई, अब हम लोग किसके सहारे जिंदा रहेंगे।
जानिए क्या है यह खतरनाक बीमारी..
डॉक्टरों का कहना है कि SMA टाइप 1 एक बड़ी खतरनाक बीमारी है। बताया कि इंसानों के शरीर में एक जीन होता है, जो प्रोटीन बनाता है और इससे मांसपेशियां और तंत्रिकाएं जीवित रहती हैं। लेकिन इस बच्ची के शरीर में यह जीन नहीं था। जिसके चलते उसके बॉडी में कोई प्रोटीन नहीं बन रहा था। ऐसे में तीरा की दिमाग की मांसपेशियां कम एक्टिव थीं, जिससे अन्य कोशिकाएं भी निष्किर्य हो रही थीं। डॉक्टरों के मुताबिक, जीन नहीं होने से तीरा को सांस लेने से लेकर भोजन चबाने तक में परेशानी हो रही थी। SMA बीमारी कई प्रकार की होती है, तीरा में जो बीमारी है वह टाइफ 1 है। जो कि सबसे खतरनाक है।